दार्जीलिंग : कलकत्ता हाइकोर्ट के एक आदेश से अलग गोरखालैंड की मांग कर रहे गोरखा जनमुक्ति मोरचा (जीजेएम) के नेता बौखला गये हैं. वहीं, मदन तमांग की पत्नी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गयी हैं. उन्होंने कहा है कि निचली अदालत में जिस जज को मामले की सुनवाई करनी है, वे दार्जीलिंग के हैं. वह इस मामले में निष्पक्ष सुनवाई कर पायेंगे, इस पर उन्हें शक है. उन्होंने मांग की है कि मेट्रोपोलिटन जज की अदालत में तब तक मामले की सुनवाई शुरू न की जाये, जब तक सुप्रीम कोर्ट से कोई आदेश नहीं आ जाता. इस बीच, गोरखा जनमुक्ति मोरचा युवा मोरचा के अध्यक्ष प्रकाश गुरूंग ने कल से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल का एलान कर दिया है.
GJM Yuva Morcha to go on an indefinite hunger strike from tomorrow: Prakash Gurung, GJM Yuva Morcha President #Darjeeling pic.twitter.com/pLSGhwazrH
— ANI (@ANI) July 20, 2017
पहाड़ पर नयी तरह की हलचल है. जैसे ही हाइकोर्ट के फैसले की खबर जीजेएम नेता बिमल गुरूंग को मिली, उन्होंने दार्जीलिंग पौरसभा के सभी पार्षदों की बैठक अपने आवास पर बुलायी. देर रात तक बैठक चली. दूसरी तरफ, दिल्ली से रोशन गिरि ने कहा कि किसी निर्देश की जानकारी उन्हें नहीं है. उन्होंने कहा कि कोर्ट में विचाराधीन किसी मामले पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे.
कलकत्ता हाइकोर्ट ने सीबीआइ को निर्देश दिया था कि बिमल गुरूंग को कोर्ट में पेश करे. कोर्ट ने सीबीआइ को निर्देश दिया है कि 24 जुलाई को बिमल गुरूंग समेत मदन तमांग हत्याकांड के सभी आरोपियों को कोलकाता की निचली अदालत में पेश किया जाये. हाइकोर्ट के निर्देश पर ही केंद्र सरकार को सीआरपीएफ की चार कंपनी पहाड़ पर भेजनी पड़ी थी. अब कोर्ट ने पहाड़ पर आंदोलन कर रहे गुरूंग को कोलकाता लाने का फरमान जारी किया है.
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हाइकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए बुधवार को सीबीआइ को यह जिम्मेदारी सौंपी. कोर्ट ने सीबीआइ से कहा था कि वह इस बात की जांच करे कि मदन तमांग हत्याकांड के दोषियों ने जमानत की किसी शर्त का उल्लंघन तो नहीं किया. दरअसल, तमांग हत्याकांड में सीबीआइ ने अपनी चार्जशीट में गुरूंग और मोरचा के अन्य शीर्ष नेताअों को आरोपी बनाया था, लेकिन इससे पहले ही इन लोगों ने कोर्ट में अग्रिम जमानत की अर्जी लगा दी थी.
पिछले साल 14 दिसंबर को इन्हें सशर्त जमानत दे दी गयी थी. कोर्ट ने शर्त रखी थी कि फरवरी, 2017 में आरोप गठित होने से पहले सभी अभियुक्त कोलकाता में मौजूद रहेंगे. इतना ही नहीं, सभी लोगों को कोलकाता पुलिस को यह जानकारी देनी होगी कि वे लोग कहां रह रहे हैं और कोलकाता में उनके मोबाइल का नंबर क्या है.
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पश्चिम बंगाल के एक्टिंग चीफ जस्टिस निशीथा म्हात्रे और जस्टिस तपोब्रत चक्रवर्ती की डिवीजन बेंच ने सीबीआइ की लापरवाही पर क्षोभ व्यक्त किया. कोर्ट ने कहा, ‘आरोपी कभी कोर्ट में हाजिर नहीं हुए. फिर भी सीबीआइ ने कोई कार्रवाई नहीं की. क्या उन्हें मामले की गंभीरता का एहसास नहीं है?’
इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि सीबीआइ को यह सुनिश्चित करना होगा कि 24 जुलाई को निचली अदालत में होनेवाली सुनवाई के दौरान सभी आरोपी कोर्ट में हाजिर हों. हाइकोर्ट की खंडपीठ ने निचली अदालत को भी निर्देश दिया है कि 17 अगस्त तक हर हाल में इस मामले में आरोप का गठन कर लिया जाये. जरूरत हो, तो हर दिन मामले की सुनवाई करें. हाइकोर्ट अब इस मामले की सुनवाई 23 अगस्त को करेगा.
जज कुन्दन कुमार से न्याय की उम्मीद नहीं
मदन तमांग हत्याकांड की सुनवाई मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कुंदन कुमार कुमाई करेंगे. वह दार्जीलिंग के रहनेवाले हैं. इसलिए मदन तमांग की विधवा ने कहा है कि उन्हें कुंदन कुमार की अदालत से न्याय मिलने की उम्मीद नहीं है. उन्होंने कहा कि वह दार्जीलिंग के हैं. जज निष्पक्ष सुनवाई कर पायेंगे, इसमें उन्हें शक है. यही वजह है कि मदन की पत्नी भारती ने सुप्रीम कोर्ट में एक मुकदमा दायर किया है. उन्होंने मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट से अपील की है कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने के बाद ही वह सुनवाई शुरू करें.