आशुतोष कुमार पांडेय @ पटना
पटना : बिहार में तेजी से बदलते राजनीतिक घटनाक्रम के बीच विश्वास मत हासिल करने के मात्र 24 घंटों के भीतर, नयी सरकार ने अपने तेवर दिखा दिये हैं. बिहारमें सबसे बड़े माफिया का गढ़मानेजाने वाले,अवैध बालू उत्खननक्षेत्रमें त्वरितएक्शन लेते हुए प्रशासन ने अबतक पांच दर्जन से ज्यादा लोगोंको गिरफ्तार किया है. सूबे के 27 आईएएस, 42 आईपीएस अधिकारियों का तबादला कर दिया गया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पूरी तरह मुखर होकर अपनी बात मीडिया के सामने रख चुके हैं. राजनीतिक जानकारों की मानें, तो नीतीश कुमार ने अपने बयानों से पार्टी के अंदर और बाहर के नेताओं को एक कड़ा संदेश भी दे दिया है. उन्होंने वैसे नेताओं को संदेश दिया है, जो उनकेभाजपाकेसाथजाने के फैसले से असंतुष्ट हैं.उनका इशारा साफ है,संतुष्टहो जायें, वरना लालू के प्रति उनका नरम रुख भारी पड़ सकता है. बिहार की राजनीति को समझने वाले कहते हैं कि नीतीश कुमार ने इस्तीफा देने का फैसला करकेपहले ही राजद को चारों खाने चित कर दिया. इस्तीफे से नीतीश को तात्कालिक फायदा छवि को लेकर हुआ है. वह यह संदेश देने में पूरी तरह कामयाब हो गये हैं कि वह भ्रष्टाचार के सख्त खिलाफ हैं. इसके लिए कुर्सी की कुरबानी भी उन्हें मंजूर है. नीतीश ने मीडिया की चर्चा में आये पार्टी के उन विधायकों को भी इशारों में चेतावनी दे दी है, जिसमें एक गुट सीमांचल के इलाके से आता है और एक गुट जातिगत समीकरण के जरिये लालू के प्रति सहानुभूति जता रहा है.
नीतीश के तेवर तल्ख
नीतीश कुमार सोमवार को पूरी तरह तेवर में दिखे, उन्होंने काफी संभलकर और सोचकर सभी बिंदुओं पर मीडिया से बात की. उन्होंने कहा कि कोई विकल्प नहीं बचने की स्थिति में उन्होंने भाजपा के साथ सरकार बनाने का निर्णय लिया. साथ ही उन्होंने अपने बयान से यह भी जता दिया कि वह एनडीए ही नहीं, पीएम मोदी को 2019 की उम्मीदवारी का सपोर्ट भी कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कोई चुनौती नहीं होगी. मोदी के अलावा कोई और प्रधानमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठ सकता.अब किसी में भी मोदी को हराने की ताकत नहीं है. राष्ट्रीय राजनीति में उनकी भविष्य की भूमिका के बारे में पूछे जाने उन्होंने कहा कि हमारी एक छोटी सी पार्टी है, जो बड़े राष्ट्रीय आकांक्षाएं नहीं पालती. जदयू के मोदी सरकार में मंत्रियों के साथ राष्ट्रीय स्तर पर राजग का हिस्सा बनने की संभावनाओं के बारे में पूछे जाने पर कुमार ने कहा कि जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की पटना में 19 अगस्त को बैठक होगी जिसमें ऐसे सभी मुद्दों पर निर्णय किया जायेगा.
इशारों में दी चेतावनी
बिहार में नयी सरकार बनने के बाद जदयू के वरिष्ठ नेता शरद यादव के बयान पर भी नीतीश कुमार ने प्रतिक्रिया दी. नीतीश कुमार ने शरद यादव के विचारों को कमतर करने का प्रयास करते हुए कहा कि लोकतंत्र में अलग अलग विचार होते हैं. हमारी पार्टी जदयू की मान्यता बिहार में ही है और यहां की पार्टी इकाई के निर्णय का महत्व है और उसने यह निर्णय हमारी मौजूदगी में लिया. नीतीश ने राष्ट्रपति पद के लिए राजग उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को समर्थन के लिए पार्टी के निर्णय से शरद के मतभेद की ओर इशारा करते हुए कहा कि उन्होंने अपनी पार्टी के एक-एक विधायक और सांसदों से बातचीत की और वे पार्टी के निर्णय के साथ रहे. इससे पूर्व शरद यादव ने सोमवार को संसद के बाहर संवाददाताओं से कहा कि यह स्थिति हमारे लिए अरुचिकर है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि गठबंधन टूट गया है. जनता का जनादेश इसके लिए नहीं था. बिहार के 11 करोड़ लोगों ने हमारे गठबंधन का अनुमोदन किया था.
नीतीश का इशारा साफ है-जानकार
फिलहाल, तीन पार्टियों वाले महागठबंधन से नीतीश कुमार के अलग होने के बाद शरद यादव ने विपक्ष के कई नेताओं से मुलाकात की. राजनीतिक जानकार कहते हैं कि शरद यादव की मुलाकात और उसके ठीक बाद नीतीश कुमार का लालू के साथ कांग्रेस के राहुल गांधी पर भी सीधा हमला, यह बताने के लिए काफी है कि नीतीश कुमार चेतावनी देने की मुद्रा में हैं. लालू और महागठबंधन को सपोर्ट करने वाले नेताओं को वह सबक सीखा सकते हैं. नीतीश ने राहुल गांधी पर निशाना साधा, जिन्होंने सांप्रदायिक भाजपा के साथ गठबंधन बनाने के लिए उनकी आलोचना की थी. उन्होंने लालू के धर्मनिरपेक्ष साख पर सवाल उठाते हुए कहा कि धर्मनिरपेक्षता की आड़ में छुपकर भारी पैसा बनाना, क्या यह धर्मनिरपेक्षता है? मुझे किसी से धर्मनिरपेक्षता का प्रमाणपत्र नहीं चाहिए. धर्मनिरपेक्षता का क्या मतलब है? क्या धर्मनिरपेक्षता का मतलब हजारों करोड़ों रुपये की संपत्ति बनाना है? नीतीश के यह तेवर उन नेताओं के लिए पूरी तरह तल्ख हैं, जो अभी भी लालू में सियासी संभावना तलाश रहे हैं.
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