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बिहार के अधिकारियों के खिलाफ केंद्र के पास कम पहुंच रहीं शिकायतें

जनवरी 2016 से जून 2017 के बीच देशभर से 859 शिकायतें आयीं पटना : राज्य में काम कर रहे आइएएस, आइपीएस, आइआरएस समेत अन्य सभी केंद्रीय सेवा के अधिकारियों के खिलाफ केंद्र सरकार के पास बेहद कम शिकायतें पहुंच रही हैं. किसी बड़े साहब के खिलाफ न तो राज्य सरकार और न ही आम जनता […]

जनवरी 2016 से जून 2017 के बीच देशभर से 859 शिकायतें आयीं
पटना : राज्य में काम कर रहे आइएएस, आइपीएस, आइआरएस समेत अन्य सभी केंद्रीय सेवा के अधिकारियों के खिलाफ केंद्र सरकार के पास बेहद कम शिकायतें पहुंच रही हैं. किसी बड़े साहब के खिलाफ न तो राज्य सरकार और न ही आम जनता की तरफ से ही शिकायतें पहुंच रही हैं.
इसका कारण क्या है, यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि जनता और राज्य सरकार की नाराजगी इनके प्रति बेहद कम है या ये शिकायतें वहां तक पहुंच ही नहीं पा रही हैं. यहां के अधिकारियों के खिलाफ सेंट्रल डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग (डीओपीटी) में जनवरी 2016 से जून 2017 के बीच सभी राज्यों से कुल 859 शिकायतें सभी स्तर के केंद्रीय सेवा के अधिकारियों के खिलाफ मिली है.
इन शिकायतों की फेहरिस्त में राज्य सरकार और आम जनता दोनों की तरफ से की गयी शिकायतें शामिल हैं. प्राप्त जानकारी के अनुसार, 859 में 50 से 60 के बीच ही शिकायतें बिहार कैडर के अधिकारियों के बारे में मिली हैं. वहीं, सबसे ज्यादा शिकायतें छत्तीसगढ़ के अधिकारियों के खिलाफ मिली हैं. इसके बाद उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान समेत अन्य राज्यों से शिकायतें मिली हैं. पड़ोसी राज्य झारखंड के भी अधिकारियों के बारे में बिहार की तुलना में ज्यादा शिकायतें हैं. बिहार से इन राज्यों की तुलना में बेहद कम शिकायतें हैं. शिकायतों की सूची के हिसाब से देखें तो बिहार का नंबर 12वां आयेगा. फिलहाल सभी शिकायतों की जांच चल रही है. इसके बाद ही उचित कार्रवाई की जायेगी.
बिहार कैडर के अधिकारियों के प्रति कम संख्या में शिकायतें पहुंचने के पीछे प्रमुख कारणों में राज्य सरकार के स्तर पर योजनाओं की समुचित मॉनीटरिंग, दुरुस्त प्रशासनिक तंत्र और भ्रष्ट लोक सेवकों के प्रति निगरानी के माध्यम से सरकार की सशक्त और निरंतर मॉनीटरिंग करना है.
भ्रष्ट लोक सेवकों के खिलाफ निरंतर कार्रवाई करने के मामले में बिहार की गति काफी तेज रही है. हालांकि राज्य स्तर पर भी केंद्रीय सेवा के अधिकारियों के खिलाफ ट्रैप या आय से अधिक संपत्ति के मामले में कार्रवाई काफी कम हुई है, लेकिन बिहार प्रशासनिक सेवा (बिप्रसे) समेत अन्य स्तर के सेवाओं के पदाधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई बड़ी संख्या में हुई है.
अधिकारियों का दावा-राज्य सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति के कारण आरोप कम इस मामले में पुलिस महकमे और निगरानी ब्यूरो के आला अधिकारी यह दावा करते हैं कि राज्य सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति के कारण लोक सेवक घूस लेने या योजनाओं के क्रियान्वयन में लापरवाही नहीं बरतते हैं. पिछले 10 सालों के दौरान बिहार में कार्यरत भ्रष्ट लोक सेवकों के खिलाफ 1280 मामले दर्ज हुए हैं, जिसमें 1215 के खिलाफ चार्जशीट दायर हो चुकी है. अब तक 34 मामलों में 39 करोड़ 36 लाख रुपये की अवैध संपत्ति जब्त की जा चुकी है. घूस लेने के आरोप में 952 सभी स्तर के सरकारी कर्मचारी पकड़े जा चुके हैं. ये सभी कार्रवाई निगरानी ब्यूरो, विशेष निगरानी इकाई और आर्थिक अपराध इकाई तीनों ने मिलकर की है.

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