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देगची में बच्चे को रख पार कराते हैं नदी
जादूगोड़ा: मुसाबनी प्रखंड स्थित जादूगोड़ा यूसिल कंपनी से सटे सांसपुर गांव के बगान टोला के डेढ़ सौ परिवार बुनियादी जरूरतों से जूझ रहे हैं. आलम यह है कि ग्रामीणों को महज कुछ दूरी पर स्थित यूसिल कॉलोनी, स्कूल व अस्पताल जाने के लिए भी जान जोखिम में डालकर नदी पार करनी पड़ती है. लोग बीमार […]
जादूगोड़ा: मुसाबनी प्रखंड स्थित जादूगोड़ा यूसिल कंपनी से सटे सांसपुर गांव के बगान टोला के डेढ़ सौ परिवार बुनियादी जरूरतों से जूझ रहे हैं. आलम यह है कि ग्रामीणों को महज कुछ दूरी पर स्थित यूसिल कॉलोनी, स्कूल व अस्पताल जाने के लिए भी जान जोखिम में डालकर नदी पार करनी पड़ती है. लोग बीमार बच्चों को इलाज के लिए देगची में बैठा कर नदी पार कराते हैं.
आजादी के सात दशकों बाद भी यह सिलसिला जारी है, जिसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. ग्रामीण राजू महतो ने बताया कि बरसात के समय गांव में आवागमन पूरी तरह बंद हो जाता है. साप्ताहिक हाट जादूगोड़ा जाने के लिए भी कंधे पर सब्जी व दूध के अलावा बच्चों को भी कंधे पर लाद कर या देगची के सहारे नदी पार कराना पड़ता है. बीमार लोगों को भी बड़ी मुश्किल से नदी पार कराकर अस्पताल पहुंचाया जाता है.
उन्होंने बताया कि गांव के लोग सब्जियां अथवा गाय के दूध का कारोबार करते हैं. उन्होंने बताया कि ग्रामीणों ने वर्तमान विधायक लक्ष्मण टुडू से भी इसके लिए कई बार गुहार लगायी, लेकिन उन्हें आश्वासन के सिवा आज तक कुछ नहीं मिला. गांव के शिवानंद महतो ने कहा कि कुछ वर्ष पूर्व यूसिल प्रबंधन द्वारा एक नाव दी गयी थी जो अब टूट चुकी है. उन्होंने कहा कि बरसात में उन्हें काफी परेशानी उठानी पड़ती है. नदी पूरी तरह भर जाती है, जिसमें पानी का बहाव भी तेज हो जाता है, इसके बावजूद ग्रामीणों को उसी मार्ग से आना-जाना करना पड़ता है.
स्कूली बच्चे व मरीज को होती है सबसे ज्यादा परेशानी
बगान टोला के बच्चों को विशेष परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ग्रामीण बताते हैं कि सबसे ज्यादा परेशानी स्कूली बच्चों को होती है. नदी पार करने से पहले ही स्कूली बच्चों के जूते एवं ड्रेस कीचड़ में गंदे हो जाते हैं, स्कूल पहुंचने में देर अलग से होती है. यही नहीं, बच्चों को नदी पार कराने के लिए घर के किसी न किसी सदस्य को हमेशा उनके साथ रहना पड़ता है. मरीज को अस्पताल पहुंचाने के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इस बीच यदि किसी की तबीयत बिगड़ने या गर्भवती को प्रसव पीड़ा होने की स्थिति में प्रार्थना और दुआ ही सहारा होते हैं.
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