दरभंगा : जिला के प्राचीन मंदिरों में राज परिसर स्थित माधवेश्वर मंदिर का अपना एक अलग महत्व है. मंदिर की स्थापना दरभंगा के महाराजा माधव सिंह ने 350 वर्ष पूर्व करायी थी. इन्ही के नाम पर मंदिर का नाम माधवेश्वर नाथ महादेव मंदिर पड़ा. मंदिर के ठीक सामने तालाब खुदवाया गया. महादेव की पूजा- अर्चना को ले खुदवाये गये इस तालाब में कई तीर्थ स्थल से जल मंगवाकर डाला गया था. आज भी लोग शिवलिंग पर इसी तालाब से जल लेकर अर्पण करते हैं.
मंदिर का इतिहास जितना पुराना है. उतना ही मंदिर के प्रति लोगों का विश्वास. मंदिर के महंथ पाली घनश्यामपुर निवासी सुखचन्द्र झा हैं. कई पीढ़ी से उनका परिवार महादेव की सेवा करता आ रहा है. दादा स्व. भूवनेश्वर झा, पिता उमेश झा के बाद वे पूजा अर्चना कर रहे हैं. मंदिर में सच्चे दिल से की गयी याचना भोले भंडारी पूरी करते हैं. इस विश्वास के साथ यहां लोग याचक बनकर आते हैं. मनोकामना पूरी होने के बाद लोग बाबा भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करना नहीं भूलते. शिवरात्रि, सोमवारी एवं नरक निवारण चतुर्दशी के दिन हजारों श्रद्धालु यहां सिर झुकाने आते हैं. अन्य दिनों में भी भक्तों का तांता लगा रहता है.
विशेष दिन मंदिर के अगल-बगल पूजा सामग्री की कई दुकानें सज जाती है. शिवरात्री में तीन दिनों तक अखण्ड नामधुन, नरक निवारण चतुर्दशी में महादेव का श्रृंगार व प्रत्येक सोमवारी को विशेष शृंगार की यहां परंपरा है. इस बार पांच सोमवारी होना है. मंदिर की देखभाल कामेश्वर सिंह न्यास समिति करती है. न्यास की ओर से महंथ को छह सौ रूपया प्रति माह पारिश्रमिक के रूप में दिया जाता है.