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पांच साल में आधी हो गयी छात्राओं की संख्या

पटना के स्कूलों के हॉस्टलों का हाल पटना : राजधानी पटना के बांकीपुर गर्ल्स स्कूल और राजकीय बालिका उच्च विद्यालय फेमस स्कूल हैं. इससे भी बड़ी बात है इन दोनों ही स्कूलों को छोड़ कर यहां के किसी भी स्कूल परिसर में हॉस्टल नहीं है. जहां है वहां के हॉस्टलों की व्यवस्था ठीक नहीं हैं. […]

पटना के स्कूलों के हॉस्टलों का हाल
पटना : राजधानी पटना के बांकीपुर गर्ल्स स्कूल और राजकीय बालिका उच्च विद्यालय फेमस स्कूल हैं. इससे भी बड़ी बात है इन दोनों ही स्कूलों को छोड़ कर यहां के किसी भी स्कूल परिसर में हॉस्टल नहीं है.
जहां है वहां के हॉस्टलों की व्यवस्था ठीक नहीं हैं. जिसके कारण छात्राएं नामांकन नहीं लेना चाहती है. पिछले पांच वर्षों की बात करें, तो इन दाेनों ही स्कूल, खासकर बांकीपुर गर्ल्स स्कूल में तो छात्राओं की संख्या आधी से भी कम हो गयी है. बांकीपुर गर्ल्स स्कूल में 2013 में जहां 5,000 छात्राओं का नामांकन था. वहीं, 2017 में 1,000 रह गयी है.शास्त्री नगर गर्ल्स स्कूल में अभी 1,045 छात्राएं हैं. 2013 में इस स्कूल में 5,500 के लगभग छात्राओं का नामांकन था.
छात्राओं के लिए बना हॉस्टल, रह रही हैं शिक्षिकाएं : राजकीय बालिका उच्च विद्यालय, शास्त्रीनगर का भी यही हाल है. स्कूल में हॉस्टल तो छात्राओं के लिये बनाया गया था, लेकिन इसमें शिक्षिकाएं रहती हैं. यह स्थिति कोई आज की नहीं है बल्कि 1997 से इस स्कूल के छात्रावास में शिक्षिकाओं का कब्जा है.
केस वन : पायल कुमारी ने 2017 में मैट्रिक की परीक्षा पास की. मसौढ़ी निवासी पायल बांकीपुर गर्ल्स स्कूल में 11वीं में नामांकन करवाना चाह रही थी.चूंकि इस स्कूल में हॉस्टल की सुविधा है. पायल नामांकन लेने आयी भी. लेकिन, स्कूल में हॉस्टल की सुरक्षा व्यवस्था देख कर वह वापस चली गयी. नामांकन नहीं लिया.
केस टू : रोशनी कुमारी राजकीय बालिका उच्च विद्यालय, शास्त्री नगर में 9वीं में नामांकन लेने कुछ दिनों पहले स्कूल पहुंची. रोशनी ने बताया कि नामांकन आसानी से हो गया. लेकिन रोशनी को जब पता चला कि हॉस्टल तो है, लेकिन उसमें छात्राएं नहीं बल्कि शिक्षिकाएं रहती हैं. रोशनी ने अपना नामांकन रद्द करवा लिया. रोशनी बाढ़ की रहनेवाली है व हॉस्टल में रह की पढ़ना चाह रही थी.
हर ब्लॉक स्तर पर स्कूलों में हॉस्टल बनाया जाना है. प्रदेश भर में 100 हॉस्टल बनाये गये हैं. लेकिन, जहां पर हॉस्टल पहले से है, उनकी स्थिति बहुत ही खराब है. स्कूल परिसर में हॉस्टल होते हुए भी छात्राओं के रहने की व्यवस्था नहीं है.
किरण कुमारी, राज्य परियोजना पदाधिकारी, माध्यमिक शिक्षा परिषद

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