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‘गुप्त मतदान होता तो नीतीश हो जाते चित’

विश्वासमत को लेकर अब्दुल बारी सिद्दीकी दिखे खिन्न पटना : शुक्रवार को विधानसभा में विश्वासमत को लेकर अपनाये गये रवैये पर पूर्व वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी काफी खिन्न दिखे. उन्होंने कहा कि विश्वासमत हासिल करने के लिए हुई कार्रवाई में अजीब विडंबना देखी गयी. अगर गुप्त मतदान होता तो नीतीश कुमार विश्वासमत हासिल नहीं […]

विश्वासमत को लेकर अब्दुल बारी सिद्दीकी दिखे खिन्न
पटना : शुक्रवार को विधानसभा में विश्वासमत को लेकर अपनाये गये रवैये पर पूर्व वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी काफी खिन्न दिखे. उन्होंने कहा कि विश्वासमत हासिल करने के लिए हुई कार्रवाई में अजीब विडंबना देखी गयी. अगर गुप्त मतदान होता तो नीतीश कुमार विश्वासमत हासिल नहीं कर सकते थे. वे चारो खाने चित होते. नीतीश कुमार ने जो काम किया उससे जदयू विधायक में खुद घोर निराशा है.
जदयू विधायकों को डरा-धमका कर रखा गया. हाउस के अंदर स्पीकर का विशेषाधिकार होता है. दो बजे के बाद भी सत्र चल सकता था. लेकिन, आनन-फानन में कार्रवाई खत्म की गयी. नीतीश कुमार दूसरे भजनलाल हो गये हैं. इधर, पूर्व केंद्रीय मंत्री सह सपा प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि जो आदमी ‘संघमुक्त भारत’ बनाने की वकालत करते नहीं अघाते थे, उनके समाजवादी मुखौटा का पोल खुल गया है.
पटना : सरकार से अलग होने के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने नीतीश कुमार पर लोकतंत्र की हत्या का आरोप लगाया. विधान परिषद परिसर में उन्होंने कहा कि महागठबंधन के साथ नीतीश कुमार ने जो विश्वासघात किया उसे देश की जनता याद रखेगी. आज का दिन काला दिवस के रूप में लोग जानेंगे.
जनप्रतिनिधियों को हाइजैक कर सरकार बनाने का काम हुआ है. जो सरकार बनी है, वह जोड़तोड़ की सरकार है. 2015 में जनता ने महागठबंधन को जनादेश दिया था. नीतीश कुमार सांप्रदायिक शक्तियों के साथ मिल गये. जिसे हमलोग नेता बनाये थे, वही चले गये तो क्या कहा जाये. विधान पार्षद दिलीप चौधरी ने कहा कि जनादेश का अपमान हुआ है.
जिस भाजपा ने डीएनए पर सवाल उठाये, उसी की गोद में चले गये नीतीश : सदानंद सिंह
विश्वासमत के दौरान कांग्रेस विधायक दल के नेता सदानंद सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बहुत बड़ी अपेक्षा थी. इस तरह से वे महागठबंधन से अलग हो जायेंगे, यह सोच भी नहीं सकते थे. जिस भाजपा ने उनके डीएनए पर सवाल उठाये थे, उसी की गोद में फिर से चले गये हैं.
उन्होंने कहा कि महागठबंधन की सरकार अच्छी चल रही थी. कहीं कोई परेशानी नजर नहीं आ रही थी. ऐसा तो अचानक नहीं हुआ होगा. यह पूरी तरह सुनियोजित लगती है. राष्ट्रपति चुनाव में वोट एनडीए प्रत्याशी को देना, विपक्ष की बुलायी बैठकों में नहीं जाना और मॉरीशस के राष्ट्रपति के सम्मान में पीएम की ओर से दी गयी भोज में शामिल होना, इससे ऐसा लग रहा है सारा मामला सुनियोजित है.

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