नयी दिल्ली : भारत छोड़ो आंदोलन की 75वीं वर्षगांठ पर आज लोकसभा ने स्वतंत्रता सेनानियों को याद किया, उन्हें श्रद्धांजलि दी. लोकसभा अध्ययक्ष सुमित्रा महाजन ने नये भारत केलिए’भारत जोड़ो ‘ आंदोलन कीजरूरतबतायी और कहा कि एक ऐसा आंदोलन चलाने कीजरूरतहै जो कश्मीर से कन्याकुमारी तक देश के सभी हिस्सों में चलाया जाए ताकि एक सबल और संगठित भारत का निर्माण किया जा सके.वहीं,लोकसभा में पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सोनिया गांधी को कई मुद्दों पर आपने-सामने देखा गया. दोनों के बीच एजेंड़ों, प्रतिकों और नारों को लेकर जंग छिड़ी. हालांकि प्रधानमंत्री ने सीधे तौर पर सोनिया गांधी पर हमला नहीं किया, लेकिन सोनिया गांधी ने नरेंद्र मोदी सरकार पर सीधे तौर पर हमला बोलीं. आइये दोनों ने भारत छोड़ो आंदोलन को लेकर को क्या कहा संसद के अंदर, अलग-अलग जानें.
* मोदी-सोनिया के बीच दिखा एजेंडों की लड़ाई
गरीबी, अशिक्षा, कुपोषण, भ्रष्टटाचार को देश के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती करार देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि हम सभी 2017 से 2022 तक पांच वर्ष की अवधि के दौरान संकल्प से सिद्धि के भाव के साथ कार्य करें और दुनिया के देशों के लिये आज की स्थिति में उसी प्रकार से प्रेरणा बनें जैसा 1942 के आंदोलन के बाद 1947 के समय भारत ने दुनिया को प्रेरित किया था.
1942 के भारत छोड़ो आंदोलन की 75वीं वर्षगांठ पर लोकसभा में विशेष चर्चा में हिस्सा लेते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कहा कि आज जब हम 2017 में हैं तब मैं इस बात से इंकार नहीं कर सकता हूं कि आज हमारे पास गांधी हैं, आज हमारे पास उस समय की उंचाई वाला नेतृत्व नहीं है लेकिन सवा सौ करोड़ देशवासियों के साथ हम उस सपने को पूरा कर सकते हैं जो उन्होंने देखा था. मोदी ने कहा कि हमारी आजादी सिर्फ भारत के लिए नहीं थी, बल्कि यह विश्व के दूसरे हिस्सों में उपनिवेशवाद के खात्मे में एक निर्णायक क्षण था.
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वहीं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आज कहा कि देश के सेकुलर और उदारवादी मूल्यों के लिए खतरा पैदा हो गया है तथा ऐसे में हमें एक ऐसे भारत के लिए लड़ना है जहां मानवीय स्वतंत्रता और न्यायसंगत व्यवस्था कायम रहे तथा हम इसकी लड़ाई लड़ेंगे. 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर आज लोकसभा में विशेष चर्चा में हिस्सा लेते हुए सोनिया ने कहा, ऐसा लगता है कि देश पर संकीर्ण मानसिकता वाली, विभाजनकारी और सांप्रदायिक सोच वाली शक्तियां हावी हो रही हैं….सेकुलर और उदारवादी मूल्यों के लिए खतरा पैदा हो गया है. कई बार कानून के राज पर गैर कानूनी शक्तियां हावी होती हैं. सोनिया ने कहा कि सवाल उठ रहे हैं कि क्या अंधकार की ताकतें फिर सिर उठा रही हैं, क्या लोकतंत्र को खत्म करने के प्रयास हो रहे हैं? उन्होंने कहा, ‘ ‘हमें अपनी आजादी को सुरक्षित रखना है. हमें एक ऐसे भारत के लिए लड़ना है जिसमें इंसानी आजादी, स्वेच्छा और न्यायसंगत व्यवस्था हो. हम इसकी लड़ाई लड़ेंगे. ‘
* मोदी और सोनिया के बीच आजादी के प्रतिकों को लेकर जंग
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सोनिया गांधी के बीच आजादी के प्रतिकों को लेकर भी भिड़ंत साफ नजर आयी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत छोड़ो आंदोलन में महात्मा गांधी की बड़ी भूमिका की चर्चा की, तो सोनिया ने आजादी में बार-बार नेहरू और कांग्रेस की भूमिका की चर्चा की.
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, महात्मा गांधी ने न्यायसंगत और मानवीय स्वतंत्रता वाली व्यवस्था की बात की थी. हमें इन्हीं मूल्यों के साथ आगे बढ़ना है. उन्होंने कहा कि आजादी की लड़ाई में जवाहर लाल नेहरु सबसे लंबे समय तक जेल में रहे और कई कार्यकर्ता तो बीमारी की वजह से जेल से जिंदा बाहर नहीं आ सके. उन्होंने यह भी कहा कि उस समय के कुछ तत्वों ने भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध किया था और ऐसे तत्वों का आजादी के आंदोलन में कोई योगदान नहीं है.
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कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि 75 साल पहले आज ही केदिन भारत छोड़ो आंदोलन शुरू हुआ था और उसी की याद ताजा करने के लिए हम यहां आज खड़े हैं. इस सदन में मैं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की महिला कार्यकर्ताओं के बलिदान को याद कर रही हूं. 1942 के आंदोलन की शुरुआत महात्मा गांधी के आह्वान पर हुई थी. पूरे देश ने इसे पूरे संकल्प के साथ स्वीकार किया और इसके परिणामस्वरुप अंग्रेजी हुकूमत को देश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा.
* मोदी ने ‘करेंगे और करके रहेंगे ‘ का नारा दिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ने कहा, गरीबी, अशिक्षा, कुपोषण हमारे देश के सामने बड़ी चुनौतियां, हमें सकारात्मक बदलाव लाने की आवश्यकता है. भ्रष्टाचार हमारी राजनीति को अंदर से खोखला कर रहा है, हम गरीबी, अशिक्षा, कुपोषण, भ्रष्टटाचार से देश को मुक्त बनाने का संकल्प लें. प्रधानमंत्री ने कहा कि 2017 से 2022 तक पांच वर्ष की अवधि में हम उसी भावना और संकल्प के साथ काम करें जो भाव 1942 से 1947 के बीच पांच वर्ष की अवधि के दौरान था.
प्रधानमंत्री ने कहा कि 1942 में ‘करो या मरो ‘ के नारे ने पूरे देश को प्रेरित किया, उसी प्रकार से हम ‘करेंगे और करके रहेंगे ‘ का संकल्प लें और 2017 से 2022 तक पांच वर्ष की अवधि के दौरान संकल्प से सिद्धि के भाव के साथ कार्य करें और गरीबी, अशिक्षा, कुपोषण, भ्रष्टटाचार की चुनौती से लड़ने और उसे दूर करने का कार्य करें.
प्रधानमंत्री ने सांसदों से आह्वान किया कि अपने मतभेदों से उपर उठकर स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों का भारत बनाने का साझा प्रयास करें और अगले पांच वर्षों में 2017 से 2022 के बीच संकल्प से सिद्धि के रुप में इसे पूरा करने में योगदान दें. प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर 1942 का आह्वान ‘करो या मरो ‘ का संकल्प था तब आज हम संकल्प करें कि करेंगे और करके रहेंगे. मोदी ने कहा कि हम सभी मिलकर देश से भ्रष्टाचार दूर करेंगे, और करके रहेंगे.