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बिहार : लड़कियां मनचलों की सॉफ्ट टारगेट, छेड़खानी से टूट रही हिम्मत, उठा रही हैं आत्मघाती कदम

छेड़खानी की हरकतों से टूट रही हिम्मत लड़कियां उठा रही हैं आत्मघाती कदम बिहार में लड़कियां मनचलों की सॉफ्ट टारगेट हैं. कभी शौच जाते वक्त उन्हें रास्ते से खींच लिया जाता है, तो कभी स्कूल जाते वक्त रास्ता रोका जा रहा है. फब्तियां, छेड़खानी, अश्लील हरकत, रेप और गैंग रेप जैसे जघन्य अपराध लड़कियों को […]

छेड़खानी की हरकतों से टूट रही हिम्मत लड़कियां उठा रही हैं आत्मघाती कदम
बिहार में लड़कियां मनचलों की सॉफ्ट टारगेट हैं. कभी शौच जाते वक्त उन्हें रास्ते से खींच लिया जाता है, तो कभी स्कूल
जाते वक्त रास्ता रोका जा रहा है. फब्तियां, छेड़खानी, अश्लील हरकत, रेप और गैंग रेप जैसे जघन्य अपराध लड़कियों को मानसिक तौर पर इस तरह से तोड़ रहीं हैं कि वे अब आत्मघाती कदम उठाने लगी हैं.
ऐसे में पुलिस-प्रशासन के साथ सामाजिक सरोकार से जुड़ा हर शख्स सवालों के घेरे में है. छेड़खानी उन्हें इस कदर आहत कर रही है कि लड़कियां सुसाइड करने लगी हैं. सबसे ज्यादा लड़कियों को तब निशाना बनाया जा रहा है, जब वे घर से सुबह-शाम शौच के लिए निकल रहीं हैं.
पटना : छेड़खानी और रेप की घटनाएं बदस्तूर जारी हैं. आलम ये है कि लड़कियों को घर से निकलने में सौ बार सोचना पड़ रहा है. 14 जुलाई 2017 को धनरुआ के नदपुरा गांव की युवती के साथ गैंग रेप और युवती द्वारा सुसाइड कर लेने की घटना ने बड़े सवाल खड़े कर दिये हैं. घटना का सबसे शर्मनाक पहलू यह है कि लड़की को तब निशाना बनाया गया जब वह घर से शौच के लिए निकली थी. उसके घर में शौचालय नहीं था, इसलिए सुबह-शाम घर से निकलना उसकी मजबूरी थी और इसका फायदा गांव के दो युवकों ने उठाया.
इस घटना से आहत लड़की ने शनिवार की सुबह जहर खाकर जान दे दी. हैरान करने वाली बात यह है कि ये वारदात पहली बार नहीं हुई है. इससे पहले 17 जून 2017 को लखीसराय मेें युवती से शौच जाने के दौरान गैंग रेप और फिर किउल स्टेशन के पास ट्रेन से धक्का देने की घटना हुई थी. हालांकि इलाज के बाद लड़की घर पर है.
नहीं हुई गिरफ्तारी
धनरुआ मामले में आरोपित दोनों युवकों की गिरफ्तारी अभी तक संभव नहीं हो पायी है. हालांकि, पुलिस लगातार आरोपित युवकों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी कर रही है. इधर, पोस्टमार्टम के बाद किशोरी का रविवार को दाह- संस्कार कर दिया गया. घटना को लेकर गांव में रोष है.
इनकी भी जिंदगी पर भारी पड़ी छेड़खानी की वारदात
फुलवारी शरीफ में छेड़खानी से तंग आकर लड़की ने कर लिया था सुसाइड
फुलवारी शरीफ में 12 जुलाई 2017 को एक लड़की ने फांसी का फंदा लगाकर आत्महत्या कर लिया. मामला यह था कि मुहल्ले का ही एक लड़का उससे छेड़खानी करता था. युवती के घरवालों ने केस दर्ज कराया था. पुलिस ने उसे पकड़ कर जेल भेज दिया. लेकिन वह जमानत पर छूट गया. इसके बाद वह फिर से वही हरकत करने लगा. इससे लड़की को गहरा धक्का लगा. उसने फांसी लगाकर जान दे दी.
लखीसराय में शौच जा रही लड़की से हुआ था गैंगरेप
17 जून 2017 को लखीसराय में घर
से शौच करने के लिए निकली 10वीं
की छात्रा को कुछ मनबढ़ों ने खींच लिया था. छात्रा के साथ गैंगरेप किया गया. हालांकि छात्रा ने इलाज के
दौरान बयान दिया था कि पहले उसके साथ रेप किया गया और फिर उसेकिउल स्टेशन के पास ट्रेन से फेंक दिया गया था. इस दौरान काफी इलाज के बाद जान तो बच गयी लेकिन उसके सिर में गंभीर चोट आयी और पैर भीटूट गया था.
विरोध किया तो बेरहमी से कर दी थी पिटाई
10 फरवरी 2016 को रोहतास जिले के बिक्रमगंज के कस्तूरबा विद्यालय
सूर्यपुरा में आठवीं कक्षा में पढ़ने वाली छात्रा से स्कूल जाने के दौरान एक मनचले ने छेड़खानी की. जब उसने विरोध किया तो मनचले ने उसको तब तक पीटा जबतक वह बेहोश नहीं हो गई. पीटने के बाद वह फरार हो गया. आस-पास के लोगों ने छात्रा को तड़पते देखा तो उसे प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में भर्ती कराया. पुलिस ने छात्रा के बयान पर विक्रमगंज निवासी संतोष कुमार पर एफआइआर दर्ज कर थी.
… जब छेड़खानी से परेशान हो छोड़ दिया था स्कूल
फरवरी 2016 में ही छेड़खानी की ऐसी ही घटना दावथ प्रखंड के मध्य विद्यालय सेमरी में सामने आई थी. वहां पढ़ने वाली 400 में से 350 छात्राओं ने एक माह से स्कूल आना बंद कर दिया था.
जो छात्राएं विद्यालय आती थीं वह उपस्थिति बनाकर 11 बजे तक लौट जातीं थीं. छात्राएं असामाजिक तत्वों से परेशान थीं. रास्ते में छेड़खानी करते थे और स्कूल की दीवारों पर अनेक जगह अश्लील बातें लिख देते थे. क्लास रुम की खिड़कियों से गंदी हरकतें करते थे, फूल, कागज, ईंट के टुकड़े फेंकते थे. बाद में जब पुलिस सक्रिय हुई तो मामला शांत हुआ.
शिकायत की अनदेखी नहीं करें अिभभावक
मनोचिकित्सक साक्षी ने छेड़छाड़ के कारण युवतियों द्वारा आत्महत्या किये जाने के पीछे फ्रस्ट्रेशन को जिम्मेदार बताया. साक्षी का कहना है कि जब फ्रस्ट्रेशन लेवल बहुत बढ़ जाता है तो इंसान समझ नहीं पाता कि वह क्या करे, इसी मानसिक स्थिति में उसके अंदर जान लेने या देने की सोच उपजती है. ध्यान देने वाली बात यह है कि हर इंसान के बर्दाश्त करने की क्षमता अलग होती है.
कोई ऐसे मामलों को झेल जाता है तो कोई झेल नहीं पाता. कई मामलों में हम देखते हैं कि लड़कियां घर वालों से शिकायत करती हैं, लेकिन घर वाले उसकी बातों पर ध्यान नहीं देते हैं और इन चीजों की अनदेखी करते हैं. जिसके कारण ऐसी घटनाएं हो जाती हैं. आज जरूरत इस बात की है कि बेटी बचाओ अभियान की बजाय, लड़कों को ट्रेनिंग दी जाये कि वे किस तरह लड़कियों से पेश आयें. आखिर एक सम्मानित जीवन जीने का हर लड़की को अधिकार है.

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