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नीतीश कुमार के चेहरे पर महागठबंधन को मिला था जनादेश : संजय सिंह
पटना. जदयू के मुख्य प्रवक्ता और विधान पार्षद संजय सिंह ने कहा कि महागठबंधन को जनता ने नीतीश कुमार के चहरे पर जनादेश दिया था. बिहार की जनता ने भ्रष्टाचार के लिए जनादेश नहीं दिया था. न ही भ्रष्टाचार से लिप्त लालू प्रसाद के परिवार के विकास के लिए. महागठबंधन बना उसमें नीतीश कुमार अमृत […]
पटना. जदयू के मुख्य प्रवक्ता और विधान पार्षद संजय सिंह ने कहा कि महागठबंधन को जनता ने नीतीश कुमार के चहरे पर जनादेश दिया था. बिहार की जनता ने भ्रष्टाचार के लिए जनादेश नहीं दिया था. न ही भ्रष्टाचार से लिप्त लालू प्रसाद के परिवार के विकास के लिए. महागठबंधन बना उसमें नीतीश कुमार अमृत बनकर निकले थे.
नीतीश कुमार का चेहरा हटा देते तो लालू प्रसाद का जो परिणाम 2010 में आया था उससे भी नीचे आ जाते. नीतीश कुमार रणछोड़ नहीं है वह बिहार के विकास के लिए अक्सर डटे रहते हैं. जो आदमी 17 घंटा बिहार के विकास के लिए काम करता हो, जब पूरा बिहार सोता है तब नीतीश कुमार रतजगा कर बिहार के विकास के बारे में रणनीति बनाते रहते हैं. नीतीश कुमार का ऐसा व्यक्तित्व है जो सिर्फ बिहार के विकास के बारे ही सोचता है. ये बात उन लोगों को समझ में नहीं आयेगी जो विकास से दूर-दूर तक रिश्ता नहीं रखा हो. संजय सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार की इच्छाशक्ति इतनी मजबूत है कि वह अपने शर्तों पर राजनीति करते हैं.
नीतीश कुमार एक स्वतंत्रता सेनानी के बेटे हैं. उनको कभी पद का लालच नहीं हुआ है, उन्होंने राजनीति सिर्फ विकास के लिए की है. उनकी इच्छाशक्ति ही है कि बिना सोचे समझे एक पल में सीएम पद से इस्तीफा दे दिये थे.
तेजस्वी प्रसाद यादव महात्मा गांधी से किन किन बातों को लेकर माफी मांगेंगे. क्या तेजस्वी यादव महात्मा गांधी के सामने इस बात को स्वीकार करेंगे कि उनके पास अकूत संपत्ति है, क्या इस बात को स्वीकार करेंगे कि लालू यादव के भ्रष्टाचार में वह भी शामिल थे? क्या अपने पास के अकूत संपत्ति का त्याग करेंगे? क्या अपने पिता के पापों की माफी मांगेंगे, क्या अपने परिवार के लिए किये गये भ्रष्टाचार को लेकर भी माफी मांगेंगे?
राजद ने जनादेश का मर्म ही नहीं समझा : नवल
जदयू के प्रदेश प्रवक्ता नवल शर्मा ने कहा कि जिस पार्टी ने आज तक जनादेश का मर्म ही नहीं समझा, उसके नेता जनादेश के सम्मान की बात करते हैं. राजद नेता जवाब दें कि जनादेश किस चेहरे पर मिला था और जनादेश मिला था किस लिये. विकास के लिए या लूट खसोट से घर भरने के लिए. अगर जनादेश की इतनी ही चिंता थी तो तो सीबीआइ रेड के बाद जब लोग बिहार पर हंसरहे थे उस समय कंठ क्यों नहीं फूटा? जवाब क्यों नहीं दिया? जवाब देने के बजाय अस्सी विधायक होने का धौंस दिखा रहे थे.
जब भ्रष्टाचार को लेकर मीडिया में बिहार के चेहरे पर कालिख पुत रही थी उस समय जनादेश की याद क्यों नहीं आयी? उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने अपने अभिभावक तुल्य मार्गदर्शन में लालू प्रसाद के बेटों को भरपूर सहयोग दिया, पर बदले में उन्हें मिला भ्रष्टाचार की सौगात. ऐसे में जिस बिहार की छवि को नीतीश कुमार ने इतनी मेहनत से संवारा था उसे कैसे लूट जाने देते.
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