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कश्मीर पर हो राष्ट्रीय बहस

कश्मीर भारतवर्ष का अभिन्न अंग है. दुर्भाग्य से आजादी के कालखंड से ही यहां अस्थिरता व्याप्त रही. कई कोशिशें हुई हैं, पर राजनैतिक इच्छाशक्ति प्रबल नहीं होने के कारण वहां की मूल समस्यायों को न समझा गया है और न ही गंभीरता से सुलझाने का प्रयास हुआ है. वर्तमान सरकार कश्मीर को लेकर संजीदा दिख […]

कश्मीर भारतवर्ष का अभिन्न अंग है. दुर्भाग्य से आजादी के कालखंड से ही यहां अस्थिरता व्याप्त रही. कई कोशिशें हुई हैं, पर राजनैतिक इच्छाशक्ति प्रबल नहीं होने के कारण वहां की मूल समस्यायों को न समझा गया है और न ही गंभीरता से सुलझाने का प्रयास हुआ है. वर्तमान सरकार कश्मीर को लेकर संजीदा दिख रही है.
वहां पिछले कुछ समय से आतंकवादी घुसपैठ भी कम हुआ है. परन्तु, कश्मीर के विभिन्न मुद्दों पर खुले मंच से बहस करने की जरूरत है, जिसमें देश के विभिन्न प्रांतों से बुद्धिजीवियों, नेताओं और राजनैतिक विश्लेषकों को सम्मिलित किया जा सके. अतः व्यापक चर्चा करने की जरूरत है. इस समस्या का बातचीत से ही समाधान हो सकता है.
डॉ मनोज ‘आजिज़’, जमशेदपुर

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