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शहर के सुंदरवन में है गरुड़ का अस्पताल

गरुड़ पुनर्वास केंद्र में चहक रहे हैं 11 गरुड़ भागलपुर : भागलपुर के सुंदरवन वन में बना गरुड़ बचाव और पुनर्वास केंद्र अब गुलजार हाेने लगा है. इस केंद्र में फिलहाल 11 गरुड़ रह रहे हैं. कंबोडिया, असम के बाद भागलपुर के कदवा में ही गरुड़ पाया जाता है. पूरे विश्व में 12 सौ गरुड़ […]

गरुड़ पुनर्वास केंद्र में चहक रहे हैं 11 गरुड़

भागलपुर : भागलपुर के सुंदरवन वन में बना गरुड़ बचाव और पुनर्वास केंद्र अब गुलजार हाेने लगा है. इस केंद्र में फिलहाल 11 गरुड़ रह रहे हैं. कंबोडिया, असम के बाद भागलपुर के कदवा में ही गरुड़ पाया जाता है. पूरे विश्व में 12 सौ गरुड़ हैं, जिसमें से चार सौ गरुड़ भागलपुुर के कदवा में पाये गये हैं. सुंदरवन स्थित पुनर्वास केंद्र में गरुड़ के रहने के लिए सारी व्यवस्था की गयी है. केंद्र में बीमार और चोटिल गरुड़ का उपचार किया जाता है. जब गरुड़ स्वस्थ हो जाता है, तो उसे फिर कदवा गांव ले जाकर छोड़ दिया जाता है. मंदार नेचर क्लब और वन विभाग द्वारा सुंदरवन मेें इस केंद्र को मार्च में ही तैयार कर लिया गया था और इस केंद्र का उद्घाटन 10 जून को पर्यावरण एवं वन विभाग के प्रधान सचिव विवेक कुमार सिंह ने किया था.
भारत का पहला गरुड़ पुनर्वास केंद्र है भी है यहां, रहने के लिए बनी है झोपड़ी
बीमार और चोटिल गरुड़ को रखा जाता हैं यहां
इस केंद्र में बीमार और चोटिल गरुड़ को रखा जाता है. इसके इलाज के लिए एक डॉक्टर को रखा गया है जो चोटिल गरुड़ का इलाज करते हैं. कदवा में सामान्यत: अक्तूबर महीने में गरुड़ आते हैं और फरवरी में फिर चले जाते हैं. मंदार नेचर क्लब के सचिव डॉ सुनील अग्रवाल ने बताया कि कदवा में जो गरुड़ के बच्चे और बड़े गरुड़ गिर कर चोटिल हो जाते हैं, तो उसका इस केंद्र में लाकर इलाज किया जाता है. इस केंद्र से अभी तक चार गरुड़ का इलाज किया गया है और उनको बाद में कदवा में गरुड़ों के झुंड में छोड़ा गया है. उन्होंने बताया कि इस केंद्र में उन्हें सुबह के भोजन में मछली दी जाती है. यह केंद्र नेट से बनाया गया है. केंद्र के चारों ओर से लकड़ी से घेरा गया हैं. गरुड़ के रहने के लिए फूस की झोपड़ी बनायी गयी है जिसमें वे अपना घर मानते हैं.

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