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संसाधन, मैनपावर व जमीन की समस्या से जूझ रहा है अरगडा का कोयला क्षेत्र

गिद्दी(हजारीबाग):l अरगडा कोयला क्षेत्र संकट के दौर से गुजर रहा है. उत्पादन लक्ष्य से क्षेत्र पिछड़ रहा है और घाटा भी बढ़ रहा है. क्षेत्र की बेहतरी के लिए प्रबंधन के पास कई योजनाएं व सोच है, लेकिन इसके अनुरूप कोई कार्य नहीं हो रहा है. संसाधन है, पर सीमित. इसका अभाव खटकता है. सच […]

गिद्दी(हजारीबाग):l अरगडा कोयला क्षेत्र संकट के दौर से गुजर रहा है. उत्पादन लक्ष्य से क्षेत्र पिछड़ रहा है और घाटा भी बढ़ रहा है. क्षेत्र की बेहतरी के लिए प्रबंधन के पास कई योजनाएं व सोच है, लेकिन इसके अनुरूप कोई कार्य नहीं हो रहा है. संसाधन है, पर सीमित. इसका अभाव खटकता है.

सच है कि मैनपावर की कमी, परियोजना विस्तार के लिए जमीन सहित कई समस्याओं से क्षेत्र की स्थिति बिगड़ रही है. आनेवाले कुछ वर्षों में इसकी स्थिति में सुधार नहीं होगा, तो क्षेत्र की परेशानी और भी बढ़ सकती है. अरगडा परियोजना के नाम से ही अरगडा कोयला क्षेत्र का नामांकरण किया गया है. 60, 70 व 80 के दशक में अरगडा कोयला क्षेत्र के लिए स्वर्णिम काल था. कोयला उत्पादन से लेकर खेलकूद में क्षेत्र का डंका पूरे कोल इंडिया में बजता था. मजदूरों ने अनुशासन व कार्य संस्कृति से यह सब हासिल किया था. उस दौर में खुली व भूमिगत खदानों से कोयले का रिकॉर्ड उत्पादन होता था. धीरे-धीरे भूमिगत खदानें बंद होती गयी. सिरका व अरगडा भूमिगत खदानें बची हुई हैं. अब वह भी बंद होनेवाली हैं. अरगडा क्षेत्र की स्थिति अब पहले की तरह अनुकूल नहीं रह गयी है. क्षेत्र में सेवानिवृत्ति के कारण मैनपावर की संख्या कम हो रही है. हर वर्ष औसतन 150 से लेकर 200 मजदूर सेवानिवृत्त हो रहे हैं. क्षेत्र में फिलहाल मजदूरों की संख्या तीन हजार के आस-पास रह गयी है. मैनपावर की कमी के कारण उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है. प्रशिक्षित मजदूरों के अभाव में कैटेगरी एक के मजदूरों से ऑपरेटर का भी काम लिया जा रहा है. माइंस एक्ट के तहत यह गलत कदम है, लेकिन प्रबंधन बेबस है.
हैवी मोटर का लाइसेंस नहीं मिलने से नियुक्ति नहीं
प्रबंधन का कहना है कि पिछले दो वर्षों से जिले में हैवी मोटर का लाइसेंस नहीं बन रहा है. लिहाजा क्षेत्र में ऑपरेटर सहित अन्य पदों की संख्या कम हो गयी है.

क्षेत्र की सभी परियोजनाओं में मजदूरों की कमी है, लेकिन नये मजदूरों की बहाली नहीं हो रही है. आनेवाले दो-तीन वर्षों में क्षेत्र में मजदूरों की संख्या और भी कम हो जायेगी. इसका सबसे ज्यादा असर गिद्दी वाशरी परियोजना पर पड़ सकता है.
अरगडा क्षेत्र की खुली खदानों में संसाधनों का अभाव है. सभी परियोजनाओं में मैनटेनेंस विभाग है, लेकिन खराब मशीनों का ज्यादातर काम बाहर से कराया जाता है. अरगडा क्षेत्र में कई मशीनें व वाहन सर्वे ऑफ हो चुका है, लेकिन इसका उपयोग किया जा रहा है.

सर्वे ऑफ मशीने चलाने में भी अधिकारियों के कई फायदे हैं. मशीनों का रख -रखाव बेहतर ढंग से नहीं होता है. कुछ वर्षों से अरगडा क्षेत्र कोयला उत्पादन के दृष्टिकोण से पिछड़ रहा है. पिछले वर्ष अरगडा क्षेत्र को 217 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. क्षेत्र की सभी परियोजनाएं पुरानी हो गयी हैं. कोयला उत्पादन के लिए अब अधिक ओबी निकालना पड़ रहा है. प्रबंधन परियोजनाओं का विस्तार करना चाह रहा है, लेकिन इसमें कई तरह की अड़चनें उत्पन्न हो रही हैं. इसका समाधान प्रबंधन नहीं निकाल पा रहा है. नयी खदान खोलने के लिए योजना बनायी गयी है और कागजी प्रक्रिया भी बढ़ा दी गयी है. इसकी प्रगति धीमी गति से हो रही है. अरगडा में नयी खदान खोलने के लिए प्रबंधन को जिला प्रशासन से एनओसी नहीं मिल रहा है. इसका फाइल दो वर्ष से आगे नहीं बढ़ रहा है.

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