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मासूमों पर चोरों की निगाह, प्रति वर्ष गायब हो रहे हैं 500 बच्चे
विजय सिंह पटना : स्कूल से लौटते वक्त, कोचिंग से लौटते वक्त, बाजार से लौटने के दौरान, दरवाजे पर खेलते समय दो साल से लेकर 15 साल के बच्चे गायब हो रहे हैं. जबकि पुलिस इनकी तलाश नहीं कर पा रही है. नौबतपुर निवासी अंजु देवी का तीन साल को बेटा 19 जून 2017 की […]
विजय सिंह
पटना : स्कूल से लौटते वक्त, कोचिंग से लौटते वक्त, बाजार से लौटने के दौरान, दरवाजे पर खेलते समय दो साल से लेकर 15 साल के बच्चे गायब हो रहे हैं.
जबकि पुलिस इनकी तलाश नहीं कर पा रही है. नौबतपुर निवासी अंजु देवी का तीन साल को बेटा 19 जून 2017 की शाम को घर के बाहर खेल रहा था, अचानक से गायब हो गया. अगमकुआं की सुनीति चौरसिया का बेटा 16 फरवरी से गायब है. जक्कनपुर की रहने वाली महिला का 8 वर्षीय बेटा घर से कुछ सामान लेने निकला था और फिर नहीं लौटा. इसी प्रकार रानीतलाब थाना क्षेत्र से एक 15 साल का किशोर धर्मेंद्र गायब है. जिसको बरामद करने के लिए पुलिस मथुरा गयी थी. वहीं 22 जुलाई को मंदिरी में बच्चा चोरी के प्रयास में एक महिला को पकड़ा गया. पुलिस ने उसे जेल भेज दिया है. कई केसों में महिलाओं की संलिप्तता सामने आयी है.
जी हां! इस तरह की बच्चा चोरी की घटनाएं तेज हो गयी हैं. पुलिस में दर्ज आंकड़े के मुताबिक पटना जिले में तीन माह में 13 बच्चे गायब हो चुके हैं. पूरे बिहार में बच्चों के लापता होने का आंकड़ा देखें तो प्रति वर्ष 500 के पार हो जाता है. कुछ मामले में पुलिस को सफलता भी मिली है, लेकिन वर्ष भर में बच्चा बरामदगी के आंकड़े को देखें तो बमुश्किल 10 प्रतिशत बच्चे ही दोबारा अपने परिवार में पहुंच पा रहे हैं.
सूत्रों की मानें तो छोटे बच्चों की तस्करी की जा रही है. दिल्ली, कोलकाता, मुंबई जैसे रेलवे स्टेशनों पर कुछ ऐसे गैंग हैं जो दूसरे शहरों से बच्चों की चोरी कराकर इनसे भीख मंगवाते हैं. बच्चों के अपहरण व चोरी रोकने की दिशा में काम करने वाले कुछ एनजीओ बताते हैं कि बिहार के भागलपुर जिला से सबसे ज्यादा बच्चे लापता हो रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट लगा चुकी है फटकार : जिस तरह से बिहार में आतंकी संगठन की जड़ें गहरी हो रही हैं और उससे नाबालिगों के संगठन से जुड़ने और उनके इस्तेमाल की आशंका बढ़ती दिख रही है. वहीं इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के तीन सदस्यीय खंडपीठ ने 30 अक्तूबर 2014 को नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी की जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान नाराजगी जाहिर की थी. आदेश के बाद पुलिस महकमे में रिकॉर्ड खंगाले जा रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन
मई, 2013 में कोर्ट ने गुमशुदगी मामले में प्रचार करने को कहा था.
कानूनी सेवा प्राधिकरण के साथ जांच रिपोर्ट साझा करने कहा.
गुमशुदगी के चार माह तक सफलता नहीं मिलने पर मामला गैर व्यापार मानव यूनिट को दें.
गुमशुदा के नहीं मिलने के 72 घंटे बाद अपहरण का केस दर्ज हो.
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