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उन्मूलन के सरकारी दावों के बाद भी मिल रहा खतरनाक गिनी वर्म

किरीबुरू: मेघाहातुबुरू में फिर से गिनीवर्म देखने को को मिला है. रविवार को यहां ए/28/2 क्वार्टर में रहनेवाले मीनू नयन के आवास से गिनी वर्म बरामद हुआ है, जिसे देखने के बाद लोगों में भय का माहौल है. जानकार भी इसे गिनी वर्म बता रहे हैं. पिछले साल भी बारिश के समय मेघाहातुबुरू के सेलकर्मी […]

किरीबुरू: मेघाहातुबुरू में फिर से गिनीवर्म देखने को को मिला है. रविवार को यहां ए/28/2 क्वार्टर में रहनेवाले मीनू नयन के आवास से गिनी वर्म बरामद हुआ है, जिसे देखने के बाद लोगों में भय का माहौल है. जानकार भी इसे गिनी वर्म बता रहे हैं. पिछले साल भी बारिश के समय मेघाहातुबुरू के सेलकर्मी मनोरंजन साहू के घर से सबसे पहले यह वर्म निकला था, जिसके बाद इसके सारंडा के विभिन्न हिस्सों में देखे जाने की खबरें आयी थीं.

विधायक गीता कोड़ा ने मामले को विधानसभा में उठाया, तो सरकार को वर्म की जांच के लिए टीम भेजनी पड़ी थी, लेकिन एक महीने बाद पहुंची टीम को किरीबुरू, मेघाहातुबुरू व सारंडा के कई हिस्सों में जांच के बाद भी कहीं से गिनी वर्म नहीं मिला था. इसके कारण उस समय वर्म की पहचान नहीं हो पायी थी.

डॉक्टरों ने पल्ला झाड़ा
गिनी वर्म मिलने की सूचना स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को दी गयी, लेकिन कोई भी अधिकारी इसके संग्रह के लिए नहीं पहुंचा. बड़ाजामदा रेफरल अस्पताल के सीएमओ डॉक्टर धर्मेंद्र ने वर्म के बारे में विशेष जानकारी नहीं होने की बात कहते हुए किनारा कर लिया.
गिनी वर्म के उन्मूलन की सरकार कर चुकी है घोषणा
भारत सरकार स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट के जरिये बताया है कि गिनी वर्म उन्मूलन कार्यक्रम की शुरुआत 1983 में की गयी थी. गिनी वर्म भारत वर्ष से वर्ष 2000 में खत्म कर दिया गया. सरकार ने माना कि गिनी वर्म वर्ष 2000 में समाप्त होने से पहले भारत के कई राज्यों के लिए महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या थी. ऐसे में सारंडा जैसे क्षेत्र में इसका पाया जाना खतरे का संकेत है. यह वार्म मनुष्य, पालतू व विभिन्न प्रकार के जंगली जानवरों, पेयजल आदि जगहों पर पाया जाता है. जिसके शरीर में यह मौजूद होता है, वह जानलेवा बन जाता है तथा शरीर के अनेक स्थानों पर घाव आदि भी कर देता है. घाव के क्षेत्र से यह शरीर से बाहर निकलता है. यह वर्म काफी खतरनाक एवं जानलेवा होता है.

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