चाईबासा से लौट कर जीवेश
चार कमजोर सी कुर्सियों और एक बेंचवाले पुराने से बरामदा में एक पुराने टेबल के पीछे बैठे व्यक्ति को देख नहीं लगा कि यह व्यक्ति पांच बार का सांसद, चार बार का विधायक, मंत्री रहे बागुन सुम्ब्रुई हैं. अपने पास आये हुए लोगों की समस्याओं को सुन कर उसका समुचित जवाब और उनके लिए कहीं-कहीं फोन करने की प्रक्रिया के बाद जब वह हमसे मुखातिब हुए, तो लगा नहीं कि वह 94 वर्ष के बुजुर्ग हैं या कोई नौजवान. बिंदास अंदाज में उन्होंने झारखंड से लेकर देश और कांग्रेस से लेकर भाजपा तक की समीक्षा कर डाली.
बागुन दा ने कहा कि कांग्रेस रसातल में जा रही है. ठीक होने का कोई रास्ता नहीं दिखता. इसे बचाने के लिए भी कोई आगे नहीं आ रहा. मां-बेटा दोनों लीडर हैं, कोई बाहर से नहीं. अगर मां-बेटा पार्टी चलायेगा, तो क्या होगा. बेटा को प्रधानमंत्री बनाना है, तो यही होगा. अब खानदानी सिस्टम नहीं चलेगा. यह सुधरना भी नहीं चाह रहा.
अभी राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति के चुनाव में भी यह दिखा. अगर हमेशा लीडर घर से खोजा जायेगा, तो यही होगा. हमने भी ऐसा किया, पर जब हमने देखा कि यह गलत है, तो हमने बदलाव किया. अब हमारा कोई उत्तराधिकारी नहीं है. भाजपा की चर्चा करते हुए कहते हैं कि कहीं कोई काम नहीं दिख रहा. राज्य से लेकर देश तक कोई काम नहीं दिखता. हां, आंकड़ों का खेल है, क्योंकि भाजपा की कमान जादूगर के पास है.
उन्होंने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बारे में कहा कि अब तो जांच होने दें. पर, लालू जी ने राबड़ी देवी को, जो अनपढ़ थीं, उनको राज दे दिया. लालू जी भी जादूगर हैं, राबड़ी देवी ने अनपढ़ होते हुए भी 10 साल तक शासन चला दिया.
जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों से हैं नाराज
बागुन दा कहते हैं कि सब अधिकारी घूस देकर आये हैं. कोई कुछ नहीं सुनता. जनप्रतिनिधि भी अब सही बात नहीं सुनते हैं. अब पैसे का युग है, सब पैसा के पीछे भाग रहे हैं. ऐसे में यही हाल होगा. मुखिया से लेकर सब एक जैसे हो गये हैं. यहां प्राथमिक शिक्षक की बहाली हो रही है, पर उसमें भी वैसे लोगों रखा जा रहा है, जो स्थानीय भाषा नहीं जानते, कैसे पढ़ायेंगे. यह कौन-सा विकास है कि यहां के स्थानीय लोगों को उसकी भाषा से दूर कर दिया जाये. आज जबकि सिर्फ मुखिया बन जाने पर ही लोग भव्य मकान और गाड़ियों के मालिक बन जाते हैं, वैसे में आज भी दो कमरों के एक अधूरे और जर्जर घर में रहनेवाले बागुन दा से इस संबंध में पूछने पर हंसने लगे. कहा, ‘हमने बड़ों से सुना है कि आदमी को क्या चाहिए. लाज बचाने भर कपड़ा, रहने भर को मकान और पेट भरने को अनाज. इतना मेरे पास है. इससे ज्यादा की जरूरत किसे है. सब तो यहीं छोड़ कर जाना है.’