नयी दिल्ली : वह साल 2009 का जनवरीमहीना था जबतत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह को हृदय की बाइपास सर्जरी करवाने के लिए एम्स में भर्ती होना थाऔर तकरीबन एक सप्ताह छुट्टी पर रहना था. उस समय लोकसभा चुनाव सिर पर था, जो उसी साल अप्रैल मई के बीच हुआ. तब प्रणब मुखर्जी को डॉ मनमोहन सिंह की अनुपस्थिति तक के लिए देश का प्रभार संभालने की कुछ दिनों के लिए जिम्मेवारी दी गयीथी. इस समय तक लालकृष्ण आडवाणी भाजपा के द्वारा स्वयं को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करवा चुके थे और मनमोहन पर बहुत आक्रामक थे.
तब आडवाणी को यह लग रहा था कि देश का शीर्ष कार्यकारी पद अब उनकी पहुंच से बस दो कदम ही दूर है. आडवाणी ने मनमोहन सिंह को पहले से जोर-शोर से कमजोर प्रधानमंत्री कहना शुरू कर दिया था. ऐसे में मनमोहन की प्रासंगिकता पर और मजबूती से सवाल उठाने के लिए या फिर प्रणब मुखर्जी की राजनीतिक योग्यता की तारीफ के लिए ही सही आडवाणी ने प्रणब मुखर्जी को संकट मोचक बताया. उन्होंने मुखर्जी को संबोधित एक खुला पत्र लिखा था, जिसका मर्म यह था कि कांग्रेस पार्टी हो या कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकारें उसके लिएप्रणब ही संकट मोचक का काम करते रहे हैंऔर उन्होंने अपनी पार्टी और सरकार को हर संकट से बाहर निकाला.
उस दौर में आडवाणी द्वारा मुखर्जी की यह तारीफ मीडिया में बहुत चर्चा में आयी थी. इसमें यह संकेत भी छिपा था कि योग्यता व क्षमता के बावजूद प्रणब मुखर्जी को कांग्रेस ने कभी वह शिखर जगह नहीं दी जिसके वे उत्तराधिकारी थे. प्रणबमुखर्जी इंदिरा के जमाने से लेकर अपने पॉलिटिकल जूनियर डॉ मनमोहन सिंह के जमाने तक हमेशा नंबर दाे की ही भूमिका में रहे. हां, यह बात अलग है कि साल 2012 में मुलायम व ममता की जोरदार व सुनियोजित किलेबंदी के चलते अंतत: सोनिया गांधी ने प्रणब मुखर्जी को सत्ताधारी यूपीए का राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया.
…और जब प्रणब ने सीटिंग एरेंजमेंट से दु:खी आडवाणी को किया फोन
अगस्त 2012 में प्रणब मुखर्जी को राष्ट्रपति बने कुछ ही सप्ताह बीते थे कि एक ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई कि उन्हें लालकृष्ण आडवाणी को फोन करना पड़ा. दरअसल, तब मीडिया में यह खबर आयी कि आडवाणी जी राष्ट्रपति भवन में हुए स्वतंत्रता दिवस से संबंधित कार्यक्रम में सीटिंग एरेंजमेंट से दु:खी हैं. दअरसल, तब आडवाणी संसद में विपक्ष के नेता नहीं रह गये थे, लोेकसभा में उनकी जगह सुषमा स्वराज ले चुकी थीं और राज्यसभा में अरुण जेटली विपक्ष के नेता थे. प्रणब मुखर्जी ने तब आडवाणी के साथ स्वराज व जेटली को भी फोन कर आश्वस्त किया था कि भविष्य में आडवाणी जी की वरिष्ठता व गरिमा का पूरा ख्याल रखा जायेगा और वे इस मामले पर खुद ध्यान देंगे.ध्यानरहे कि अगस्त 2012 की शुरुआत में ही लालकृष्ण आडवाणी को उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के शपथ ग्रहण समारोह में चौथी पंक्ति में बैठाने की व्यवस्था की गयी थी, जिस पर उनकी पार्टी की आपत्ति के बाद उन्हें पहली पंक्ति में बैठाया गया था.