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जर्जर भवन में पढ़ने को विवश हैं छात्र-छात्राएं

कुव्यवस्था . छात्रों को नहीं मिलता है मध्याह्न भोजन, शिक्षक रहते हैं गायब संदेश : कन्या प्राथमिक विद्यालय, फुलाड़ी संसाधनों के अभाव से जूझ रहा है. बच्चों की पढ़ाई पर इसका काफी बुरा असर पड़ रहा है. सरकार हर हाल में सभी को प्राथमिक शिक्षा अनिवार्य करने का नियम बना चुकी है. इसके बावजूद धरातल […]

कुव्यवस्था . छात्रों को नहीं मिलता है मध्याह्न भोजन, शिक्षक रहते हैं गायब

संदेश : कन्या प्राथमिक विद्यालय, फुलाड़ी संसाधनों के अभाव से जूझ रहा है. बच्चों की पढ़ाई पर इसका काफी बुरा असर पड़ रहा है. सरकार हर हाल में सभी को प्राथमिक शिक्षा अनिवार्य करने का नियम बना चुकी है. इसके बावजूद धरातल पर इस नियम की धज्जी उड़ती दिख रही है. अब भी विद्यालय में शत-प्रतिशत छात्र नहीं आ रहे हैं. जबकि सरकार ने शिक्षकों को यह दायित्व दिया है कि हर बच्चा विद्यालय में पढ़ाई के लिए आये. कोई भी बच्चा प्राथमिक शिक्षा से वंचित नहीं रह पाये,
पर शिक्षकों की लापरवाही सरकार के इस अभियान पर भारी पड़ रहा है.
बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो रहा है. इसके बावजूद विभाग के अधिकारी इस पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं. सरकार के लाख प्रयास के बाद भी विभागीय पदाधिकारियों की लापरवाही बच्चों के भविष्य के लिए घातक सिद्ध हो रही है. शिक्षा से छल कार्यक्रम के तहत प्रभात खबर की टीम शिक्षा की वास्तविकता को जानने जब विद्यालय पहुंची,
तो कई तरह की कमियां विद्यालय में दिखाई पड़ी. विद्यालय में शिक्षकों की संख्या कम है. वहीं शिक्षकों की बच्चों की पढ़ाई के प्रति जवाबदेही नहीं दिखाई दी. इससे प्राथमिक विद्यालय में शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गयी है. विभाग के पदाधिकारियों द्वारा समय-समय पर विद्यालय का निरीक्षण नहीं करने से भी शिक्षा व्यवस्था पर काफी बुरा असर पड़ रहा है. सरकार के लाख प्रयास करने के बावजूद कन्या प्राथमिक विद्यालय, फुलाड़ी में शिक्षा में कोई सुधार होते नहीं दिखाई दे रहा है.
छह कमरों में चलता है विद्यालय : प्राथमिक विद्यालय, फुलाड़ी में छह कमरे हैं. इसमें चार नये कमरे तथा दो पुराने कमरे हैं. इसमें छात्रों की पढ़ाई चलती है. पर छात्रों की उपस्थिति काफी कम थी. कमरों की हालत काफी दयनीय है. कमरों की छत से बरसात में पानी टपकता है. इससे छात्रों को काफी परेशानी होती है तथा पढ़ाई पर इसका बुरा असर पड़ता है.
जमीन पर बैठ कर पढ़ने को मजबूर हैं छात्र : सरकार के लाख दावे व विकास के दौर में भी छात्र जमीन पर बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं. जबकि बेंच, डेस्क व अन्य संसाधनों पर सरकार लाखों रुपये खर्च करती है. इसके बाद भी छात्रों को संसाधन का लाभ नहीं मिल पा रहा है. इससे उनकी पढ़ाई पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है.
दो चापाकल हैं, दोनों हैं खराब
विद्यालय में बच्चों को पानी पीने के लिए दो चापाकल लगाये गये हैं. पर दोनों खराब हैं. इससे चापाकल का उपयोग नहीं हो पा रहा है. मजबूरी में छात्रों व शिक्षकों को बाहर से पीने के लिए पानी लाना पड़ता है. इससे छात्रों को काफी परेशानी होती है. वहीं उनकी पढ़ाई पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है. बाहर से पानी लाने के कारण छात्रों के समय की बरबादी होती है. जबकि पानी निहायत जरूरी है. पर महीनों से खराब पड़े चापाकल को न तो विद्यालय प्रशासन और न ही शिक्षा विभाग द्वारा इसकी मरम्मत करायी जा रही है.
तीन शिक्षकों से होती है छात्रों की पढ़ाई
विद्यालय में तीन शिक्षक हैं. इनके सहारे छात्रों की पढ़ाई होती है. प्रभात खबर की टीम जब शिक्षा की स्थिति के बारे में जानने के लिए विद्यालय पहुंची, तो महज एक शिक्षक प्रमोद कुमार चौधरी ही उपस्थित थे. वह भी मतदाता सूची बनाने में मशगूल थे. पूछने पर उन्होंने बताया कि मुझे बीएलओ बनाया गया है. इस कारण मतदाता सूची का काम कर रहा हूं. प्रभारी प्रधानाध्यापिका नीलू कुमारी तथा सहायक शिक्षिका अफसाना खातून बिना सूचना के विद्यालय से गायब थे. किसी भी वर्ग में शिक्षक पढ़ाते नहीं मिले. वहीं छात्र पढ़ने की जगह खेलने में मशगूल थे. जो वर्षों पहले का नजारा प्रस्तुत कर रहा था.
प्राथमिक विद्यालय में बने हैं दो शौचालय
स्वच्छ भारत मिशन के तहत विद्यालय में कहने को तो दो शौचालय बनाये गये हैं. पर रखरखाव के अभाव में शौचालय गंदगी का पर्याय बन गये हैं. शौचालय से दुर्गंध निकलता है. इस कारण छात्र शौचालय का उपयोग नहीं कर पाते हैं. वहीं शिक्षक भी इसका उपयोग नहीं करते हैं. शौचालय निर्माण का उद्देश्य विद्यालय में पूरा नहीं हो पा रहा है. जबकि उच्चतम न्यायालय ने सभी विद्यालय में छात्रों की सुविधा के लिए शौचालय निर्माण का आदेश वर्षों पहले दिया है. पर शौचालय निर्माण की खानापूर्ति की जा रही है. साफ-सफाई नहीं हो रही है.
बच्चों को नहीं मिलता है मध्याह्न भोजन
विद्यालय में बच्चों को मध्याह्न भोजन नहीं दिया जाता है. जबकि सरकार मध्याह्न भोजन पर लाखों खर्च करती है. मेनू के अनुसार प्रतिदिन अलग-अलग तरह का भोजन छात्रों को देने का प्रावधान है. वहीं प्रति छात्र भोजन की मात्रा भी निर्धारित की गयी है. छात्रों को स्कूल लाने तथा पढ़ाई के प्रति अभिरुचि जगाने के लिए मध्याह्न भोजन को सरकार ने माध्यम के रूप में प्रयोग करने की योजना बनायी है. पर शिक्षकों की लापरवाही, लालफीताशाही व भ्रष्टाचार के कारण छात्र इस योजना से विद्यालय में वंचित हो रहे हैं. प्रभात खबर की टीम जब खाना बनाने स्थान पर गयी तो चूल्हा काफी दिनों का टूटा हुआ नजर आया.
क्या कहते हैं शिक्षक
मैं बीएलओ का भी काम कर रहा हूं. प्रभारी प्रधानाध्यापिका कहां है, मुझे इसकी जानकारी नहीं है. वहीं सहायक शिक्षिका अफसाना खातून के संबंध में भी कोई जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा कि छात्रों व शिक्षकों की उपस्थिति पंजी प्रभारी प्रधानाध्यापिका ताले में बंद कर रखती है. मैं भी अपना सोमवार से उपस्थिति नहीं बनाया हूं. छात्रों की संख्या का भी वर्ग वार मुझे जानकारी नहीं है.
प्रमोद कुमार चौधरी, सहायक शिक्षक

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