अस्पताल में चिकित्सको के नहीं रहने के कारण काजल का सही इलाज नहीं हो पाया और उसकी मौत हो गयी. दूसरी घटना सिसई बस्ती की है, जहां वज्रपात से सउद अंसारी की पत्नी अरसीया खातून झुलस गयी. पर अस्पताल में चिकित्सक नहीं रहने के कारण परिजन गुमला ले गये.तीसरी घटना सिसई बस्ती की है, जहां गोड़िया उरांव की 12 वर्षीया पुत्री संध्या कुमारी भी वज्रपात की चपेट में आकर झुलस गयी. उसे गुमला ले जाया गया है.
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घटना: मां के लिए खाना लेकर खेत गयी थी, वज्रपात की चपेट में आ गयी, इलाज के अभाव में बच्ची की मौत
सिसई: सिसई थाना क्षेत्र के बरगांव जिंदा गांव निवासी रंथु महली की 12 वर्षीया पुत्री काजल कुमारी की वज्रपात की चपेट में आने से मौत हो गयी. काजल शुक्रवार को अपराह्न करीब चार बजे अपनी मां के लिए खेत में खाना पहुंचाने गयी थी. लौटने के क्रम में कंश नदी पुल के पास वज्रपात की […]
सिसई: सिसई थाना क्षेत्र के बरगांव जिंदा गांव निवासी रंथु महली की 12 वर्षीया पुत्री काजल कुमारी की वज्रपात की चपेट में आने से मौत हो गयी. काजल शुक्रवार को अपराह्न करीब चार बजे अपनी मां के लिए खेत में खाना पहुंचाने गयी थी. लौटने के क्रम में कंश नदी पुल के पास वज्रपात की चपेट आ गयी. ग्रामीण उसे लेकर रेफरल अस्पताल सिसई पहुंचे. ग्रामीणों का आरोप है कि जिस वक्त वह बच्ची को लेकर अस्पताल पहुंचे, उस वक्त वहां कोई चिकित्सक मौजूद नहीं थे.
अस्पताल में चिकित्सको के नहीं रहने के कारण काजल का सही इलाज नहीं हो पाया और उसकी मौत हो गयी. दूसरी घटना सिसई बस्ती की है, जहां वज्रपात से सउद अंसारी की पत्नी अरसीया खातून झुलस गयी. पर अस्पताल में चिकित्सक नहीं रहने के कारण परिजन गुमला ले गये.तीसरी घटना सिसई बस्ती की है, जहां गोड़िया उरांव की 12 वर्षीया पुत्री संध्या कुमारी भी वज्रपात की चपेट में आकर झुलस गयी. उसे गुमला ले जाया गया है.
अस्पताल में तोड़फोड़ : रेफरल अस्पताल सिसई में चिकित्सकों के नहीं रहने व बच्ची की मौत से गुस्साये लोगों ने अस्पताल में तोड़फोड़ कर दी. तोड़फोड़ की सूचना पर बीडीओ, सीओ व अन्य अधिकारी पहुंचे. भाजपा मंडल अध्यक्ष रवि साहू सहित कई नेता पहुंचे. डॉक्टर के नहीं रहने पर सभी नाराज थे. अधिकारियों ने लोगों को तोड़फोड़ से रोका.
गुमला गयी हैं डॉ नमिता : ज्ञात हो की अस्पताल में चिकित्सकों के स्वीकृत पद सात हैं, पर अभी एक मात्र डाॅ नमिता आशावंती लकड़ा कार्यरत हैं. वह भी आज प्रशिक्षण के लिए गुमला चली गयी थी. दो जुलाई से अस्पताल के प्रभार में कोई नहीं है. नर्सों व ड्रेसर के भरोसे रेफरल अस्पताल चल रहा है. ड्रेसर ने बताया कि चिकित्सकों के अभाव में 24 घंटे सेवा देनी पड़ रही है.
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