आशुतोष कुमार पांडेय @ पटना
पटना / सीतामढ़ी : कहते हैं कि ‘बदलाव’ अपने-आप में सतत चलने वाली एक प्रक्रिया है. खासकर, मसला जब सामाजिक ‘बदलाव’ का हो और उस ‘बदलाव’ से पूरा राष्ट्र, समाज और राज्य प्रभावित होने वाला हो. इस प्रक्रिया में आम नागरिकों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है. जानकारमानते हैं कि इस प्रक्रिया में सद्भाव और संवेदना के साथ आपसी भाईचारा जुड़ जाये, तो ऐसे ‘बदलाव’ सफल होते हैं. कुछ ऐसे ही ‘बदलाव’ की प्रक्रिया से जुड़ा है, हमारा स्वच्छता अभियान. 02 अक्तूबर 2014 को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के राजघाट से इस अभियान की शुरुआत की. लक्ष्ययह है कि 02 अक्तूबर 2019 तक हर परिवार को शौचालय सहित स्वच्छता-सुविधा उपलब्ध कराना है, ठोस और द्रव अपशिष्ट निपटान व्यवस्था, गांव में सफाई और सुरक्षित तथा पर्याप्त मात्रा में पीने का पानी उपलब्ध हो. इसी अभियान का मुख्य भाग है खुले में शौच से मुक्ति. बिहार के सीतामढ़ी जिले मेंइनदिनों यह अभियान आम लोगों के लिए दहशत और डर के साथ प्रशासनिक डंडे का पर्याय बना हुआ है.
क्या है पूरा मामला
गत एक सप्ताह की रिपोर्ट को देखें तो बिहार के सीतामढ़ी जिले में सैकड़ों लोग खुले में शौच को लेकर हिरासत में लिए जा चुके हैं. जिलेके गरीबों में प्रशासनिक डंडे को लेकर आक्रोश बढ़ता जा रहा है. प्रशासन का फरमान है कि आप अपनी मर्जी से शौच नहीं कर सकते. ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन पूरी तरह आपातकाल की तरह व्यवहार कर रहा है. जिले केलोगोंका कहना है कि जिलाधिकारी इस मामले को लेकर जुनूनी हैं,वे ‘शौच से मुक्ति के अभियान’ नाम की फोबिया से पीड़ित हैं. लोगों का कहना है कि जिलाधिकारी को जिले के किसी और कार्य और विकास से उतना मतलब नहीं है, जितना उन्हें स्वच्छता अभियान से है. जानकारी के मुताबिक जिला प्रशासन ने तय लक्ष्य को पूरा करने के लिए समय सीमा के अंदर पूरे जिले को खुले में शौच से मुक्त घोषित कराने के लिए आम लोगों को टार्चर करना शुरू कर दिया है. प्रशासन ने मात्र एक सप्ताह के भीतर 667 लोगों को खुले में शौच करनेके आरोप में हिरासत में लिया. बताया जा रहा है कि उनमे से चार लोगों को जेल में डाल दिया गया है,जबकि हिरासत में लिए गये 663 लोगों से जुर्माना वसूलकर उन्हें छोड़ दिया गया.
जिलाधिकारी चला रहे हैं ‘स्वच्छता चक्र प्रवर्तन अभियान’
जिले के लोगों का कहना है कि सीतामढ़ी के डीएम राजीव रोशन पूरे जिले में ‘स्वच्छता चक्र प्रवर्तन’ नाम से कार्यक्रम चला रहे हैं. इस कार्यक्रम के लिए पूरे जिला प्रशासन के अधिकारियों को लगा दिया गया है. लोगों ने बताया कि स्कूली शिक्षकों को भी नहीं बख्शा गया है. सभी को इस अभियान में योगदान देने का फरमान जारी किया गया है. सुबह-सबेरे जिला प्रशासन के लोग गांवों में निकल जाते हैं और खुले में शौच करते लोगों को पकड़कर थाने लाया जाता है.ग्रामीणोंका आरोप है कि इस अभियान में महिलाओं के साथ ठीक से व्यवहार नहीं किया जाता. 25 जुलाई को इस अभियान के तहत कुछ महिलाओं को हिरासत में लेकर थाने लाया गया. इसके विरोध में ग्रामीणों का आक्रोश चरम पर था और इस घटना के तीसरे दिन ग्रामीणों ने टीम की महिलाओं पर हमला कर दियाथा. ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन उन्हें परेशान कर रहा है.
आम लोगों और गरीबों में आक्रोश
जिलाधिकारी के इस अभियान और फरमान से ग्रामीणों और खासकर गरीब तबके के लोगों में आक्रोश है. सबका कहना है कि महिलाओं को थाने ले जाकर जमीन पर बीठाया जाता है. तीस जुलाई को कई महिलाएं थाने में बेहोश हो गयीं. वहीं कुछ सामाजसेवी और बुद्धिजीवियों का मानना है कि यह कोई अपराध नहीं है. यह एक जागरूकता अभियान है, इसे कोई डंडे के बल पर लागू नहीं करवा सकता. यदि ऐसा किया जा रहा है, यह कानूनन ठीक नहीं कहा जायेगा. दूसरी ओर जिले के दलित बस्तियों के गरीबों का कहना है कि बिचौलिये पैसे खा गये हैं. उन्होंने शौचालय बनवा लिया, लेकिन अभी तक प्रोत्साहन राशि नहीं मिली. खुले में शौच से मुक्ति अभियान के नाम पर 600 लोगों को हिरासत में लिए जाने का मामला पूरे बिहार में चर्चा का विषय बना हुआ है. गौरतलब हो कि लोगों को जागरूक कर इस अभियान को 02 अक्तूबर 2019 तक पूरा करना है, ताकि बापू के 150वें जन्मदिन पर उन्हें बड़ी श्रद्धांजलि दी जा सके, लेकिनजानकारोंकी मानें,तो इसका कतई यह मतलब नहीं कि अभियान को डंडे के जोर पर चलाया जाये.