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होती रही बिचौलियागिरी, तो कौन कहेगा भगवान

अनियमितता. रेट लिस्ट सार्वजनिक करने पर चुप हो गये चिकित्सक सहरसा : हमारे समाज में डॉक्टर को भगवान का दर्जा दिया गया है, क्योंकि वही हैं, जो किसी को मौत के मुंह में जाने से बचा सकते हैं. तिल-तिल मरते किसी इंसान को जिंदगी दे सकते हैं और खोई हुई उम्मीदों को उत्साह दे सकते […]

अनियमितता. रेट लिस्ट सार्वजनिक करने पर चुप हो गये चिकित्सक

सहरसा : हमारे समाज में डॉक्टर को भगवान का दर्जा दिया गया है, क्योंकि वही हैं, जो किसी को मौत के मुंह में जाने से बचा सकते हैं. तिल-तिल मरते किसी इंसान को जिंदगी दे सकते हैं और खोई हुई उम्मीदों को उत्साह दे सकते हैं. जाहिर सी बात है कि धरती पर एक डॉक्टर ही साक्षात ईश्वर का काम करते हैं और इसके लिए उनके प्रति जितना कृतज्ञ हुआ जाय कम ही होगा.
कभी-कभी अंतरमन से निकलते इस पवित्र भाव को बनाये रखना भी बड़ा मुश्किल होता है. निजी नर्सिंग होम में बढ़ रही बिचौलियागिरी बहुत बड़ा उदाहरण है, जो न सिर्फ डॉक्टर जैसे सर्वोपरी पेशे को बार-बार कलंकित करता है, बल्कि डॉक्टर्स पर आम जनता के सदियों से जमे हुए विश्वास को एक सेकेंड में झकझोर देता है और उसकी जगह शक और सवालों को जन्म दे देता है. जिले के सदर अस्पताल में दर्जनों की तादाद में ऐसे बिचौलिये मंडराते रहते हैं
जो पैसे के लोभ में मरीज को चिन्हित नर्सिग होम तक पहुंचाते हैं. डॉक्टर में भगवान बसते हैं…और अगर ऐसा है, तो इन देवताओं को अपने प्रति सम्मान बनाये रखने के लिए अधिक प्रयास करने की जरूरत है, वरना आम जनता का विश्वास एक दिन जरूर इस भगवान से उठ जायेगा.
बिचौलिये चिकित्सा जैसे सर्वोपरी पेशे को बार-बार कर रहे कलंकित
शहर के पूरब बाजार स्थित राइस मिल परिसर में संचालित ओम बेबी क्लिनिक को मार्डन अस्पताल के रूप में विकसित किया गया है. बच्चों को होने वाले सभी प्रकार के मर्ज के इलाज की व्यवस्था अस्पताल में है. अस्पताल में प्रवेश करते ही मरीज के परिजनों के बैठने के लिए सुव्यवस्थित कक्ष बना हुआ है. साफ-सफाई भी बेहतर है, लेकिन रेट लिस्ट सार्वजनिक नहीं किया गया है. डॉक्टर की फीस सभी को मालूम है. क्रिटिकल केयर में बच्चों को अलग-अलग चार्ज किये जाते हैं.
परिजनों ने बताया कि गंभीर स्थिति में बच्चों को भरती करने की व्यवस्था है.
शहर के राइस मिल परिसर में ही पूरब भाग में कोसी चाइल्ड केयर सेंटर नाम से बच्चों का अस्पताल है. नये बनावट के अस्पताल में सामान्य से लेकर गंभीर मर्ज के इलाज की व्यवस्था है. रेट लिस्ट का जिक्र नहीं है. मरीज के परिजनों ने बताया कि बच्चे को हल्की परेशानी में भी नर्सिंग होम में खर्च हजार के पार चला जाता है. हालांकि यहां भी मरीजों की भीड़ ज्यादा रहती है. परिजनों का कहना है कि दवा व जांच की भी व्यवस्था एक ही जगह उपलब्ध हो जाती है. रेट लिस्ट नहीं लगाये जाने की बात परिजनों को खटकती है. लोग कहते हैं कि डॉक्टर ही धरती के भगवान है. उनसे दया की उम्मीद रहती है.
शहर के गंगजला चौक में संचालित डॉ बृजेंद्र देव क्लिनिक में मरीजों की भीड़ ज्यादा दिखी. गंभीर रूप से बीमार बच्चों को लेकर परिजन अपनी बारी का इंतजार करते रहते हैं. यहां दूसरे जिले से भी लोग बीमार बच्चों को इलाज के लिए लेकर पहुंचते हैं. सभी प्रकार की जांच परिसर में ही उपलब्ध है. इसके बावजूद रेट लिस्ट का अस्पताल में कहीं जिक्र नहीं किया गया है. अस्पताल में उच्च गुणवत्ता वाले एनएसआइयू की व्यवस्था है. मरीज के परिजनों ने बताया कि नर्सिंग होम की रेट लिस्ट एक जैसी होने से इलाज में काफी सहूलियत होती, लेकिन ऐसी व्यवस्था कहीं भी नहीं दिख रही है.
सुनिये डॉक्टर साहब जनता की आवाज
प्रभात खबर के हेल्पलाइन नंबर पर प्रतिक्रिया देते गांधी पथ के एसके चौधरी कहते हैं कि डॉक्टर भगवान का रूप खोने लगे हैं, सिर्फ पैसे की अहमियत दी जाने लगी है. इसमें सुधार की आवश्यकता है. बरियाही के मो आलम कहते हैं कि एंबुलेंस के नाम पर नर्सिंग होम में उगाही की जाती है. जिला प्रशासन को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए.
महिषी के धनंजय कहते हैं कि शहर में संचालित नर्सिंग होम में सर्जरी का पैकेज ऑनलाइन रहना चाहिए. लोगों को इलाज पूर्व तैयारी करने में आसानी होगी. बैजनाथपुर से पार्वती कहती हैं कि नर्सिंग होम में भरती मरीजों से डॉक्टर के विजिट चार्ज के नाम पर बिल में अनाप शनाप रुपये जोड़ दिये जाते हैं. इस प्रकार के शोषण पर नियंत्रण होना चाहिए.

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