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72 घंटे के ड्राइ राशन के साथ युद्ध में रहे थे तैनात

जमशेदपुर: 18 साल पहले हुए करगिल युद्ध की एक-एक बात आज भी एयर डिफेंस के जाबांज सत्येंद्र सिंह काे याद है. छह जून की शाम काे यूनिट हेड ने पूरी फील्ड रेजीमेंट काे बॉर्डर के लिए छह घंटे में रेडी फॉर मूव का आदेश दिया, जिसके बाद महज 72 घंटे का ड्राइ राशन लेकर वे […]

जमशेदपुर: 18 साल पहले हुए करगिल युद्ध की एक-एक बात आज भी एयर डिफेंस के जाबांज सत्येंद्र सिंह काे याद है. छह जून की शाम काे यूनिट हेड ने पूरी फील्ड रेजीमेंट काे बॉर्डर के लिए छह घंटे में रेडी फॉर मूव का आदेश दिया, जिसके बाद महज 72 घंटे का ड्राइ राशन लेकर वे तड़के तीन बजे माेकल चाैकी पर पहुंच गये थे. रेडी फॉर मूव मतलब छह घंटे में अफसर, जेसीआे, जवान अपने निजी हथियार के साथ-साथ बोर्डिंग, लाइट मेटल टैंक आदि लेकर रवाना हाे जाना.
माेकल चाैकी पर पूरी रेजीमेंट रेडी फॉर एक्शन के आदेश में मिसाइल लाेड टैंक पाकिस्तान की तरफ फायर करने के लिए डिप्लॉय कर दिया गया. रात काे मूवमेंट के दाैरान गाड़ियाें का काफिला काफी लंबा था, जिसके कारण हेडलाइट बंद कर दी गयी थी. इस दाैरान सुखविंदर सिंह नामक एक जवान दाे गाड़ियाें में दबकर शहीद हाे गया. इसकी जानकारी सुबह दी गयी, जिसके बाद दाे मिनट का माैन रखा गया. जुगसलाई गाेशाला चाैक केके मिश्रा कॉलाेनी में रहनेवाले सत्येंद्र सिंह ने बताया कि वे कमान पाेस्ट में वायरलेस सेट अॉपरेट कर सीआे काे पाकिस्तानी हवाई जहाज के मूवमेंट की जानकारी प्रदान कर रहे थे. 2-4 दिन एक ही स्थान पर रहने के मूवमेंट करते थे. उनके पास हैवी आर्टलरी मशीन गन थी, जिसे पहाड़ पर लेकर चढ़ना मुश्किल था, लेकिन दुश्मन दूसरा रास्ता खाेलने की यदि हिमाकत करे, ताे उसका मुंहताेड़ जवाब देना जरूरी था, इसलिए वे सभी चाैंकन्ने थे. एक चूल्हे पर काफी लाेग खाना खाते थे, कभी भूखे भी रह जाते थे. अॉपरेशन मेघदूत के पूरा हाेने के बाद भी 25 नवंबर तक बॉर्डर में जमे रहे. सत्येंद्र सिंह ने सियाचिन आैर करगिल दाेनाें क्षेत्राें में हुए युद्ध में हिस्सा लिया है.
पाकिस्तान आज भी कोई बड़ी चुनौती नहीं
सत्येंद्र सिंह ने कहा कि पाकिस्तान भारत के लिए आज भी काेई बड़ी चुनाैती नहीं है. उसके साथ एक बार युद्ध की सीधी बात हाेनी चाहिए. चाइना उसे सपोर्ट कर रहा है, लेकिन जिस तरह सिक्किम बॉर्डर पर भारतीय फाैज ने खड़े हाेने का काम किया है, उससे न केवल चाइना, बल्कि पूरे विश्व में संदेश गया है कि भारत अब बड़ी शक्ति के रूप में स्थापित हाे चुका है. चाइना-पाकिस्तान के साथ युद्ध हाेने की स्थिति में यदि उन्हें बुलाया जायेगा, ताे वे बिना देर किये मां भारती की सेवा में चल पड़ेंगे. सेवानिवृत्ति के बाद सत्येंद्र सिंह आरटीआइ कार्यकर्ता के रूप में समाज सुधार के कार्यों में लगे हुए हैं.
भारत ने खोये थे 527 जांबाज जवान
युद्ध में भारत ने 527 जांबाज खोेये. 1363 जख्मी हुए. एक को युद्धबंदी बनाया. पाकिस्तान को ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा. पाकिस्तानी हमलावरों में से 1700 मारे गये. एक हजार घायल हुए. आठ को युद्धबंदी बनाया.

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