मिथिलेश
पटना : लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद पहली बार लालू प्रसाद और नीतीश कुमार हाजीपुर के सुभई में एक मंच पर जनता के सामने आये थे. 23 साल बाद 11 अगस्त, 2014 को सुभई में एक जनसभा को दोनों नेताओं ने संबोधित किया था. दोनों नेताओं ने एकस्वर से भाजपा के खिलाफ मोरचाबंदी करते हुए कहा था कि हमने अपने मतभेद भुला दिये हैं.तीन साल बाद दोनों नेता एक बार फिर अलग-अलग हो गये हैं. बुधवार को दोनों नेताओं ने एक दूसरे पर गठबंधन से अलग होने का जिम्मेवार ठहराया.
भाजपा के खिलाफ मोरचाबंदी करते हुए कहा था कि हमने मतभेद भुला दिया
वह सुभइ की उमस भरी दुपहरिया थी. स्कूल मैदान में आयोजित सभा में दोनों नेता जब पहुंचे तो सामाजिक न्याय की धारा से रिश्ता रखने वाले लोगों की बांछे खिल गयी थी. नीतीश और लालू ने गरीब-गुरबे और सामाजिक न्याय की धारा को एकजुट करने का आह्ववान किया था. इस सभा में भारी भीड़ उमड़ी थी, देश विदेश की मीडिया की नजरों के सामने नीतीश कुमार और लालू प्रसाद गले मिले और एक साथ चलने का संकल्प लिया. लोकसभा चुनाव में हाजीपुर के विधायक नित्यानंद राय के सांसद चुने जाने से खाली हुई सीट पर उपचुनाव होना था. दोनों दलों ने मिल कर चुनाव प्रचार में जाने का फैसला किया और साझा चुनाव प्रचार में वह पहुंचे थे.
सुभई की संयुक्त सभा को संबोधित करते हुए दोनों नेताओं ने कहा कि देश गलत लोगों के हाथों में चला गया है. देश को बचाने की जरूरत है. जन समुदाय के बीच लालू प्रसाद ने नीतीश कुमार को अपना छोटा भाई बताते हुए कहा कि हम दोनों कर्पूरी ठाकुर की झोंपड़ी से निकले हुए एक ही परिवार के लोग हैं. लालू ने यूपी में मायावती और मुलायम से भी शीघ्र गठबंधन करने का सुझाव दिया. दोनों की सभा मोहिउद्दीननगर में भी हुई. लालू की मौजूदगी में नीतीश ने भाजपा पर हमला किया था. नीतीश ने कहा कि कुछ लोगों के सिर सत्ता का नशा चढ़ कर बोल रहा है. दोस्ती का सिलसिला आगे बढ़ा.
इसके बाद जदयू, कांग्रेस और राजद ने मिल कर महागठबंधन बना. विधानसभा चुनाव में सभी सीटें बांटी गयी. जातिगत और सामाजिक समीकरण के आधार पर उम्मीदवारों का चयन हुआ. जदयू व राजद को सौ-सौ सीटें मिलीं और कांग्रेस को चालीस सीटें. बाकी तीन सीट राकांपा के लिया छोड़ा. लेकिन, राकांपा संतुष्ट नहीं हुई. बाद में वह तीनों सीटें भी तीनों दलों के बीच बट गयी. परिणाम आया तो भाजपा चारो खाने चित हो गयी थी. राजद सबसे बड़ा दल बन कर उभरा था , उसके अस्सी विधायक चुनाव जीत कर आये. जदयू के 71 व कांग्रेस के 27 विधायक चुनाव जीत गये. भाजपा के 53 विधायक ही जीते. रालोसपा के दो, लोजपा के दो तथा हम के एकमात्र पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ही जीत पाये.
घटनाक्रम
– 12 अक्तूबर से पांच नवंबर 2015 : बिहार विधानसभा का चुनाव पांच चरणों में संपन्न हुआ. इस चुनाव के लिए जदयू, राजद और कांग्रेस के बीच महागठबंधन बना.
– 8 नवंबर : विधानसभा चुनाव की मतगणना.
– 29 नवंबर, 2015 : बिहार विधानसभा का कार्यकाल खत्म हो रहा था.
– 22 फरवरी 2015 : महागठबंधन ने 178 सीटें जीतीं, सरकार का गठन, नीतीश कुमार बने मुख्यमंत्री