पटना : अलग-अलग समय में देश में सबसे ज्यादा चर्चा में रहने वाले दो नेताओं नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार के पॉलिटिकल मैनेजररहेप्रशांत किशोर बिहार की बदली हुई राजनीतिक परिस्थितियों में क्या करेंगे यह एक बड़ा सवाल है. उत्तरप्रदेश में अखिलेश यादव व राहुल गांधी की जोड़ी बनाने के बावजूद प्रशांत किशोर का वहां करिश्मा नहीं चला था और हाल के दिनों में उनके नाम ऐसी कोई उपलब्धि नहीं है, जिससे उनका आभामंडल पहले जैसा बने-दिखे. ऐसे में प्रशांत किशोर कैसे अपने पुराने उपलब्धि भरे दिन वापस लायेंगे यह सोचने वाली बात है.
मोदी-शाह जोड़ी व नीतीश के साथ-साथ होने का क्या होगा पीके पर असर?
नरेंद्र मोदी-अमित शाह की जोड़ी के साथ अब नीतीश कुमार आ गये हैं. पीके के नाम से मशहूर प्रशांत किशोर की नरेंद्र मोदी-अमित शाह से मतभेद लोकसभा चुनाव के बाद बढ़े. राजनीतिक हलकों में यह चर्चा की जाती है कि चुनाव प्रबंधन में प्रशांत किशोर के कुछ कदम से अमित शाह खुश नहीं थे और उनका यह गुस्साबादके दिनों में भाजपा की स्ट्रैटजिक टीम में प्रशांत किशोर को हाशिये पर भेजने से दिखा. कहा जाता है कि लाइम लाइट में रहे प्रशांत किशोर इस स्थिति से आहत थे और उन्हें ऐसे मौके की तलाश थी, जिससे वे मोदी-शाह की जोड़ी को झटका दे सकें.
प्रशांत किशोर को यह संभावना नीतीश कुमार में दिखी. नीतीश के नजदीकी जदयू नेता पवन कुमार वर्मा ने दिल्ली में नीतीश व प्रशांत किशोर की पहली मीटिंग करवाई और प्रशांत नीतीश की अगुवाई में बिहार में बने महागंठबंधन के चुनाव प्रबंधक बन गये और अपनी ताकत झोंक कर महागंठबंधन के हाथों बिहार में मोदी-शाह को पटकनी दिलायी. लेकिन, अब जब मोदी-नीतीश साथ-साथ हैं तो यह संभावना कम है कि पीके को नीतीश पहले जैसा महत्व दें.
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पीके का कैबिनेट मंत्री का दर्जा पाना
पीके के शानदार परफॉरमेंस से नीतीश-लालू काफी खुश थे. दोनों ने उनकी सार्वजनिक रूप से तारीफ की. पीके को बिहार में कैबिनेट का दर्जा भी मिला. बाद के दिनों में उन्हें जदयू कार्यकारिणी मेंशामिलकरने की खबरें मीडिया में आयी थीं, जिसका पीके के ऑफिस ने खंडन कर दिया था. इन घटनाओं के बाद के महीनों में प्रशांत किशोर ने उत्तरप्रदेश और पंजाब में अपने राजनीतिक करिश्मे को दिखने के लिए संभावना तलाशी, जिसमें उन्हें यूपी में मौका मिला, जहां भाजपा-मोदी लहर व शाह की रणनीति के सामने उनकी एक न चली.
दक्षिण में अब टटोल रहे संभावनाएं
प्रशांत किशोर दक्षिण भारत में अपने लिए संभावनाएं टटोल रहे हैं. ऐसी खबरें दक्षिण भारतीय मीडिया समूहों ने पिछले दिनों दी. मीडिया में आयी खबरों के अनुसार, दक्षिण के सबसे बड़े राज्य तमिलनाडु में वे विपक्षी द्रमुक के संपर्क में हैं. हालांकि वहां अभी विधानसभा चुनाव काफी दूर है. लेकिन, जयललिता के निधन के बाद सत्ताधारी अन्नाद्रमुक में जबरदस्त गुटबंदी और बिखराव दिख रहा है और वह सरकार में होने के बावजूद खस्ताहाल है. ऐसे में वहां कभी भी कुछ हो सकता है, जिसमें डीएमके अपने लिए संभावनाएं देख रही है और प्रशांत किशोर उर्फ पीके छवि चमकाने का मौका.
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