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बरसात के दिनों में स्कूल जाना मुश्किल
चैनपुर (पलामू) : यह तसवीर चैनपुर की बंदुआ पंचायत की है. तसवीर में जो सड़क नजर आ रही है वह विद्यालय जाने का रास्ता है. इसी रास्ते से होकर बदुंआ के राजकीय मध्य विद्यालय व स्तरोन्नत उच्च विद्यालय के विद्यार्थी स्कूल जाते हैं. सड़क को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि बरसात के दिन […]
चैनपुर (पलामू) : यह तसवीर चैनपुर की बंदुआ पंचायत की है. तसवीर में जो सड़क नजर आ रही है वह विद्यालय जाने का रास्ता है. इसी रास्ते से होकर बदुंआ के राजकीय मध्य विद्यालय व स्तरोन्नत उच्च विद्यालय के विद्यार्थी स्कूल जाते हैं. सड़क को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि बरसात के दिन में स्कूल जाना कितना मुश्किल भरा काम होगा. यह स्थिति तब है जब पंचायती राज व्यवस्था भी प्रभावी हो चुकी है. पंचायत सचिवालय से महज 200 मीटर के दूरी पर यह सड़क है फिर भी इसका निर्माण नहीं हुआ. अंदाजा लगाया जा सकता है कि विकास की प्राथमिकता में क्या है?
ऐसे में सुलगता सवाल यह है कि जिन पर विकास की प्राथमिकता तय करने की जिम्मेवारी है क्या उन्हें ऐसी जरूरत की योजना उचित नहीं लगती या फिर कोई दूसरी वजह. यह तो पंचायत में बैठकर प्राथमिकता तय करने वाले ही बतायेंगे. पर सड़क देखकर यह सवाल उठना भी स्वभाविक है कि हम स्कूल चलो अभियान चलाते हैं. उसमें पंचायत प्रतिनिधियों को शामिल करते हैं. लेकिन जब बच्चों के लिए सुविधा की बात होती है तो मामला पीछे छुट जाता है आखिर ऐसा क्यों?
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