नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस्तीफे का समर्थन किया है. नीतीश के इस्तीफे के तुरंत बाद पीएम मोदी ने ट्विट किया – ‘भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में जुड़ने के लिए नीतीश कुमार जी को बहुत-बहुत बधाई. सवा सौ करोड़ नागरिक ईमानदारी का स्वागत और समर्थन कर रहे हैं.’ एक दूसरे ट्विट में उन्होंने कहा – ‘देश के, विशेष रूप से बिहार के उज्जवल भविष्य के लिए राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर भ्रष्टाचार के खिलाफ एक होकर लड़ना, आज देश और समय की मांग है.’
भाजपा संसदीय दल की आपात बैठक आज शाम सात बजे दिल्ली में आयोजित की गयी है. इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल होने वाले हैं. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी से मिलकर इस्तीफा सौंप दिया है. नीतीश कार्यकारी मुख्यमंत्री बने रहेंगे. अनुमान लगाया जा रहा है कि संसदीय दल की बैठक में बिहार के राजनैतिक हालात पर चर्चा हो सकती है. खबरें है कि भाजपा बिहार को लेकर अगली रणनीति पर विचार करेगी. ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि भाजपा नीतीश कुमार को समर्थन दे सकते हैं.
दूसरी ओर बिहार में भाजपा विधायकों की बैठक सुशील कुमार मोदी के आवास पर हो रही है. आपको बता दें कि बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय ने इसी महीने बड़ा बयान देते हुए कहा था कि अगर नीतीश कुमार महागठबंधन को छोड़ देते हैं, तो भी उनकी सरकार चलती रहेगी. इसके लिए भाजपा उनकी सरकार को बाहर से समर्थन देगी, लेकिन सरकार में नहीं बैठेगी.
उन्होंने साथ ही मांग की थी कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उपमुख्यमंत्री तेजस्वी को उनके पद से बर्खास्त कर दें. नित्यानंद राय ने कहा था कि अगर तेजस्वी इस्तीफा नहीं देते हैं तो सीएम नीतीश उन्हें बर्खास्त कर दें. उन्होंने कहा था कि तेजस्वी के खिलाफ मामला दर्ज हो चुका है और कोई भी कानून बेनामी संपत्ति रखने की इजाजत नहीं देता है.
क्या हो सकता है समीकरण
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अगर भाजपा नीतीश को समर्थन देती है तो बिहार में आराम से सरकार बन जायेगी. 243 सदस्यों वाली विधान सभा में राजद के 80, कांग्रेस के 27, जदयू के 71 और भाजपा के 53 विधायक हैं. भाजपा के सहयोगियों के पांच विधायक हैं. सदन में बहुमत के लिए कुल 122 विधायकों का समर्थन होना चाहिए. ऐसे में भाजपा और जदयू के साथ आने से 58 और 71 विधायक साथ होंगे तो आंकड़ा होगा 129. जो बहुमत से अधिक है.
जानकारों की मानें, तो अगर नीतीश कुमार भाजपा के साथ जाते हैं, तो लालू यादव साम, दाम, दंड भेद से 15 विधायक अपने पाले में कर सकते हैं और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बना सकते हैं. अंदर की खबर है कि बिहार के सीमांचल से जदयू के कई विधायक पार्टी नेतृत्व से नाराज चल रहे हैं, जिनकी संख्या 20 के करीब बतायी जा रही है. कहते हैं कि राजनीति में कोई किसी का स्थायी दुश्मन या दोस्त नहीं होता. सत्ता के लिए स्वार्थ के गठबंधन होते हैं. बिहार की राजनीति में भी कुछ ऐसा घटे, इसमें किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए.