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जमीन पर बैठ कर पढ़ते हैं छात्र-छात्राएं
आरा : न्यू प्राथमिक विद्यालय, सहार का भवन अच्छा है पर बेंच व डेस्क एक भी नहीं है. मजबूरी में जमीन पर बैठ कर छात्र पढ़ाई करते हैं. विद्यालय में अन्य कई संसाधनों का भी घोर अभाव है. शिक्षक एवं छात्र का सरकारी अनुपात सही है. विद्यालय में 130 छात्र-छात्राओं का नामांकन है, पर महज […]
आरा : न्यू प्राथमिक विद्यालय, सहार का भवन अच्छा है पर बेंच व डेस्क एक भी नहीं है. मजबूरी में जमीन पर बैठ कर छात्र पढ़ाई करते हैं. विद्यालय में अन्य कई संसाधनों का भी घोर अभाव है. शिक्षक एवं छात्र का सरकारी अनुपात सही है. विद्यालय में 130 छात्र-छात्राओं का नामांकन है, पर महज दो कमरों में उनकी पढ़ाई होती है. इससे छात्रों के भविष्य पर काफी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. जबकि सरकार ने प्राथमिक शिक्षा को सभी बच्चों के लिए अनिवार्य बनाया है. पर इस नियम का पालन सरकार के विद्यालयों में ही नहीं हो रहा है. इससे हर बच्चे को साक्षर व शिक्षित बनाने का सरकार का अभियान डपोरसंखी साबित हो रही है. पढ़ने का लालसा रखनेवाले गरीबों के बच्चे इस कुव्यवस्था के शिकार हो रहे हैं. उनका भविष्य अंधकारमय हो रहा है.
इस कारण सरकार के राजस्व का भी चूना लग रहा है. भोजन के लालच में पढ़ाई कराने की सरकार की योजना पर भी प्रश्नचिह्न खड़ा हो रहा है. हालांकि उच्चाधिकारियों द्वारा भी समय-समय पर इसकी जांच नहीं की जाती है या जानबूझ कर जांच नहीं की जाती है. यह पूरी तरह जांच का विषय है. प्रभात खबर की टीम शिक्षा से छल योजना के तहत ऑन द स्पॉट पड़ताल करने पहुंची, तो कई चौंकानेवाले तथ्य सामने आये. बच्चों की शिक्षा को लेकर सरकारी दावे विद्यालय में पूरी तरह फेल है.
शौचालय में हमेशा लटका रहता है ताला
विद्यालय में शौचालय तो बनाया गया है पर शौचालय में हमेशा ताला बंद रहता है. इस कारण छात्र-छात्राओं को शौचालय के लिए काफी परेशानी होती है. मजबूरी में छात्र-छात्राएं विद्यालय परिसर में या विद्यालय से बाहर जाकर शौच आदि करते हैं. इस कारण विद्यालय में बदबू फैली रहती है. इससे केंद्र सरकार के स्वच्छ भारत मिशन की हवा निकल रही है. सरकार के लाख प्रयास के बाद भी स्वच्छता के प्रति लोगों में जागरूकता नहीं आ रही है. जबकि प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों में स्वच्छता के प्रति जागरूकता पैदा करने की सबसे ज्यादा आवश्यकता है.
130 में महज 30 छात्र ही थे उपस्थित
प्रभात खबर की टीम लगभग साढ़े बारह बजे विद्यालय पहुंची, तो महज 30 छात्र ही उपस्थित थे. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि विद्यालय में पढ़ाई की क्या स्थिति है. जबकि सरकार बार-बार घोषणा करती है कि सभी बच्चों को शिक्षा अनिवार्य है. इसके लिए सरकार ने शिक्षकों को यह दायित्व सौंपा है कि सभी बच्चों को हर हाल में विद्यालय लाया जाये, पर शिक्षकों की लापरवाही के कारण विद्यालय में छात्रों की उपस्थिति काफी कम रहती है.
मध्याह्न भोजन में की जाती है गड़बड़ी
विद्यालय में 130 छात्रों का नामांकन है. प्रतिदिन लगभग इतने ही छात्रों के लिए भोजन की व्यवस्था की जाती है. पर साढ़े बारह बजे तक महज 30 छात्र ही उपस्थित थे. जबकि उपस्थिति पंजी में किसी की उपस्थिति दर्ज नहीं की गयी थी. लोगों का कहना है कि ऐसा जानबूझ कर किया जाता है, ताकि अंत में सभी छात्रों की उपस्थिति बना दी जाये तथा मध्याह्न भोजन में गड़बड़ी पैदा की जा सके.
संसाधनों की कमी का दंश झेल राह विद्यालय
सरकार की शिक्षा में सुधार की घोषणाएं विद्यालय में दिखाई नहीं पड़ रही है. संसाधनों की कमी का दंश विद्यालय झेल रहा है. न्यू प्राथमिक विद्यालय में एक भी बेंच नहीं है. बच्चे जमीन पर बैठ कर पढ़ाई करते हैं. बच्चों को यह आदम जमाने की स्थिति महसूस होती है. जबकि सरकार संसाधनों पर लाखों खर्च की बात करती है, पर धरातल पर इसका सर्वथा अभाव दिख रहा है.
क्या कहती हैं एचएम
उपलब्ध संसाधनों में प्रयास रहता है कि अच्छी-से-अच्छी पढ़ाई की जाये. सभी बच्चों को बुलाने का प्रयास किया जाता है पर कई तरह की बातें होती हैं. इससे इस कार्य में थोड़ी कठिनाई होती है. कमरों के अभाव के कारण दो कमरों में ही पढ़ाई की जाती है.
नीलू देवी, प्रधानाध्यापिका
130 छात्र पर हैं चार शिक्षक
विद्यालय में 130 छात्र पढ़ाई करते हैं. वहीं चार शिक्षक पदस्थापित हैं. विद्यालय में शिक्षक छात्र का सरकारी आंकड़ा सही है. पर छात्रों की पढ़ाई ठीक से नहीं होती है. प्रतिदिन सभी छात्र उपस्थित नहीं रहते हैं. इस कारण छात्रों की पढ़ाई पर काफी विपरीत असर पड़ रहा है. जबकि सरकार ने शिक्षकों को जिम्मा लगाया है कि प्रतिदिन सभी छात्र विद्यालय आएं.
भवन है अच्छा, पर नहीं मिल रहा उसका लाभ
विद्यालय का भवन अच्छा है. पर इसका लाभ छात्र-छात्राओं को नहीं मिल पा रहा है. महज दो कमरों में ही छात्र-छात्राओं को पढ़ाई की जाती है. इस कारण पढ़ाई के दौरान काफी अव्यवस्था बनी रहती है. इससे नौनिहालों का भविष्य काफी अंधकारमय हो रहा है. पढ़ाई की उत्तम व्यवस्था के बगैर ऊपरी कक्षाओं में छात्रों को पहुंचने तथा पढ़ने में कठिनाई होगी.
अधिकारियों द्वारा नहीं किया जाता है निरीक्षण
विद्यालय में नियमानुसार शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा विद्यालय की शैक्षणिक व्यवस्था तथा अन्य व्यवस्था को लेकर समय-समय पर निरीक्षण करने का प्रावधान है, पर विभाग के अधिकारियों द्वारा विद्यालय का निरीक्षण नहीं किया जाता है. इससे विद्यालय में कई तरह की अव्यवस्था कायम है. इस कारण विद्यार्थियों की पढ़ाई पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है.
एक से पांच तक पढ़ाई होती है दो कमरों में : विद्यालय में चार कमरे हैं, पर महज दो कमरों में एक से पांच कक्षा तक की पढ़ाई की जाती है. दो कमरों में एक से पांच कक्षा तक पढ़ाई कैसे होती है. इस तकनीक को विद्या लय के शिक्षक, शिक्षा विभाग के अधिकारी व सरकार ही बता सकते हैं. सरकार की घोषणा और धरातल पर वास्तविक स्थिति दोनों एक-दूसरे के विपरीत हैं.
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