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जानिए कैसे मायावती के लिए बिहार से राज्यसभा पहुंचना होगा आसान, अगले साल 2 अप्रैल को कार्यकाल हो जायेगा खत्म

यूपी में रास्ते हैं बंद : अगले साल दो अप्रैल को मायावती का कार्यकाल हो जायेगा खत्म, राजद के खाते में आनी हैं दो सीटें पटना : बसपा प्रमुख मायावती अगले साल दो अप्रैल को राज्यसभा से रिटायर्ड हो जायेंगी. यूपी विधानसभा में बसपा की अब उतनी हैसियत नहीं रह गयी है, जिससे अपनी ताकत […]

यूपी में रास्ते हैं बंद : अगले साल दो अप्रैल को मायावती का कार्यकाल हो जायेगा खत्म, राजद के खाते में आनी हैं दो सीटें
पटना : बसपा प्रमुख मायावती अगले साल दो अप्रैल को राज्यसभा से रिटायर्ड हो जायेंगी. यूपी विधानसभा में बसपा की अब उतनी हैसियत नहीं रह गयी है, जिससे अपनी ताकत के बलबूते मायवाती दोबारा राज्यसभा पहुंच पाये.
अप्रैल, 2018 में बिहार से राज्यसभा की छह सीटें खाली हो रही हैं. इनमें से चार जदयू कोटे की सीटें हैं. बिहार विधानसभा में अस्सी विधायकों वाली राजद सबसे बड़ी पार्टी है. संख्या बल के आधार पर राजद अपने दम पर राज्यसभा की कम से कम दो सीटों पर जीत सकता है.
राजद के बिहार से फिलहाल राज्यसभा में एक सदस्य मीसा भारती हैं, जिनका कार्यकाल 2022 में पूरा होगा. मायावती यदि राजद के प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लेती हैं, तो एक अतिरिक्त सीट राजद के पास बचा रहेगा. इसी राजनीतिक गणित के आधार पर राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद ने बसपा सुप्रीमो मायावती को राज्यसभा भेजने का प्रस्ताव दिया है. भाजपा के खिलाफ मोरचाबंदी का ऐलान करने वाले लालू प्रसाद की नजर दलित वोट बैंक पर टिकी है. मायावती यदि राजद के प्रस्ताव को स्वीकार कर लेती हैं, तो 2019 के लोकसभा चुनाव में राजद को इसका सीधा लाभ होगा.
बिहार में दलित वोट का पैरोकार फिलहाल रामविलास पासवान को माना जाता रहा है. लोकसभा चुनाव में महागठबंधन के तीनों दल एकसाथ रहे तो उसमें मायावती की ताकत भी जुड़ जायेगी. महागठबंधन में बिखराव की हालत में भी राजद लाभ की स्थिति में रहेगा.
अप्रैल, 2018 में जदयू के चार और भाजपा के दो सदस्य राज्यसभा से हो जायेंगे रिटायर्ड
अप्रैल, 2018 में बिहार से जो छह सदस्य रिटायर्ड होने वाले हैं, उनमें जदयू के वशिष्ठ नारायण सिंह, अली अनवर, किंग महेंद्र और अनिल साहनी के नाम शामिल हैं.
भारतीय जनता पार्टी के सदस्यों में केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद और धर्मेंद्र प्रधान का कार्यकाल भी अगले साल खत्म हो रहा है. बिहार से राजद की एक मात्र मीसा भारती राज्यसभा में सदस्य हैं. जबकि, कांग्रेस के एक भी सदस्य बिहार राज्यसभा में नहीं हैं. विधानसभा के संख्या बल के आधार पर महागठबंधन छह में कम से कम चार सीटें आसानी से जीत सकता है. दो सीटें जदयू और दो सीटें राजद के खाते में जानी तय है.
इसके बाद भी उसके कुछ वोट बचे रह जायेंगे. दूसरी ओर एनडीए चाह कर भी एक से अधिक उम्मीदवार को नहीं जीता पायेगा. रविशंकर प्रसाद और धर्मेंद्र प्रधान की जगह कोइ एक ही आसानी से राज्यसभा पहुंच पायेंगे. हालांकि, एनडीए के पास भी अतिरिक्त वोट बच जायेंगे. ऐसी स्थिति में छठी सीट के लिए एनडीए और महागठबंधन के बीच कड़े मुकाबले से ही फैसले की उम्मीद की जा रही है.
बसपा के छह सदस्य हैं फिलहाल राज्यसभा में
उत्तर प्रदेश से राज्यसभा में बसपा के छह सदस्य हैं. इनमें मायावती और मंसूद अली अप्रैल, 2018 में रिटायर्ड हो जायेंगे. बाकी राजाराम और वीर सिंह 2020 में तथाा सतीश चंद्र मिश्रा और सिद्धार्थ अशोक का कार्यकाल 2022 में समाप्त हो जयेगा. अप्रैल , 2018 में यूपी से दस सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो जायेगा. उत्तर प्रदेश विधानसभा में बसपा के 19 विधायक हैं. ऐसी स्थिति में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद का प्रस्ताव मायावती के लिए राजनीतिक वरदान साबित हो सकता है.

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