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कालाबाजारी में वर्चस्व को लेकर दी थी हत्या की सुपारी

गोरखधंधा. राशन की हेराफेरी में काम कर रहा सिंडीकेट गया : राशन की कालाबाजारी करनेवाले अब एक-दूसरे की जान के दुश्मन बन बैठे हैं. वजह वर्चस्व में धंधा व कमीशन है. यह बात बीते दिनों बुनियादगंज में पकड़े गये तीन सुपारी किलर से हुई पूछताछ में पुलिस के सामने आयी है. पूछताछ में यह बात […]

गोरखधंधा. राशन की हेराफेरी में काम कर रहा सिंडीकेट

गया : राशन की कालाबाजारी करनेवाले अब एक-दूसरे की जान के दुश्मन बन बैठे हैं. वजह वर्चस्व में धंधा व कमीशन है. यह बात बीते दिनों बुनियादगंज में पकड़े गये तीन सुपारी किलर से हुई पूछताछ में पुलिस के सामने आयी है. पूछताछ में यह बात भी सामने आयी है कि राशन डीलर की हत्या की सुपारी देने वाला उसी सिंडिकेट का सदस्य है, जिसे अब न तो धंधे में कमीशन दिया जाता है और न ही अन्य जानकारी. लिहाजा अब वह ग्रुप पर वर्चस्व रखने वाले को ही ठिकाने लगाने की फिराक में जुट गया है. इस बात का प्रमाण बुनियादगंज पुलिस द्वारा की गयी पूछताछ में पकड़े गये तीन सुपारी किलर ने स्वीकारा है कि उन्हें सुपारी अर्जुन साव व अंबिका साव ने ही दी थी. अंबिका साव पकड़े गये दलजीत साव का बहनोई भी है.
फतेहपुर प्रखंड में राशन की कालाबाजारी बड़े स्तर पर होता है. कालाबाजारी करने वालों का एक बड़ा ग्रुप है. उसमें राशन डीलर के अलावा क्षेत्र के दबंग लोग भी शामिल हैं. यह खेल बीते दो दशक से चल रहा है. सूत्रों का कहना है कि इस खेल में स्थानीय प्रशासन की भूमिका भी अहम है. इनके बगैर कालाबाजारी के धंधे को गति दिया जाना संभव नहीं है. सूत्रों का कहना है कि फतेहपुर प्रखंड में दस लोग ऐसे हैं जो इस धंधे में वर्षों से जुटे हैं. दस में से तीन की मौत हो चुकी है. वहीं, राशन डीलर सुरेंद्र सिंह की मौत का रहस्य अब भी फाइलों में दबा पड़ा है. पुलिस उनकी मौत की वजह सड़क हादसा बताती है, लेकिन उनके गांव वाले उनकी मौत को संदेहास्पद बताते हैं.
फिलहाल फतेहपुर के राशन डीलर रामानंद यादव सिंडिकेट के कुछ सदस्यों के टारगेट पर हैं. हालांकि, पुलिस अब तक उस व्यक्ति को नहीं पकड़ सकी है, जिसने रामानंद यादव की जान की कीमत एक लाख रुपये लगायी थी और उसने सुपारी किलर को एडवांस में दस हजार रुपये भी दे दिये थे. गनीमत रही कि सुपारी किलर बुनियादगंज पुलिस के हत्थे बीते बुधवार को चढ़ गये. जानकारी के अनुसार, किसी जमाने में रामानंद यादव सुरेंद्र सिंह का मुंशी हुआ करता था. सुरेंद्र सिंह की मौत के बाद रामानंद ही पूरे नेटवर्क को चलाता है. रामानंद अपने गांव डूबा में पीडीएस की दुकान चलाता है.
हाल ही में पकड़ा गया है सरकारी राशन : पुलिस व प्रशासन की पहल पर हाल ही में कालाबाजारी के राशन की बड़ी खेप पकड़ी गयी थी. फतेहपुर के गोहरा के देवलाल का 495 बोरा पकड़ा गया था. सूत्रों का कहना है कि सिंडिकेट से जुड़े सदस्यों की मुखबिरी के आधार पर राशन की बड़ी खेप पकड़ी जा सकी थी.
करीब 10 लोगों का है ग्रुप, बीते दो दशक से कर रहा काम
स्थानीय प्रशासन की संलिप्तता से चलता है कारोबार
कुछ इस तरह होती है ब्लैक मार्केटिंग
सूत्रों का कहना है कि सिंडिकेट से जुड़े लोग राशन डीलर से प्रत्येक के चालान बुक ले लेते हैं और वह खुद गोदाम से माल उठाते हैं. इसके बाद वह उस माल को बाजार में ठिकाने लगाते हैं. राशन डीलर के सदस्यों को कालाबाजारी करने वाले सिंडिकेट के सदस्य चालान बुक के अनुसार कमीशन देते हैं. सूत्रों का कहना है कि इस काम में सारा रिस्क सिंडिकेट का होता है.
कमीशन के लिए बने जान के दुश्मन
रामानंद यादव की जान के दुश्मन बनने के पीछे सिंडिकेट के सदस्य को कमीशन नहीं मिलना बताया जाता है. साथ ही उसे इस धंधे से अब दूर रखा जाना है. पूर्व में वह इस धंधे का अहम सदस्य था जो अब नहीं है. सूत्रों का कहना है कि इस कालाबाजारी से जुड़े धंधेबाजों ने महज कुछ ही वर्षों में करोड़ों रुपये की चल व अचल संपत्ति गांव से लेकर शहर में अर्जित कर ली है. सूत्रों का कहना है कि सिंडिकेट से जुड़े लोगों के विरुद्ध कोई भी राशन डीलर विरोध करने की हिम्मत नहीं जुटा पाता है. उनकी इतनी खौफ है कि हिम्मत जुटाना मतलब खुद के कारोबार को चोट पहुंचाना है.

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