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बेटियों में पढ़ने की ललक है, वरना इस स्थिति में कब का छोड़ चुकी होती स्कूल जाना, देखें वीडियो

विनीत मिश्रा @ डुमरांव किसी ने सच कहा है बेटियां शुभकामनाएं हैं, पावन दुआएं हैं. बेटियां जीनत हदीसों की, जातक कथाएं हैं. सच में बेटियां गुरुग्रंथ की वाणी और वैदिक ऋचाएं हैं. बेटियां कहीं ठंढी हवाएं हैं, तो संवेदनाएं भी हैं. देशका नारा है बेटीपढ़ाओ,बेटी बचाओ.जी हां, इन नारों के बीच बिहार के बक्सर जिले […]

विनीत मिश्रा @ डुमरांव

किसी ने सच कहा है बेटियां शुभकामनाएं हैं, पावन दुआएं हैं. बेटियां जीनत हदीसों की, जातक कथाएं हैं. सच में बेटियां गुरुग्रंथ की वाणी और वैदिक ऋचाएं हैं. बेटियां कहीं ठंढी हवाएं हैं, तो संवेदनाएं भी हैं. देशका नारा है बेटीपढ़ाओ,बेटी बचाओ.जी हां, इन नारों के बीच बिहार के बक्सर जिले के एक छोटे से प्रखंड केसठ की बेटियों का दर्द प्रभात खबर डॉट कॉम के सामने आया. प्रभात खबर ने वहां जाकर बेटियों के दर्द को देखा. पढ़ने केप्रति इतनी ललक की जान जोखिममें भी डालकर स्कूल पहुंचना इनकी पढ़ाई के प्रति जिजीविषाकापरिणामहै.



बिहार के बक्सर जिले के केसठ प्रखंड स्थित कामदार शिरोमणि उच्च विद्यालय के सैकड़ों छात्र-छात्रा इस बारिश के बीच अपने पढ़ाई की ललक को पूरा करने के लिए जर्जर वहकीचड़ से सनेखतरनाकहो चुकी सड़क के बीच से ही होकर प्रतिदिन स्कूल पहुंचना इनकी मजबुरी बन गयी है. इस हालत में इस पंचायत का इकलौता उच्च विद्यालय के छात्र-छात्राओं को काफी मुसीबत झेलकर विद्यालय में समय से पहुंचना पड़ता है. इस समस्या को लेकर विद्यालय की छात्रा प्रियंका कुमारी, वाग्मी दर्शनी, प्रीति कुमारी, अनिता कुमारी आदि ने बताया की केसठ प्रखंड से हाइस्कूल की दूरी लगभग एक किलोमीटर की है, लेकिन इस रास्ते से हाइस्कूल से आगे तक की सड़क कई वर्षों से काफी जर्जर और खतरनाक हालत में है.

सड़क के उबड़-खाबड़ होने के चलते इस बारिश के बीच जल-जमाव की समस्या बनी रहती है. इस परेशानी के कारण छा़त्र-छात्राओं को साइकिल से स्कूल पहुचने में काफी परेशानी उठानी पड़ती है. कभी-कभार तो कई छात्राएंस्कूलपहुंचने के क्रम में गिर कर घायल भी हो जाती हैं. लेकिन, इस सड़क को आज तक नहीं बनाया जा सका. इससे बरसात के मौसम में सैकड़ों छात्र-छात्राओं को काफी कष्ट उठाते हुए विद्यालय पहुंचना पड़ता है. छात्रोंने बताया कि कि इस सड़क पर थोडी़:सी बारिश होने के दौरान कीचड़ फैल जाता है. इस कारण कीचड़ में फिसल कर दर्जनों छा़त्र-छात्राएं गिर पड़ते हैं और उनके कपड़े गंदे हो जाते है. दोबारा जब कपड़े बदल कर स्कूल पहुंचते हैं, तब तक कई विषयों की पढ़ाई छूट जाती है.

स्थानीय लोगों ने बताया कि सड़क इतनी खराब है कि मजबूरी बस लोगों को इस सड़क से आना-जाना पड़ता है. हम सभी को आश्चर्य होता है कि इतना खतरनाक सड़क होने के बावजूद आखिर बच्चे कैसे स्कूल पहुंच जाते हैं. विद्यालय के शिक्षक धर्मेंद्र उपाध्याय, शिक्षिका रंजू कुमारी, मोसर्हत जहां आदि ने बताया कि विद्यालय में पहुंचने के लिए छात्रों को काफी मशक्कत करनी पड़ती है. विद्यालय में लगभग पांच सौ छात्र-छात्राएं हैं. प्रधानाध्यापिका भावना कुमारी ने बताया कि इस सड़क की समस्या को लेकर कई बार स्थानीय जन प्रतिनिधियों को सूचित किया गया, लेकिन सड़क निर्माण नही होने के कारण समस्या ज्यो-की-त्यों बनी हुई है. इसको लेकर जिला प्रशासन को इसकी लिखित सूचना दी जायेगी, ताकि सड़क की समस्या से जल्द छुटकारा मिल सके. क्या कहते है जन प्रतिनिधि इस समस्या को लेकर जिला पार्षद धनंजय कुमार आर्या ने बताया कि सड़क की समस्या को लेकर जिला प्रशासन से बात की गयी है, ताकि इस समस्या से जल्द राहत मिल सके.


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