कल 9 अगस्तको झारखंड में वृहत स्तर पर आदिवासी दिवस मनाने की तैयारी है. आदिवासी दिवस के आयोजन को लेकर आज केंद्रीय सरना समिति प्रेस कॉफ्रेंस किया गया. झारखंड मेंविश्वआदिवासी दिवस के आयोजन से जुड़े पहलुओं को जानने के लिए प्रभात खबर डॉट कॉम के पंकज पाठकने आयोजकों से बात की. आदिवासी दिवस क्यों मनाया जाता है? इसकी शुरुआत कब हुई ? झारखंड में इसके क्या मायने हैं.आप भी पूरी बातचीत देख सकते हैं.
झारखंड में कुल जनसंख्या का 26 प्रतिशत आबादी आदिवासी समुदाय का है. आदिवासियों की बहुलता को देखते हुए राज्य में उनके अधिकारों की रक्षा के लिए कई कानून पारित किये गये हैं. झारखंड में कुल 32 प्रकार के जनजाति है. इनका वर्गीकरण भारत के मानवशास्त्री ललिता प्रसाद विद्यार्थी के द्वारा किया गया है. झारखंड में सबसे ज्यादा आदिवासी बहुल जिला गुमला है. गुमला में कुल आबादी का 68.4 प्रतिशत आदिवासी समुदाय का है.
शिकार संग्रह करने वाले आदिवासी – बिरहोर, कोरवा, हिल खड़िया
घूमंतू खेती – पहाड़िया
कारीगर – महली, लोहरा, करमाली, चीक बड़ाइक
स्थायी खेती – संथाल,मुंडा, उरांव, हो, भूमिज