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RSS कार्यकर्ता के घर पहुंचे जेटली, कहा- देश का दुश्मन भी ऐसा नहीं करता, जैसा विपक्षी पार्टी ने किया

तिरुवनंतपुरम : केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने केरल में राजनीतिक हिंसा के लिए राज्य में सत्ताधारी माकपा को आड़े हाथ लेते हुए उस पर आरोप लगाया कि वह प्रतिद्वंद्वी पार्टी के कार्यकर्ताओं को ‘ ‘खत्म ‘ ‘ करने के लिए अपने कार्यकर्ताओं का ‘ ‘इस्तेमाल ‘ ‘ कर रही है. आरएसएस कार्यकर्ता राजेश एडावाकोडे […]

तिरुवनंतपुरम : केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने केरल में राजनीतिक हिंसा के लिए राज्य में सत्ताधारी माकपा को आड़े हाथ लेते हुए उस पर आरोप लगाया कि वह प्रतिद्वंद्वी पार्टी के कार्यकर्ताओं को ‘ ‘खत्म ‘ ‘ करने के लिए अपने कार्यकर्ताओं का ‘ ‘इस्तेमाल ‘ ‘ कर रही है. आरएसएस कार्यकर्ता राजेश एडावाकोडे की हत्या के बाद उनके परिजन से मिलकर संवेदनाएं जाहिर करने के बाद जेटली ने कहा कि आरएसएस और भाजपा को हिंसा के जरिए नहीं दबाया जा सकता.

राजेश के घर गए जेटली ने कहा कि कार्यकर्ता की जघन्य हत्या की गई और उसके शरीर पर 70-80 जख्म थे. उन्होंने कहा कि देश का दुश्मन भी ऐसा नहीं करता और एक प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक पार्टी के कार्यकर्ता इसमें शामिल थे. उन्होंने कहा, ‘ ‘हम यहां राजेश की हत्या पर शोक जताने आए हैं, जिसका त्याग हमारे साथ हमेशा रहेगा और हर कार्यकर्ता को प्रेरित करेगा. अब उसके परिवार की देखरेख करना भी हमारी जिम्मेदारी है. ‘ ‘ केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा, ‘ ‘बार-बार एक ही कहानी दोहराई जाती है. राज्य में कैसा राजनीतिक माहौल बनाने की मंशा है ? ‘ ‘ उन्होंने कहा कि भाजपा के दफ्तरों और पार्टी के कार्यकर्ताओं पर हमले किए जा रहे हैं.

उन्होंने ‘ ‘केरल में लगातार हो रही हिंसा ‘ ‘ पर उन लोगों की ‘ ‘पूरी चुप्पी ‘ ‘ पर भी सवाल उठाए जो देश के अन्य हिस्सों में होने वाली ऐसी ही घटनाओं के खिलाफ आवाज उठाते हैं. जेटली ने माकपा पर आरोप लगाया कि ‘ ‘अपने राजनीतिक विरोधियों को खत्म करने और हिंसा का माहौल बनाने ‘ ‘ के लिए वह अपने कार्यकर्ताओं का इस्तेमाल कर रही है. उन्होंने कहा कि पार्टी को ‘ ‘आत्म-मंथन ‘ ‘ करने की जरुरत है.केंद्रीय मंत्री ने राज्य में हिंसा में हाल में हुई बढोत्तरी के लिए माकपा को जिम्मेदार ठहराया. राज्य में 29 जुलाई को राजेश की हत्या कर दी गई थी और भाजपा एवं आरएसएस कार्यकर्ताओं के घरों पर हमले किए गए थे. माना जा रहा है कि जेटली केरल का दौरा इसलिए कर रहे हैं ताकि कथित तौर पर माकपा की ओर से भाजपा कार्यकर्ताओं पर बढते हमले के मुद्दे को राष्ट्रीय फोकस में लाया जा सके. उन्होंने कहा कि केरल की एलडीएफ सरकार ने इन घटनाओं को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है.

बहरहाल, माकपा के राज्य सचिव कोडियेरी बालाकृष्णन ने आरोप लगाया कि जून की शुरुआत में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की यात्रा के बाद राज्य में राजनीतिक हिंसा बढी है. उन्होंने कहा कि माकपा के गढ माने जाने वाले इलाकों में कथित हमले करके भाजपा राज्य में ‘ ‘अमित शाह की योजना ‘ ‘ को लागू कर रही है. जेटली ने कहा कि केरल को कुदरत का तोहफा मिला है, लेकिन किसी सरकार के लिए यह चुनौती होगी कि इसे देश में सबसे ज्यादा समृद्ध कैसे बनाया जाए. मंत्री ने कहा, ‘ ‘लेकिन यदि नीति भटक जाती है और पूरा ध्यान इस बात पर होता है कि सत्ताधारी पार्टी के कार्यकर्ताओं का इस्तेमाल राजनीतिक विरोधियों को खत्म करने और हिंसा का माहौल बनाने के लिए किया जाए, तो सत्ताधारी पार्टी को गंभीरता से आत्म-मंथन करना चाहिए.

जेटली ने इस बात पर जोर दिया कि ऐसी हिंसा से भाजपा, आरएसएस और अन्य को दबाया नहीं जा सकता और इससे कार्यकर्ताओं का समर्पण और बढेगा. भाजपा नेता ने कहा, ‘ ‘देश के अन्य हिस्सों में होने वाली ऐसी ही घटनाओं के खिलाफ नियमित तौर पर बोलने वाले लोग केरल में लगातार हो रही हिंसा पर पुरी तरह चुप हैं. ‘ ‘ इससे पहले, जेटली ने राजेश के बुजुर्ग माता-पिता, राजेश की पत्नी और बच्चों से मुलाकात की और उनका ढांढस बंधाया. उन्होंने एक अन्य आरएसएस कार्यकर्ता जयप्रकाश के परिजन से मुलाकात की. कथित तौर पर माकपा के हमले में जयप्रकाश गंभीर रुप से घायल हो गया था.

जेटली के साथ प्रदेश भाजपा अध्यक्ष कुम्मनम राजशेखरन भी थे. आरएसएस नेतृत्व ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की है. माकपा ने आरोप लगाया कि आरएसएस-भाजपा राजनीतिक हिंसा के मुद्दे पर दुष्प्रचार कर रहे हैं. माकपा कार्यकर्ताओं ने आज पार्टी के उन 21 कार्यकर्ताओं के परिजन के साथ धरना दिया जिनकी कथित तौर पर आरएसएस-भाजपा कार्यकर्ताओं ने हत्या कर दी थी. इन कार्यकर्ताओं के परिजन ने मांग की कि जेटली को उनसे भी मिलना चाहिए.

गौरतलब है कि केरल में राजनीतिक हिंसा का दौर देखा जा रहा है. राज्य में माकपा कार्यकर्ताओं की हत्या या उन पर हमले के कुछ मामलों में भाजपा-आरएसएस के कार्यकर्ताओं पर आरोप लगते रहे हैं जबकि आरएसएस-भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या या उन पर हमले के मामलों में माकपा कार्यकर्ताओं पर आरोप लगते रहे हैं.

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