बीते बुधवार शाम से लेकर गुरुवार दोपहर तक का समय बिहार के राजनीतिक गलियारों में ऐतिहासिक गहमागहमी से भरा रहा. राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजद के साथ महागठबंधन तोड़ते हुए राज्यपाल को इस्तीफा सौंपा और अगले दिन सुबह भाजपा के साथ नाता जोड़ते हुए दोबारा मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली.
इस नाटकीय घटनाक्रम के केंद्र में नीतीश कुमार रहे और उनके फैसले ने राजनीति के अच्छे-अच्छे सूरमाओं को हैरान कर डाला. इस पूरे सियासी ड्रामे पर मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक में अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आयीं.
इसी बीच प्रख्यात इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने कहा है कि नीतीश कुमार को राज्यपाल से विधानसभा भंग करने के लिए कहना चाहिए था. नीतीश के प्रति निराशा जाहिर करते हुए गुहा ने उन्हें सत्ता का लोभी करार दिया है.
रामचंद्र गुहा ने नीतीश के शपथ लेने के बाद ट्विटर पर लिखा – नीतीश कुमार को राज्यपाल को सलाह देनी चाहिए थी कि वह विधानसभा भंग कर दें. नीतीश ने कहा कि लालू पैसों के लोभी हैं लेकिन नीतीश ने भी सत्ता के लिए लोभ दिखाया है.
If Nitish wanted to revive his alliance with the BJP, the honourable thing was to offer Biharis the chance to vote for or against it.
— Ramachandra Guha (@Ram_Guha) July 27, 2017
एक और ट्वीट में गुहा ने लिखा- अगर नीतीश भाजपा के साथ गठबंधन करना चाहते थे तो सम्मानजनक तरीका यह होता कि वे बिहारियों को मतदान का मौका देते.
Nitish Kumar should have advised the Governor to dissolve the Assembly. Nitish says Lalu has greed for money; he has shown greed for power.
— Ramachandra Guha (@Ram_Guha) July 27, 2017
यहां यह जानना गौरतलब है कि इतिहासकार रामचंद्र गुहा नीतीश कुमार के बड़े प्रशंसक रहे हैं. इसी महीने की शुरुआत में उन्होंने नीतीश के बारे में कहा था कि कांग्रेस को अपना नेतृत्व नीतीश कुमार के हाथों में सौंप देना चाहिए. गुहा ने कहा था कि भारतीय राजनीति में राहुल गांधी का कोई भविष्य नहीं है.
यही नहीं, उन्होंने राहुल पर निशाना साधते हुए नीतीश के बारे में कहा था- अगर कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व में परिवर्तन होता है तो परिस्थितियां बदल सकती हैं.
गुहा ने अपनी किताब ‘इंडिया आफ्टर गांधी’ की 10वीं वर्षगांठ पर इसके रिवाइज्ड संस्करण के विमोचन के मौके पर कहा था- ऐसा इसलिए कह रहा हूं क्योंकि कांग्रेस बगैर नेता वाली पार्टी है और नीतीश बगैर पार्टी वाले नेता हैं.
नीतीश के प्रशंसक रहे गुहा ने नरेंद्र मोदी से नीतीश से तुलना करते हुए कहा था कि नीतीश एक वाजिब नेता हैं. मोदी की तरह उन पर परिवार का कोई बोझ नहीं है, लेकिन मोदी की तरह वे आत्ममुग्ध नहीं हैं. वे सांप्रदायिक नहीं हैं और लैंगिक मुद्दों पर ध्यान देते हैं.
ये बातें भारतीय नेताओं में विरले ही देखी जाती हैं. नीतीश में कुछ बातें हैं जो अपील करती थीं और अपील करती हैं.