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ज्‍यादा दर्द हो, तो हो जाएं अलर्ट, हो सकता है कैंसर

गॉल ब्लाडर में पथरी या स्टोन होना बड़ी बात नहीं है. नॉर्मल ऑपरेशन से यह ठीक हो जाता है, पर ज्यादातर मामलों में पथरी के आस-पास के टिश्यू में सिस्ट और सूजन भी देखा गया है, जो ट्यूमर या कैंसर का कारण बन जाता है. चिंता की बात यह है कि गॉल ब्लाडर कैंसर के […]

गॉल ब्लाडर में पथरी या स्टोन होना बड़ी बात नहीं है. नॉर्मल ऑपरेशन से यह ठीक हो जाता है, पर ज्यादातर मामलों में पथरी के आस-पास के टिश्यू में सिस्ट और सूजन भी देखा गया है, जो ट्यूमर या कैंसर का कारण बन जाता है. चिंता की बात यह है कि गॉल ब्लाडर कैंसर के ज्यादातर मामलों का पता तीसरे या अंतिम स्टेज में चलता है, जिस कारण मरीज को बचा पाना मुश्किल हो जाता है.
इससे बचाव के लिए जरूरी है कि कोई भी पेट संबंधी समस्या हो, तो तुरंत पेट रोग विशेषज्ञ से मिलें और सिस्ट की शंका हो, तो कैंसर विशेषज्ञ से. इस बारे में बता रहे हैं हमारे विशेषज्ञ.
गॉल ब्लाडर या पित्ताशय हमारे शरीर का ऐसा अंग है, जिसके बारे में कम ही लोग जानते हैं. ज्यादातर लोग यह जानते भी नहीं हैं, गॉल ब्लाडर क्या है और उसका हमारे शरीर में क्या काम है. कइयों को तो इसके बारे में तब पता चलता है, जब गाॅल ब्लाडर से जुड़े रोग उसे या उसके किसी जाननेवाले को हो.
दरअसल, गाॅल ब्लाडर लिवर से जुड़ा हुआ एक छोटा-सा अंग है, जो लिवर में बननेवाले बाइल (पित्त) को बाइल डक्ट (नली) की मदद से अपने पास जमा कर लेता है और थोड़ी-थोड़ी मात्रा में छोटी आंत को देता है, जो फैट के पाचन में काम आता है.
स्टोन के ऑपरेशन से पहले विशेषज्ञ से मिलें
खराब खान-पान, खास कर पानी में आर्सेनिक व अन्य चीजों की मिलावट होने के कारण गाॅल ब्लाडर में स्टोन हो जाता है, जो बाद में कैंसर का रूप भी ले लेता है.
हालांकि, जरूरी नहीं है कि हर स्टोन कैंसर ही हो, जबकि पेट से जुड़ी कोई भी समस्या को इसके लक्षण के तौर पर देखा जा सकता है. कई बार ऐसा होता है कि रोगी को पेट में दर्द हुआ और अल्ट्रासाउंड कराने पर स्टोन का पता चला.
ऐसे में कई डॉक्टर बस स्टोन का ऑपरेशन कर स्टोन को निकाल देते हैं, पर वे ये चेक नहीं करते कि स्टोन के साथ कोई सिस्ट या ट्यूमर तो नहीं है. कई बार गाॅल ब्लाडर के आस-पास के टिश्यू में भी सूजन या सिस्ट देखा जाता है. यदि ब्लड टेस्ट या अल्ट्रासाउंड में स्टाेन का पता चले, तो मरीज को एक बार गैस्ट्रोइंट्रोलॉजिस्ट से जरूर संपर्क करना चाहिए.
यहां तक कि यदि स्टोन के ऑपरेशन के लिए भी डॉक्टर परामर्श दें, तो भी एक बार किसी अच्छे गैस्ट्रोइंट्रोलॉजिस्ट से संपर्क करें और यदि फिर भी शक हो, तो किसी ऑन्कोलॉजिस्ट या कैंसर रोग विशेषज्ञ से परामर्श ले सकते हैं. इसकी मुख्य वजह यह है कि 90 प्रतिशत गॉल ब्लाडर कैंसर के केस में रोगी आखिरी समय में डॉक्टर के पास आते हैं.
उस समय में उनके कैंसर का तीसरा या चौथा स्टेज चल रहा होता है, जिसमें रोगी का पूर्णत: इलाज संभव नहीं हो पाता है. बस उनको कुछ महीनों या कुछ साल अधिक तक जीवित रखने की कोशिश की जाती है.
90 प्रतिशत मामले में पहले स्टेज में पता नहीं चलता
गॉल ब्लाडर लिवर से निकलनेवाले बाइल या पित्त को बाइल डक्ट (नली) की मदद से जमा करता है और आवश्यकतानुसार आंत को देता है, जो फैट पचाने का काम करता है.
आजकल गॉल ब्लाडर कैंसर के काफी मामले आ रहे हैं, चिंता की बात है कि कोई विशेष लक्षण न होने के कारण इस कैंसर का पता तीसरे और चौथे स्टेज में चल पाता है, जिसके बाद मरीज को बचा पाना मुश्किल हो जाता है, इसलिए किसी भी तरह के पेट दर्द या स्टोन की शिकायत होने पर पेट रोग विशेषज्ञ से मिलना और जांच कराना जरूरी होगा.
डॉ अनूप कुमार
एसोसिएट प्रोफेसर, ऑन्कोलॉजी डिपार्टमेंट (रिम्स), रांची
गंगा नदी के किनारे बसे शहरों में
अधिक देखे गये हैं मामले
विशेषज्ञ बताते हैं कि गंगा नदी के किनारे बसनेवाले लोगों को गॉल ब्लाडर कैंसर का खतरा अधिक देखा गया है.हालांकि, इस पर कई केंद्रीय संस्थाएं और वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं कि गंगा किनारे के लोगों में स्टोन अधिक होने का क्या कारण है. विशेषज्ञ मानते हैं कि गंगा के पानी में आर्सेनिक सहित कई अन्य हानिकारक एलीमेंट पाये जाते हैं, जो गॉल ब्लाडर में स्टोन बनने के मुख्य कारक हैं.
विशेषज्ञ यह भी बताते हैं कि गंगा में फेंके जानेवाले कचरे, केमिकल और गंदगी के कारण भी आस-पास रहनेवाले लोगों में गॉल ब्लाडर स्टाेन के मामले देखे गये हैं. यदि स्टोन हो जाये, तो सर्जरी ही एकमात्र इलाज है और सर्जरी के समय ही इसमें सिस्ट या ट्यूमर का पता चल सकता है, जिसे काट कर अलग किया जा जाता है.
महिलाओं को अधिक खतरा
महिलाओं में एस्ट्रोजेन नाम का हार्मोन अधिक उत्सर्जित होता है, जो कोलेस्ट्रॉल की वृद्धि का कारण है. इस कारण उनमें गॉल ब्लाडर स्टोन और कैंसर दोनों का खतरा ज्यादा होता है. इसके अलावा मोटे लोगों में भी कोलेस्ट्रॉल की अधिकता के कारण स्टोन और गॉल ब्लाडर कैंसर का खतरा अधिक होता है.
यदि जॉन्डिस हो, शरीर पीला पड़ जाये, पेट में दर्द हो, पेशाब गाढ़ा पीले रंग का हो और उसमें जलन हो, बार-बार उबकी आये, खुजली की समस्या हो, तो सतर्क हो जाएं. ये सभी गॉल ब्लाडर कैंसर के लक्षण हो सकते हैं.
यह सबसे खतरनाक कैंसर माना जाता है, क्योंकि इसके शुरुआती कोई लक्षण नहीं होते और 90 प्रतिशत मामलों में गॉल ब्लाडर कैंसर का पता आखिरी और तीसरे स्टेज में चलता है, जिसके बाद इसका पूर्ण इलाज संभव नहीं हो पाता है.
किसी भी कैंसर का पूर्व में कुछ खास लक्षण नहीं होता. वह अन्य बीमारियों की तरह ही आम लक्षण के साथ आता है, जिसमें दर्द सबसे प्रमुख है. गॉल ब्लाडर के मामले में भी आपको पेट लगातार दर्द हो, गैस की समस्या हो, शरीर के किसी हिस्से में गांठ, उल्टी के साथ खून आना आदि देखे जा सकते हैं.
यदि ऐसे कोई भी लक्षण हो या ब्लड टेस्ट और अल्ट्रासाउंड में स्टोन की शिकायत हो, तो सतर्क हो जाना चाहिए, क्योंकि 90 गॉल ब्लाडर के कैंसर पथरी के साथ ही आते हैं. कई बार पथरी होने पर भी डाॅक्टर सिर्फ स्टोन की सर्जरी करते हैं, जबकि सिस्ट, ट्यूमर या आस-पास के टिश्यू में सूजन रह ही जाता है, जो कैंसर कारण बनता है.
इसलिए बेहतर होगा कि कोई भी परेशानी होने पर पेट रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें और यदि फिर भी शंका हो, तो एक बार सिटी स्कैन करा कर भी देख लें. वैसे अच्छे विशेषज्ञ डॉक्टरों को ब्लड टेस्ट और अल्ट्रासाउंड में की रिपोर्ट से ही कैंसर का संदेह हो जाता है और कंफर्म करने के लिए वे सिटी स्कैन का सहारा लेते हैं.
चिंता का विषय यह भी है कि गॉल ब्लाडर का ट्यूमर बाइल डक्ट (नली), लिवर और छोटी आंत को भी संक्रमित कर देता है. टिश्यू डैमेज होने के कारण स्थिति और गंभीर हो जाती है.
तीसरे स्टेज में कीमोथेरेपी है इलाज
चूंकि, ज्यादातर मामले लेट से पता चलते हैं, इसलिए इसका पूर्ण इलाज संभव नहीं है, पर कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी की मदद से रोगी को कुछ दिनों, महीनों या सालों का जीवन मिल जाता है.
बिहार-झारखंड के सभी बड़े सरकारी अस्पतालों जैसे- रांची में रिम्स, पटना में पीएमसीएच, आइजीआइएमएस और पटना एम्स में इसके इलाज की सुविधा है. यदि पहले दो स्टेज में इसका पता चल जाये, तो इसका पूरा इलाज हो जाता है और रोगी पूरी तरह ठीक होकर घर लौटता है, पर आखिरी दो स्टेज में कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी ही उपाय बचता है.
गॉल ब्लाडर निकाल देने के नुकसान
माना जाता है कि गॉल ब्लाडर निकाल देने से आम तौर पर कोई नुकसान नहीं होता, पर यह छोटी-सी थैली अपने अंदर बाइल को जमा रखता है, जो फैट यानी वसा के पाचन में मदद करता है.
गॉल ब्लाडर के निकाल देने से बाइल सीधा लिवर से आंत में जाता है, जिससे वसा को पचाने में दिक्कत आती है और वह मोटापा, उच्च रक्तचाप सहित अन्य गंभीर रोगों का कारण बन सकता है. बाइल का काम शरीर के कोलेस्ट्राॅल और फैट को तोड़ना और अन्य गैरजरूरी एसिड और बेकार पदार्थों को बाहर करना होता है.
गॉल ब्लाडर कैंसर के महत्वपूर्ण तथ्य
– भारत में इसके ज्यादा मामले नहीं देखे गये हैं, पर उत्तर और पूर्वोत्तर भारत में गॉल ब्लाडर कैंसर के ज्यादा मामले पाये जाते हैं.
– भारतीय महिलाओं में पेट से जुड़ा यह सबसे कॉमन कैंसर है.
– भारत से बाहर जानेवाले लोगों में गॉल ब्लाडर कैंसर ज्यादा देखा गया है.
– बड़े और ज्यादा दिनों के स्टोन कैंसर के प्रमुख कारणों में से एक हैं.
– उत्तर भारत में गॉल ब्लाडर कैंसर के कई कारण भी देखे गये हैं, जिसमें पानी की अशुद्धता प्रमुख है.
– केंद्रीय स्वास्थ्य टीम और बिहार के कई कैंसर और पेट रोग विशेषज्ञ इस पर शोध करनेवाले हैं.
– वे इस जानलेवा कैंसर के सही कारणों का पता लगायेंगे.
कैंसर के कारण और लक्षण
अन्य कैंसर की तरह ही इसका कोई खास लक्षण नहीं है. शंका के आधार पर इसका टेस्ट किया जाता है. फिर भी कुछ प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं. हालांकि, ये लक्षण अन्य रोगों के भी हो सकते हैं और जांच से ही कैंसर का पता चल सकता है.
– पेट में लगातार दर्द, गैस की समस्या
– यदि आप अपने फूड डायट में हाइ कार्बोहाइड्रेट फूड लेते हैं और फाइबर कम लेते हैं, तो भी गॉल ब्लाडर का ट्यूमर हो सकता है.
– उम्र बढ़ने के साथ ही गॉल ब्लाडर कैंसर के होने की आशंका बढ़ जाती है. अमूमन बाइल डक्ट कैंसर 65 के बाद कॉमन हो गया है. हालांकि, भारत में यह 30-32 वर्ष की उम्र में भी देखा गया है, जिसका कारण दूषित और केमिकल वाला पानी का सेवन माना गया है.
– इंडस्ट्रियल केमिकल जैसे- azotoluene के शरीर में प्रवेश करने से भी ट्यूमर के बनने की संभावना बढ़ जाती है.
स्वास्थ्य जांच कराते रहें
– रेगुलर स्वास्थ्य जांच कराते रहें. कोई भी समस्या हो, तो खुद से दवाई लेने से बचें.
– गुटका व तंबाकू से दूर रहें, तली-भुनी चीजों कम खाएं.
– केमिकल युक्त सब्जी का प्रयोग न करें
– पानी फिल्टर करके ही पीएं.
गॉल ब्लाडर कैंसर के महत्वपूर्ण तथ्य
– भारत में इसके ज्यादा मामले नहीं देखे गये हैं, पर उत्तर और पूर्वोत्तर भारत में गॉल ब्लाडर कैंसर के ज्यादा मामले पाये जाते हैं.
– भारतीय महिलाओं में पेट से जुड़ा यह सबसे कॉमन कैंसर है.
– भारत से बाहर जानेवाले लोगों में गॉल ब्लाडर कैंसर ज्यादा देखा गया है.
– बड़े और ज्यादा दिनों के स्टोन कैंसर के प्रमुख कारणों में से एक हैं.
– उत्तर भारत में गॉल ब्लाडर कैंसर के कई कारण भी देखे गये हैं, जिसमें पानी की अशुद्धता प्रमुख है.
– केंद्रीय स्वास्थ्य टीम और बिहार के कई कैंसर और पेट रोग विशेषज्ञ इस पर शोध करनेवाले हैं.
– वे इस जानलेवा कैंसर के सही कारणों का पता लगायेंगे.

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