शौचालय बनने के बाद भी जागरूकता की काफी कमी
प्रहलाद कुमार
पटना : पटना जिले की आबादी 2011 की जनसंख्या के मुताबिक 58 लाख 38 हजार 465 है, जिनमें से अाधी से अधिक आबादी अब भी खुले में शौच जाने को मजबूर है. कई लोगों के पास जमीन नहीं है, तो कई लोग आर्थिक रूप से शौचालय निर्माण करने में सक्षम नहीं हैं. सरकारी योजनाओं में शौचालय निर्माण की बात जोर-शोर से की जा रही है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है.
पटना जिले की बात करें, तो 4354 वार्ड हैं, जिनमें कागजों पर 623 वार्डों को ओडीएफ घोषित कर दिया गया है. अगर ओडीएफ घोषित पंचायत में जाएं, तो आपको दीदारगंज, सबलपुर, जेठुली, मोजीपुर जाने के बाद गंगा व रेलवे किनारों की गंदगी को देखने के बाद ओडीएफ की पोल खुल जाती है. अधिकारी बस सरकार के समक्ष रिपोर्ट बना कर अपनी छवि ठीक करने में जुटे हैं. यही कारण है कि अब भी इन पंचायतों में महिलाएं व पुरुष खुले में शौच के लिए जाते हैं.
शौचालय निर्माण के लिए बाद में मिल रहा पैसा : याेजना के तहत पूर्व में शौचालय निर्माण करने के लिए पहले पैसा दिया जाता था, लेकिन शौचालय निर्माण के नाम पर अधिकारियों ने गलत रिपोर्ट तैयार कर पैसा कमाना शुरू कर दिया. अब निर्माण कार्य के बाद पैसा दिया जाता है. कई लोगों ने अपने पैसे से शौचालय का निर्माण कराया भी, तो उनको पैसा नहीं मिल पाया है. कुछ अधिकारियों पर कार्रवाई भी हुई, लेकिन अब भी लूट-खसोट जारी है.
सरकारी लापरवाही के चलते नहीं हो रही निगरानी
खुले में शौच से जल की गुणवत्ता खत्म हो जाती है और यह पीने के लायक नहीं रह जाता. ऐसे में बीमारियां होने की आशंका बढ़ जाती है. जल की गुणवत्ता जांचने के लिए पेयजल की बैक्टीरियोलॉजिक जांच की जाती है, तो उसमें सबसे पहला उद्देश्य मल प्रदूषण की मौजूदगी की जांच करना होता है. एक खास तरह का बैक्टीरिया मानव मल में मौजूद होता है, जिसे इ कोलाइ कहते हैं. मल से प्रदूषित पानी में यह मौजूद होता है. इसकी जांच बिहार में नहीं होती है. अभियान की सफलता के लिए ये बातें मायने रखती हैं.
शौचालय निर्माण में इन पर हुई कार्रवाई
शौचायल निर्माण में लापरवाही करने वाले फुलवारी, संपतचक, बिहटा, नौबतपुर, दुल्हिनबाजार, दनियावां, मसौढ़ी, बिक्रम, घोसवरी, धनरुआ के बीडीओ को अंतिम वार्निंग दी गयी है और जिलाधिकारी ने साफ शब्दों में कहा है कि काम में तेजी नहीं आयी, तो प्रपत्र गठित कर विभाग को भेजा जायेगा.
बिक्रम, घोसवरी, मसौढ़ी, धनरूआ, दनियावां के ब्लॉक कोऑर्डिनेटर पर कार्य में लापरवाही का आरोप लगा है. ऐसे में इन सभी जगहों के कोऑर्डिनेटर को अंतिम वार्निंग दी गयी है. इसके बाद उन्हें बरखास्त किया जा सकता है.
शौचालय का निर्माण किया गया है, लेकिन शौचालय में तीन परिवार के लोगों को जाना है. इसका पैसा भी सरकार की ओर से नहीं मिला है. वहीं शौचालय बनाने के लिए काफी समझाया गया, लेकिन हमें शौचालय जाने की इच्छा नहीं होती है.
विश्वनाथ पासवान, जेठुली
मर्दों को बाहर जाने से कौन रोकेगा. सुबह में लोटा लेकर निकलते हैं. आराम से टहलते हुए आते हैं. शौचालय बनाने के लिए अधिकारी लोग आये. हम लोगों ने बनाया भी, लेकिन एक शौचालय पर काफी लोग हैं, इसलिए लाेग बाहर जाते हैं.
मुन्नी देवी, जेठुली
शौचालय निर्माण के लिए पैसा अभी तक नहीं मिला है. पानी का भी अभाव है. अधिकारी बार-बार आते हैं फोटो लेकर जाते हैं. पैसा नहीं देते हैं. शौचालय बनने के बाद भी सही व्यवस्था नहीं बनने से घर के अधिकांश लोग बाहर ही जाते हैं.
चिंता देवी, जेठुली
घर में शौचालय, खुले में िकया शौच, तो देना पड़ेगा जुर्माना
पटना : घर में शौचालय रहने पर बाहर शौच करेंगे, तो आर्थिक जुर्माना लगाया जा सकता है. यह जुर्माना स्थानीय स्तर पर पंचायतों द्वारा निर्धारित किया जा सकता है. ग्रामीण विकास विभाग के सचिव अरविंद चौधरी ने बताया कि समाज में कुछ लोगों के प्रति इस तरह का सख्त रवैया अपनाने की आवश्यकता है. देश में इस तरह के कई प्रयोग चल रहे हैं.
राज्य को खुले में शौच से मुक्त बनाने के लिए आयोजित कार्यशाला में इस तरह के अनुभवों को साझा किया गया है. उन्होंने बताया कि स्थानीय स्तर पर शौचालय रहने पर बाहर खुले में शौच करनेवाले पर दंड निर्धारित किये जा रहे हैं, तो विभाग को इस पर कोई आपत्ति नहीं है. ग्रामीण विकास सचिव अरविंद चौधरी गुरुवार को विभाग द्वारा आयोजित प्रेस काॅन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने बताया कि सबसे पहले खगड़िया जिले के रामपुर गोगरी पंचायत ने खुले में शौच करनेवालों पर आर्थिक दंड लगाने का काम शुरू किया. इसके बाद अन्य जिलों से भी इस तरह की सूचनाएं विभाग को प्राप्त हो रही हैं. उन्होंने बताया कि शौचालय निर्माण और व्यवहार परिवर्तन के लिए राज्य भर में 11 हजार उत्प्रेरकों को नियोजित किया गया है. दो माह के अंदर इनकी संख्या 20 हजार हो जायेगी. राज्य में कुल 8391 पंचायत हैं. राज्य में अब तक पांच प्रखंड और 477 ग्राम पंचायतों के कुल 2302 गांवों को खुले में शौच से मुक्त किया जा चुका है.
सकरैचा होगा ओडीएफ
पटना. एसडीओ, पटना सदर आलोक कुमार ने गुरुवार को फुलवारी ब्लॉक में सात निश्चय के काम में तेजी आने को अधिकारियों के साथ बैठक की, जिसमें सकरैचा पंचायत को 28 जुलाई तक ओडीएफ घोषित करने का निर्णय लिया.