व्यवसायी ग्राहकों को लुभाने व आकर्षित करने के लिए अपने व्यवसाय के मॉडयूल, साज-सज्जा आैर मेनू में लगातार बदलाव कर रहे हैं. नाहौम आज भी उसी जगह खड़ा हुआ है, जहां से इसने अपने सफर की शुरुआत की थी. वर्षों से इस बेकरी ने अपनी सजावट व ढांचे में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया है. हाल के दिनों में नाहौम में एक बड़ा बदलाव यह आया है कि उन्होंने अब कार्ड से भुगतान लेना आरंभ कर दिया है.
Advertisement
115 सालों से पसंदीदा बना है ‘एक यहूदी का केक’
कोलकाता : अपनी परंपरागत मिठाइयों के हद से ज्यादा शौकीन बंगालियों के दिलों में एक यहूदी के केक के लिए भी एक अलग मकाम है. यह नाम है न्यू मार्केट स्ट्रीट स्थित नाहौम, जो पिछले 115 वर्षों से कोलकाता का फेवरिट केक तैयार करता आ रहा है. ऐसे समय में जब फूड बिजनेस में बड़े-बड़े […]
कोलकाता : अपनी परंपरागत मिठाइयों के हद से ज्यादा शौकीन बंगालियों के दिलों में एक यहूदी के केक के लिए भी एक अलग मकाम है. यह नाम है न्यू मार्केट स्ट्रीट स्थित नाहौम, जो पिछले 115 वर्षों से कोलकाता का फेवरिट केक तैयार करता आ रहा है. ऐसे समय में जब फूड बिजनेस में बड़े-बड़े बदलाव हो रहे हैं.
1902 में डोर-टू-डोर मॉडल में शुरू किया था व्यवसाय : इस बेकरी की स्थापना 1902 में एक बगदादी यहूदी नाहौम इजराइल मोरदेकाय ने किया था. भले ही आज कोलकाता में यहूदियों की जनसंख्या दिहाई तक ही सिमट कर रह गयी है, पर एक वक्त था, जब इस शहर में चार से छह हजार यहूदी रहा करते थे. इजराइल ने अपने बेकरी व्यवसाय का आरंभ डोर-टू-डोर मॉडल के के साथ शुरू किया. देखते ही देखते ही उनकी बनायी चीजें न केवल स्थानीय लोगों को आकर्षित करने लगीं, बल्कि आैपनिवेशक शासकों का भी ध्यान आकर्षित करना शुरू कर दिया.
1916 में न्यू मार्केट में खोली दुकान : 1916 में नाहौम एंड संस ने न्यू मार्केट में अपनी दुकान शुरू की, जो आजतक उसी स्थान पर कायम है. इनके लकड़ी के फर्निचर, पुराने जमाने के ग्लास आैर फर्श के स्वरूप आज भी नहीं बदलेे हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि नाहौम के बनाये परंपरागत केक के स्वाद में तनिक भी बदलाव नहीं आया है. इसलिए आज भी पीढ़ी दर पीढ़ी इनके फैन हैं. नाहौम का विख्यात फ्रुट केक हो या टार्ट या फिर मैक्रून, इन क्लासिक रेसेपी ने आज भी लोगों के दिलों में अपनी जगह बना रखी है. यही बात है कि नाहौम आने वाले लोग खास हो या आम, हर मौके पर यहां आना उनके लिए परंपरा सी बन गयी है.
आज भले ही जाली उत्पादों एवं मिलावट के काफी मामले सामने आते हैं. परिवार आधारित इस व्यवसाय को इस बात गर्व है कि पर नाहौम ने अपने ग्राहकों को कभी भी मायूस नहीं किया है. पुराने ग्राहकों के साथ-साथ नाहौम के कर्मचारी भी दशकों से उसके साथ बने हुए हैं.
तीसरी पीढ़ी के मालिक का 2013 में निधन : संस्थापक नाहौम इजराइल मोरदेकाय के तीसरी पीढ़ी के मालिक डेविड नाहौम की 2013 में निधन से इसके ग्राहकों को यह आशंका सताने लगी थी कि कहीं नाहौम बंद न हो जाये. लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय रहे डेविड नाहौम की कोई आैलाद नहीं थी. पर नाहौम परिवार के अन्य सदस्यों व समर्पित स्टाफ ने इसे जारी रखने का काम कर लोगों को राहत पहुंचायी.
वर्तमान में शहर में कई शॉपिंग मॉल वजूद में आ गये हैं. बड़ी संख्या में आधुनिक रेस्तरां खुल गये हैं, जिनमें हर वक्त नयी पीढ़ी की भीड़ लगी रहती है, पर इसके बावजूद नाहौम के आकर्षण में कमी नहीं आयी है आैर सबसे बड़ी बात यह है कि ऐतिहासिक न्यू मार्केट में स्थित इस ऐतिहासिक बेकरी के उत्पादों के स्वाद आज भी वहीं है, जो 115 वर्ष पहले थे. जिसकी गवाही इस शहर के हजाराें लोग देंगे.
न ही लुक बदला आैर न ही टेस्ट
75 वर्षीया जूलिया फर्नांडिज ने सबसे पहले अपने पापा की अंगुली पकड़ कर इस दुकान में प्रवेश किया था, तब उनकी उम्र शायद पांच या छह वर्ष थी. तब से नाहौम उनके जीवन का एक हिस्सा सा बन गया है. अतीत के पन्नों में झांकते हुए जूलिया ने कहा : मैं बचपन से यहां आ रही हूं. यहां कुछ भी नहीं बदला है. न ही लुक आैर न ही टेस्ट, इट्स ऑलवेज सेम. आज भले ही नयी पीढ़ी मॉल की आेर भाग रही है. पर न्यू मार्केट जाने पर नाहौम न जाया जाये, ऐसा तो हो ही नहीं सकता है. यूं तो यहां की सब चीज मुझे पसंद है, पर मैं हमेशा से नाहौम की फ्रुट केक की फैन रही हूं.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement