आज के जमाने में जहां इंटरनेट जानकारियों का खजाना बन चुका है, वहीं इसके कई नुकसान भी समय-समय पर देखने और सुनने को मिलते रहते हैं. इंटरनेट पर खेला जानेवाला एक गेम मुंबई में एक बच्चे की मौत की वजह बना है. इस गेम का नाम है ‘द ब्लू व्हेल चैलेंज’. देशभर में यह अपनी तरह का पहला मामला बताया जा रहा है.
दरअसल, रूस में बने ‘द ब्लू व्हेल चैलेंज’ सुसाइड गेम की दुनियाभर में लगभग 200 जानें लेने के बाद अब भारत में भी अपना असर दिखाने लगा है. मुंबई के अंधेरी इलाके में रहनेवाले किशोर मनप्रीत सिंह ने बीते शनिवार को अपनी बिल्डिंग की सातवीं मंजिल से कूद कर आत्महत्या कर ली. मनप्रीत के साथियों का कहना है कि वह ‘द ब्लू व्हेल चैलेंज’ गेम खेल रहा था. मनप्रीत ने सुसाइड से पहले दोस्तों को मेसेज किया था कि वह स्कूल नहीं आयेगा. मनप्रीत के एकाएक ऐसा कदम उठाने से उसके माता-पिता सदमे में हैं. उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा कि बेटे ने ऐसा कदम क्यों उठाया. पुलिस मामले की जांच कर रही है.
गूगल पर सर्च किया सुसाइड का तरीका
सोमवार को मनप्रीत के दोस्तों ने पुलिस को बताया कि सुसाइड से पहले उसने छत पर खड़े होकर स्मार्टफोन से कुछ फोटो लिये और दोस्तों को वॉट्सऐप किये थे. मुंबई पुलिस को जांच के दौरान मनप्रीत के फोन में सुसाइड से जुड़े कुछ फोटो मिले हैं. जानकारी के मुताबिक, छलांग लगाने से पहले उसने गूगल पर सुसाइड के तरीके सर्च किये थे.
कभी डिप्रेशन में नहीं दिखा
मनप्रीत के दोस्तों के मुताबिक, मौत से कुछ दिन पहले उसने बताया था कि जल्द ही वह रूस जानेवाला है. वहां उसका एक सीक्रेट ग्रुप है, जो उसके साथ गेम खेल रहा है. बताया जाता है कि सामनेवाले घर में रहनेवाले एक शख्स ने उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं माना और छलांग लगा दी. मोहल्लेवालों के अनुसार, किसी ने उसे कभी भी डिप्रेशन में नहीं देखा.
पूरे करने होते हैं 50 चैलेंज
बताते चलें कि रूस में बने और काफी पॉपुलर हो चुके ‘द ब्लू व्हेल चैलेंज’ गेम खेलते हुए रूस में ही अब तक 130 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. इस गेम में पार्टिसिपेंट को 50 चैलेंज पूरे करने होते हैं. लास्ट चैंलेज सुसाइड का होता है. इनमें हर चैलेंज पूरा करने के बाद हाथ पर ब्लेड से कट लगा कर इनकी तस्वीरें गेम एडमिन को भेजनी होती है. एक तस्वीर भेजने के बाद दूसरा टास्क दिया जाता है. 50 कट्स लगाने के बाद एक व्हेल की आकृति बन जाती है. अंतिम चैलेंज के रूप में बिल्डिंग से कूदना होता है.
क्या है ‘द ब्लू व्हेल चैलेंज’ गेम
‘द ब्लू व्हेल चैलेंज’ गेम रूस में बना इंटरनेट गेम है. यह गेम आपकाे प्ले-स्टोर या किसी साइट परनहींमिलेगा. यह एक सोशल मीडिया गेम है जिसके जरिये फेसबुक और इंस्टाग्राम यूज करने वाले बच्चों को निशाना बनाया जा रहा है. इसे फिलिप बुडेकिन ने 2013 में बनाया था. रूस में इसका पहला सुसाइड केस 2015 में सामने आया था. अब तक वहां 130 लोग आत्महत्या कर चुके हैं. जबकि दुनियाभर में इसके 200 शिकार हो चुके हैं. गेम में पार्टिसिपेंट को 50 दिन तक कुछ खास चैलेंज दिये जाते हैं. इन टास्क में खुद को चोट पहुंचाना, सुबह चार बजे उठकर हॉरर मूवीज देखना और आधी रात को उठकर अजीब हरकतें करना शामिल हैं. बारी-बारी से सारे चैलेंज पूरे करते जाने पर अंत में सुसाइड करने का चैलेंज दिया जाता है.
‘आत्महत्या करनेवाले बायोलॉजिकल वेस्ट’
इस गेम का डेवलपर फिलिप कई दिनों से पुलिस की कैद में है और उस पर लोगों को मौत के लिए उकसाने का केस चल रहा है. इसी बीच सुनवाई के दौरान फिलिप ने बताया कि उसके गेम का मकसद समाज की सफाई करना है. इस गेम में डिप्रेशन में चल रहे लोगों से वादा किया जाता है कि दुनिया से उनकी विदाई को रोमांचक बना दिया जायेगा. फिलिप ने कहा था कि जिन लोगों ने गेम खेलते हुए आत्महत्या की है, वे बायोलॉजिकल वेस्ट थे. उनमें जीने की इच्छा नहीं रह गयी थी. उसने बताया कि इस गेम में डिप्रेशन में चल रहे लोगों को निशाना बनाया जाता है.
कहते हैं आंकड़े
वीडियो गेम्स/इंटरनेट गेम्स के लिए दीवानगी केवल बच्चों में ही नहीं देखी जा रही, इसके लिए युवक-युवतियां भी क्रेजी हुए जा रहे हैं. इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि दुनिया में वीडियो गेम का बाजार लगभग 110 अरब डॉलर का है. ग्लोबल गेम्स मार्केट की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया में 2.2 अरब लोग वीडियो गेम्स खेलते हैं. पिछले साल की तुलना में यह आंकड़ा लगभग 8% ज्यादा है. वीडियो गेम/इंटरनेट गेम्स खेलनेवालों में दुनिया के कुल आंकड़ों में एशिया की हिस्सेदारी 47% से ज्यादा है. अकेले चीन में गेमिंग का बाजार 27 अरब डॉलर से ज्यादा का है.
भारत में भी बढ़ रहे हैं गेमर्स
ग्लोबल गेम्स मार्केट की रिपोर्ट बताती है कि दुनियाभर में हर महीने 1.15 अरब घंटे लोग वीडियो गेम्स पर बिताते हैं. अकेले अमेरिका में 18 करोड़ घंटे हर महीने गेमर्स वीडियो गेम पर बिताते हैं. बात करें भारत की, तो तेजी से बढ़ती स्मार्टफोन की तादाद के चलते मोबाइल फोन पर वीडियो गेम्स खेलने वालों की संख्या भी देश में बढ़ रही है. साल 2015 में मोबाइल गेमर्स की संख्या 19.8 करोड़ थी. उम्मीद जतायी जा रही है कि 2020 तक यह आंकड़ा 62 करोड़ को पार कर जायेगी. इसे यह कहना गलत नहीं होगा कि आनेवाले समय में चीन के बाद भारत दुनिया में एक बड़ा गेमिंग हब साबित होगा.
कहता है विज्ञान
यह एक जाना-माना तथ्य है कि हर उम्र के बच्चों को मारधाड़ और सुपरहीरो वाली वीडियो गेम्स काफी पसंद आती हैं. लेकिन, विज्ञान कहता है कि ऐसे गेम्स के गंभीर परिणाम हो सकते हैं. इससे भले ही बच्चों का कुछ देर के लिए मन बहल जाये, लेकिन लंबी दौड़ में यह बहुत खतरनाक साबित हो सकता है. समय-समय पर ऐसे शोध-पत्र प्रकाशित होते हैं, जो इस बात की तसदीक करते हैं. बर्मिंघम यूनिवर्सिटी के एक सर्वेक्षण के मुताबिक, इससे बच्चों में हिंसक बनने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है. हिंसक वीडियो गेम्स में होने वाली मारधाड़ बच्चों के नाजुक मन पर बेहद नकारात्मक प्रभाव डालती है. ऐसे वीडियो गेम्स का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल बच्चों में आक्रामक प्रवृत्ति को बढ़ावा देता है, साथ ही इससे उनके नैतिक आचरण में भी गिरावट आती है.
ऐसा असर डालते हैं वीडियो गेम्स
- एक समय में एक ही गेम बार-बार खेलनेवालों को मूड-स्विंग यानी थोड़ी-थोड़ी देर में मूड में बदलाव की शिकायत महसूस हो सकती है.
- आक्रामक वीडियो गेम खेलने से याददाश्त, व्यवहार और सहनशीलता पर काफी बुरा असर पड़ सकता है.
- एक सप्ताह तक लगातार एक एक्शन गेम खेलनेवाले भावनात्मक असुरक्षा का शिकार बन सकते हैं.
- एक्शन गेम बार-बार लंबे समय तक खेलने से चिंतित रहने की प्रवृत्ति बढ़ सकती है, जो आगे चलकर काफी खतरनाक साबित हो सकती है.