20 लाख की आबादी में 70 फीसदी लोग उपयोग करते हैं स्मार्ट फोन
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इंटरनेट के पीछे माह में Rs 50 करोड़ खर्च करते हैं सहरसावासी
20 लाख की आबादी में 70 फीसदी लोग उपयोग करते हैं स्मार्ट फोन एक घर में औसतन दो से तीन मोबाइल फोन का होता है उपयोग सहरसा : जिले के लोग मोबाइल से इंटरनेट का उपयोग करने के लिए एक माह में लगभग 50 करोड़ रुपये की बड़ी राशि खर्च करते हैं. सहरसा की वर्तमान […]
एक घर में औसतन दो से तीन मोबाइल फोन का होता है उपयोग
सहरसा : जिले के लोग मोबाइल से इंटरनेट का उपयोग करने के लिए एक माह में लगभग 50 करोड़ रुपये की बड़ी राशि खर्च करते हैं. सहरसा की वर्तमान आबादी लगभग 20 लाख के करीब है. इनमें 70 फीसदी लोग मोबाइल यूजर हैं. पांच फीसदी को छोड़कर मोबाइल का उपयोग करने वाले अधिकतर लोग इंटरनेट का भी प्रयोग करते हैं. इंटरनेट की सेवा के लिए वे विभिन्न कंपनियों के सिम व डाटा पैक भराते हैं और उस पर 50 करोड़ रुपये से अधिक की राशि खर्च कर देते हैं.
स्मार्ट बनने की चाहत में परिवार में सभी सदस्य को मोबाइल: सहरसा में बीएसएनएल के अलावे जियो, एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया व टेलीनॉर कंपनी कॉलिंग के अलावे इंटरनेट की सेवा दे रही है. परिवार को आवश्यकता से अधिक स्मार्ट बनाने की चाहत रखने वाले लोग अपने घर के सभी सदस्यों को एक-एक सेट देकर उसे इंटरनेट से कनेक्ट करा स्वयं को संपन्न समझते हैं. जबकि उसका दुरुपयोग उन्हें उतना ही खराब बना रहा है. इंटरनेट की दुनिया बच्चों को देश-दुनियां की चकाचौंध की ओर आकर्षित करता है और किताबों से उनकी दूरी बढ़ा देती है. हालात यह है कि एक घर में औसतन तीन से चार मोबाइल का उपयोग हो रहा है. वह भी इंटरनेट पैक के साथ. खासकर स्कूली अथवा कॉलेज के बच्चों को इंटरनेट कनेक्टेड मोबाइल देना काफी घातक साबित हो रहा है. वे लगातार किताबी दुनिया से दूर होते जा रहे हैं. हालांकि कुछ छात्र ऐसे भी हैं जो इंटरनेट के उपयोग अपनी पढ़ाई से संबंधित समस्या को दूर करते हैं, लेकिन इनकी संख्या एक फीसदी भी नहीं है. इंटरनेट का डाटा खत्म होने के बाद उनकी बेचैनी ऑक्सीजन की कमी जैसे होने लगती है. वे हर हाल में सबसे पहले इंटरनेट को एक्टिव कराने की जुगाड़ में जुट जाते हैं.
बेरोजगारों की बढ़ रही है संख्या: इंटरनेट का उपयोग बच्चों के संस्कार को भी खराब कर रहा है. छोटी सी उम्र में ही अपना अधिक से अधिक समय मोबाइल के इंटरनेट पर बिताते हैं. फेसबुक पर उनका अकाउंट होता है. दोस्तों के साथ व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ जाते हैं. चुटकुला व कहानी-कविता से शुरू हुआ सफर काफी आगे तक निकल जाता है. सबसे पहले तो वे परिवार के लोगों से झूठ बोलना सीख जाते हैं. फिर चोरी-छिपे गलत कार्य की ओर भी बढ़ने लगते हैं. यदि अभिभावक अपने बच्चों पर निगरानी नहीं रखते हैं व इंटरनेट के उपयोग पर पाबंदी नहीं लगाते हैं तो उन्हें बच्चों से कुछ बेहतर करने की अपेक्षा भी नहीं रखनी चाहिए. एक निश्चित उम्र से पूर्व इंटरनेट पर समय व्यतीत करने से भी बेरोजगारों व आपराधिक प्रवृति के लोगों की संख्या में वृद्धि होती जा रही है.
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