अदालत ने माैखिक रूप से टिप्पणी करते हुए कहा कि इन जैसे अधिकारियों के कारण ही लोगों को परेशानी होती है. बार-बार शपथ पत्र दाखिल किया जाता है, लेकिन इनमें तथ्य अलग-अलग रहते हैं. ऐसा प्रतीत होता है कि समाधान निकालने के बजाय अधिकारी मामले को उलझा देते हैं. कोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं किया जाता है.
अधिकारी ने अपने स्तर से अलग आदेश जारी कर दिया, जिसकी अनदेखी नहीं की जा सकती है. शपथ पत्र में अलग-अलग तथ्य को देखते हुए अदालत ने निदेशक को सशरीर उपस्थित होने का निर्देश दिया था. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी विजय कुमार रजक ने अवमानना याचिका दायर कर एकल पीठ के आदेश का अनुपालन कराने की मांग की है. प्रार्थी की नियुक्ति उद्योग विभाग में एडहॉक के ताैर पर हुई थी. श्री रजक को सभी प्रकार का लाभ दिया गया. वेतन पुनरीक्षण भी किया गया, लेकिन सेवा संपुष्टि नहीं की गयी. श्री रजक वर्ष 2014 में सेवानिवृत्त हो गये. उन्होंने याचिका दायर कर सेवा संपुष्टि की मांग की थी. एकल पीठ ने सेवा संपुष्टि का आदेश दिया था.