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कॉलेबोरिज्म : ऑनलाइन इन्क्यूबेटर के जरिये भारत व नेपाल के स्टार्टअप को मिल रही मदद

स्टार्टअप के लिए कई बार आपके पास आइडिया तो होता है, लेकिन फंड नहीं मिल पाने के कारण उसे व्यावहारिक रूप देना मुश्किल हो जाता है. इन सभी के होने के बावजूद जरूरी नहीं कि आपका प्रोडक्ट कामयाब हो ही जाये, क्योंकि पर्याप्त मांग का होना भी जरूरी फैक्टर है. कई आइडिया और कॉन्सेप्ट इस […]

स्टार्टअप के लिए कई बार आपके पास आइडिया तो होता है, लेकिन फंड नहीं मिल पाने के कारण उसे व्यावहारिक रूप देना मुश्किल हो जाता है. इन सभी के होने के बावजूद जरूरी नहीं कि आपका प्रोडक्ट कामयाब हो ही जाये, क्योंकि पर्याप्त मांग का होना भी जरूरी फैक्टर है.
कई आइडिया और कॉन्सेप्ट इस कारण भी आगे नहीं बढ़ पाये. कॉलेबोरिज्म एक ऐसा ही संगठन है, जो विविध देशों के युवा उद्यमियों को उनके आइडिया को धरातल पर उतारने में मदद मुहैया कराता है. भारत व नेपाल से जुड़े और चर्चित रहे ऐसे ही कुछ आइडिया व उनके व्यावहारिक पहलुओं को रेखांकित कर रहा है आज का स्टार्टअप पेज …
नेपाल में वर्ष 2015 में आयी भयावह भूकंप के बाद मदिंद्र अार्यल को बिना बिजली के कई दिनों तक एक टेंट में गुजारा करना पड़ा था. उनके पड़ाेसियों और मोहल्ले के ज्यादातर लोगों को भी कई दिनों तक पूरी तरह से अंधेरे में रात गुजारनी पड़ी थी. इतना ही नहीं, उनके पास अपना मोबाइल फोन तक चार्ज करने का कोई उपाय नहीं था. रिश्तेदारों को उनसे संपर्क करने और उनका हालचाल जानने में बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा था. इस घटना ने आर्यल को भीतर तक झकझोर दिया और कुछ नया करने के लिए प्रेरित किया.
ऐसे हालातों में लोगों को फिर कभी इस तरह की समस्याओं का सामना नहीं करना पड़े, इसके लिए इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर युवा मदिंद्र अार्यल ने खास आइडिया पर काम करना शुरू कर दिया. इसके लिए उन्होंने सोलर-पावर्ड सेलफोन चार्जर विकसित किया. इसकी बड़ी खासियत है कि इसकी लागत बहुत कम है, ताकि नेपाल में ग्रामीण आबादी को कम कीमत पर मुहैया करायी जा सके.
हालांकि, वे इस बात को समझते थे कि इतना बड़ा काम वे अकेले ही नहीं कर पायेंगे, इसके बावजूद अपने दम पर उन्होंने ‘नेपाल्स लाइट’ नाम से एक प्रोजेक्ट की शुरुआत की. इस प्रोजेक्ट के लिए रकम का जुगाड़ करना आसान नहीं था, वह भी नेपाल जैसे गरीब देश में.
कॉलेबोरिज्म का सहयोग
आर्यल ने अपनी कोशिश जारी रखी और न्यू यॉर्क आधारित एक संगठन कॉलेबोरिज्म के जरिये उन्हें बहुत मदद मिली. इससे अपने आइडिया को उन्हें आरंभिक स्तर पर खड़ा करने के लिए प्रोत्साहन मिला. प्री-इन्क्यूबेशन स्टेज में फंड उगाही करना आसान नहीं होता, क्याेंकि इस दौरान स्टार्टअप संचालनकर्ता को ज्यादातर मामलों में अपना बिजनेस प्लान और यहां तक कि वर्किंग प्रोटोटाइप भी देना होता है.
दो सप्ताह में बनाया प्रोटोटाइप
मदद मुहैया कराने के लिए कॉलेबोरिज्म ने आर्यल को सबसे पहले ‘घाम पावर नेपाल’ से जोड़ा. इससे पहले वे नेपाल से रकम ट्रांसफर करने के लिए ‘थमेल डॉट कॉम’ के बाल जोशी से अपनी ओर से डील कर चुके थे. इन संसाधनों की बदौलत भूकंप आने के महज दो सप्ताह बाद ही वे इसका प्रोटाेटाइप बनाने में सक्षम हो सके. ‘न्यू यॉर्क टाइम्स’ में प्रकाशित एक लेख के हवाले से ‘इकोनोमिक टाइम्स डॉट इंडिया टाइम्स डॉट कॉम’ की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रोटोटाइप बनाने के बाद 500 चार्जर का निर्माण किया गया, जिनकी कीमत 2,500 रुपये रखी गयी और भूकंप से सर्वाधित प्रभावित इलाकों में इसकी डिलीवरी की गयी.
क्राउडफंडिंग से मदद
कॉलेबोरिज्म की मदद से क्राउडफंडिंग साइट ‘इंडिएगोगो’ के जरिये नेपाल्स लाइट 10,877 डॉलर की रकम उगाहने में कामयाबी रहा. इस फंड की मदद से आर्यल ने 500 और चार्जर का निर्माण किया, जिन्हें मुसीबत के समय अंधेरे में गुजारा करने वाले ग्रामीण इलाकों में रहने वाले नेपाल वासियों को मुफ्त में बांटा गया. प्रोडक्ट को ज्यादा बेहतर बनाने के मकसद से कॉलेबोरिज्म ने आर्यल की मदद के लिए साप्ताहिक चर्चा के लिए एक पैनल बनाया. इन परिचर्चाओं के बाद उन्होंने यह फैसला किया कि अब वे मेटल की बजाय प्लास्टिक के इस्तेमाल से कम वजन वाले चार्जर बनायेंगे.
कामयाबी की राह
कारोबार शुरू करने से पहले रखें इन चीजों का ध्यान
नौकरीपेशा बहुत से लोग अपनी जिंदगी में किसी-न-किसी मोड़ पर अपना बिजनेस शुरू करने के बारे में सोचते हैं. लेकिन, इसमें सामने आने वाली चुनौतियों, बाधाओं और अनुभव की कमी के कारण वे इस दिशा में आगे नहीं बढ़ पाते हैं.
सरकार की आेर से स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए अनेक स्कीम्स शुरू की गयी है. आप चाहें तो इसका फायदा उठा सकते हैं और आप भी शुरू कर सकते हैं अपने पसंद का कारोबार. जानते हैं कुछ प्रमुख टिप्स के बारे में :
जल्दबाजी में शुरुआत नहीं : व्यापार शुरू करना हिम्मत और हौसले का काम है. जल्दबाजी में शुरू किया गया कारोबार आगे चल कर आपके लिए परेशानी का सबब बन सकता है. इसके लिए जरूरी है कि आप जिस स्टार्टअप या कारोबार की शुरुआत करने जा रहे हैं, उस के बारे में पूरी तरह से जानकारी हासिल कर लें. किस तरह का स्टार्टअप शुरू करना है, इस बारे में गहनता से विचार करना जरूरी है. इंटरनेट के जरिये आप संबंधित विविध जानकारियां हासिल कर सकते हैं.
योग्यता व क्षमता : शुरुआत अपनी योग्यता व क्षमता के अनुकूल ही करना चाहिए. यह जरूरी नहीं कि कारोबार बहुत बड़ा हो. आप अपनी क्षमता और योग्यता के मुताबिक ही किसी प्रकार का सामान्य कारोबार शुरू कर सकते हैं.
आपमें यदि क्षमता है, तो आप छोटे से कारोबार को भी कम समय में बहुत ऊंचाई पर पहुंचा सकते हैं. इसके लिए पहले आपको अपनी क्षमता को पहचानना होगा. अाप अपनी दक्षता व क्षमता को पहचान कर काम करेंगे, तो निश्चित रूप से आपको कामयाबी मिलेगी.
किसी कारोबार की कॉपी नहीं करें : कई बार किसी खास कारोबार में आयी अचानक तेजी और उसके मुनाफे को देखते हुए नये व्यवसायी उसी बिजनेस मॉडल को अपना लेते हैं.
लेकिन जरूरी नहीं कि वह आपके लिए फायदेमंद साबित हो. आप यदि नया व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं, तो इस बात का ख्याल रखें कि बाजार में उसकी दशा सामान्य होनी चाहिए. नया बिजनेस मॉडल सभी लोगों की समझ में नहीं आता, जिस कारण आप नये ग्राहकों को अपने साथ नहीं जोड़ पायेंगे, जबकि इस मॉडल के तहत जो ग्राहक हैं, वे पुराने व्यवसायी से साथ बनाये रखना चाहेंगे. ऐसे में नये ग्राहक तलाशना थोड़ा मुश्किल होगा़
हम यदि यह चाहते हैं कि कोई उद्यमी तीसरे पायदान से चढ़ कर 60वें तक पहुंचे, तो हमें ज्यादा-ये-ज्यादा युवा उद्यमियों को प्रोत्साहित करना होगा, ताकि वे शून्य से आगे बढ़ें और सबसे पहले वे तीसरे पायदान तक पहुंच सकें.
स्टीवेन रियूबेन्स्टन, कॉलेबोरिज्म के फाउंडर और चीफ एग्जीक्यूटिव
व्यावहारिक रूप नहीं ले सका जीपीएस से लैस जूता
यह जरूरी नहीं कि सभी आइडिया काम कर ही जायें. मांग कम होने या उद्यमियों की दिलचस्पी कम होने या फिर अनेक ऐसे कारण होते हैं, जिनके चलते कुछ आइडिया काम नहीं कर पाते. उदाहरण के तौर पर भारत में कंप्यूटर साइंस इंजीनियर 22 वर्षीय नरेंद्रन अशोकन जीपीएस से लैस ऐसा जूता बनाना चाहते थे, जिससे गुम हो चुके या अपहरण कर लिये गये बच्चे की लोकेशन को जाना जा सके.
लेकिन, इसके लिए बड़ी समस्या जूते की बैटरी बनाने में इस्तेमाल किये जाने वाले केमिकल सॉल्ट की थी. इस कारण से उन्हें इस प्रोजेक्ट को रोक देना पड़ा. हालांकि, वे रुके नहीं और साइंकोटोनिक नामक एक अन्य स्टार्टअप की शुरुआत की.
स्टार्टअप क्लास
फूड-वेस्ट को रीसाइकिल कर बना सकते हैं उपयोगी उत्पाद
ऋचा आनंद
बिजनेस रिसर्च व एजुकेशन की जानकार
फूड-वेस्ट को रीसाइकिल करने के कॉन्सेप्ट पर आधारित किसी स्टार्टअप की शुरुआत की जा सकती है? विस्तार से बतायें.
रीसाइक्लिंग हमारे जागरूक
समाज की जरूरत बनती जा रही है. इनमें आज एक बड़ा हिस्सा घरों और रेस्टोरेंट में बचा हुआ खाना और खाद्य पदार्थ का है. बहुत समय यह कचरे में ही चला जाता है. विकसित या जागरुक देशों में वेस्ट रीसाइकिल कर उससे खाद और कंपोस्ट बनाया जाता है. यह कारोबार खास कर बड़े शहरों में अच्छा चल सकता है. इसके लिए पहले आपको कुछ इंतजाम करने होंगे, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं :
(क) सोर्स के साथ : आप जहां से भी फूड-वेस्ट सोर्स करना चाहते हैं, उनके साथ आपको एक व्यवस्था बनानी होगी, जिससे आपको फूड वेस्ट सही तरीके से मिलता रहे. आपको घरों और रेस्टोरेंट मालिकों को सजग करना पड़ेगा, ताकि फूड वेस्ट लेते समय उसमें और दूसरे तरह का वेस्ट न मिलाया गया हो. आप अपनी ओर से उन जगहों पर स्पेशल फूड-वेस्ट बिन रखवा सकते हैं.
(ख) ट्रांसपोर्ट की सुविधा : फूड-वेस्ट रीसाइकिल करने के लिए सक्षम ट्रांसपोर्ट सुविधा होनी चाहिए.
(ग) खाद और कंपोस्ट के उत्पाद : फूड-वेस्ट जमा होने के बाद उनको खास मशीनों की मदद से कंपोस्ट में बदला जाता है. इसके लिए आपके पास जरूरी सुविधाएं होनी चाहिए या ऐसे उत्पादकों से अनुबंध होना चाहिए, जिनके मदद से आप कंपोस्ट बना सकें.
(घ) कंपोस्ट और खाद की बिक्री : खाद और कंपोस्ट के मार्केट में आपकी पहुंच होनी चाहिए, जिससे आप अपने उत्पाद को ग्राहकों तक पहुंचा सकें. आपको अपने खाद के ग्रेड, क्वालिटी आदि की जांच करानी होगी और उसको प्रमाणित करके रखना होगा, जिससे आपकी विश्वसनीयता बढ़े.
इंश्योरेंस सेक्टर में भी हैं व्यवसाय की संभावनाएं
इंश्योरेंस टेक्नोलॉजी क्या है? आजकल यह ज्यादा प्रचलित है. क्या इससे संबंधित किसी कारोबार की शुरुआत की जा सकती है? कृपया समुचित जानकारी प्रदान करें.
इंश्योरेंस टेक्नोलॉजी इंश्योरेंस बिजनेस का उभरता हुआ आयाम है. आधुनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए इंश्योरेंस कंपनियों को ऑटोमेशन की तरफ बढ़ना पड़ रहा है. ग्राहकों से जानकारी अर्जित करने से लेकर पॉलिसी इश्यू करना, क्लेम नोटिस लेना, क्लेम को प्रोसेस करना जैसे सारे काम ऑटोमेट कर दिये जाते हैं. ग्राहक ये सारी चीजें वेबसाइट या एप के जरिये कर पाते हैं. इससे ग्राहकों और कंपनियों दोनों को फायदा हो रहा है.
इंश्योरेंस कंपनियों के अंडर-राइटर्स को ग्राहकों के बारे में सटीक और सही जानकारी प्राप्त हो रही है, क्योंकि ये जानकारी उन्हें ग्राहकों से सीधे मिल रही है.
अंडर-राइटर्स इस जानकारी की वजह से सही प्रोडक्ट बनाने और लांच करने में कामयाब हो पाते हैं और मार्केट के हिसाब से प्रोडक्ट लांच कर पाते हैं. ग्राहकों को भी ऑटोमेटेड प्रोसेस की वजह से सही जानकारी प्राप्त हो पाती है और जरूरत के हिसाब से ही वे सही प्रोडक्ट का चयन कर पाते हैं. इसके कारण पॉलिसी बन जाने के बाद ग्राहकों में संतुष्टि रहती है और भविष्य में भी ये ग्राहक कंपनी से जुड़े रहते हैं.
इस कारोबार से जुड़ने के लिए आप इंश्योरेंस कंपनी के सेल्स एजेंट या थर्ड पार्टी एजेंट बन सकते हैं. आपको उनके ऑटोमेटेड सिस्टम, वेबसाइट और मोबाइल एप को बैक-एंड से संभालने होंगे और सारे डॉक्यूमेंटेशन, ग्राहक के वेरिफिकेशन जैसी प्रक्रिया को अपने हाथ में लेना होगा. इससे कंपनी के कागजी काम आउटसोर्स होंगे, साथ ही मानवीय भूल की आशंका कम होगी. आप कमीशन से अपने कारोबार को विस्तार दे सकेंगे. कंपनियों के डिजिटल के साथ यदि आप अपने नेटवर्क को मजबूत कर सके, तो कारोबार बढ़ने की भी अच्छी संभावना रहेगी.

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