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ऑटो चालक की बेटी निधि झा की आइआइटी में सफलता की कहानी फ्रेंच मूवी द बिग डे अब चीनी भाषा में भी

सफलताका सूत्र है संकल्प! पिछले दिनों फ्रेंच फिल्म ‘दबिग डे’ चीनी भाषा में डबहोकर चीन में चल रही है. फिल्म को काफी बढ़िया रिस्पांस भी मिल रहा है. फ्रेंच में ये फिल्म 2015 में रिलीज हुई थी. इस फिल्म में चार युवा पात्र हैं, जो दुनिया के चार विभिन्न देशों के हैं और जो घोर […]

सफलताका सूत्र है संकल्प!

पिछले दिनों फ्रेंच फिल्म ‘दबिग डे’ चीनी भाषा में डबहोकर चीन में चल रही है. फिल्म को काफी बढ़िया रिस्पांस भी मिल रहा है. फ्रेंच में ये फिल्म 2015 में रिलीज हुई थी. इस फिल्म में चार युवा पात्र हैं, जो दुनिया के चार विभिन्न देशों के हैं और जो घोर विपरीत परिस्थितियों में जीवन में आगे बढ़ते हैं. इसी में एक पात्र की कहानी अपने देश से जुड़ी है. ये कहानी है निधि झा की, जिसने 2014 में आइआइटी की परीक्षा में सफलता हासिल की थी. निधि झा बनारस की रहनेवाली है और एक ऑटो ड्राइवर सुनील कुमार झा की बेटी है. निधि की तीन बहन और एक भाई है. फिल्म में दिखाया गया है कि किस तरह निधि के जन्म के बादपारंपरिक भारतीय परिवार की तरह पुत्र की चाहत में निराशा का भाव था. लेकिन, उसी निधि ने 2014 में आइआइटी में सफलता प्राप्तकर परिवार का मान बढ़ा दिया है. आज निधि आइएसएम(आइआइटी) धनबाद में सिविल इंजीनियरिंग में अंतिम वर्ष में पढ़ाई कर रही है. साल 2014 में आइआइटी में सफलता के बाद निधि का जीवन सुखियों में है.

चीनी भाषा में डब होकर चीन में चल रही फ्रेंच फिल्म‘द बिग डे’ में दिखाया गया है कि किस तरह निधि झा के जन्म के बाद पारंपरिक भारतीय परिवार की तरह पुत्र की चाहत में निराशा का भाव था. लेकिन, निधि ने 2014 में आइआइटी में सफलता प्राप्त कर परिवार का मान बढ़ा दिया

वो अपने जीवन में सफलता का श्रेय दो इंसानों को देती है. पहला श्रेय अपने पिता को देते हुए निधि कहती हैं कि उनके पिता सुनील कुमार झा स्कूल ड्राप आउट हैं. बनारस की गलियों में ऑटो चला कर अपने परिवार का लालन-पालन करते रहें. लेकिन, उन्हें कभी किसी तरह की आर्थिक परेशानी नहीं आने दी. निधि ने दसवीं की पढ़ाई के बीबीसी के इंटर कॉलेज और बारहवीं की परीक्षा सेंट्रल हिन्दू गर्लस्कूल ,बनारस से की. उसके मुताबिक, सेंट्रल हिन्दू गर्ल स्कूल में ग्यारहवीं में नामांकन को अपने जीवन की सफलता की पहली कड़ी मानती है. फिर बारहवीं के बाद आनंद कुमार सुपर 30 में दाखिले ने उसके जीवन को बदल कर रख दिया. सुपर 30 में पढ़ने से ना सिर्फ उन्हें आइआइटी में दाखिला मिला, बल्कि उसके जीवन के प्रतिनजरिये को भी बदला. सुपर 30 में पढ़ने के दौरान ही फिल्म बनाने वाली टीम पटना आयी और उनका चयन मूवी के पात्र के रूपमें हो गया. निधि कहती हैं कि जीवन में आगे बढ़ने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है संकल्प. अगर संकल्पकर कठिन मेहनत करें, तो कोई भी लक्ष्य पाया जा सकता है.

निधि अपने को बहुत खुशकिश्मत मानती है किउन्हें जीवन में बढ़िया लोग ही मिलें. उनका मानना है कि आप दूसरों के लिए सकारात्मक सोच रखें, तो तय मानिये, आपके साथ भी बेहतर ही होगा.

बी-पॉजिटिव

विजय बहादुर

vijay@prabhatkhabar.in

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