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सीएनटी के पेच में फंसा कनहर बराज का निर्माण

रांची: पलामू के गढ़वा में कनहर नदी पर प्रस्तावित बराज का निर्माण सीएनटी व फॉरेस्ट क्लियरेंस में फंसा गया है. बराज निर्माण से संबंधित मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ व बिहार की तरफ से अब कोई आपत्ति नहीं रह गयी है. आदिवासी जमीन तथा वन भूमि की वजह से आपत्ति है. इस आपत्ति को झारखंड सरकार को […]

रांची: पलामू के गढ़वा में कनहर नदी पर प्रस्तावित बराज का निर्माण सीएनटी व फॉरेस्ट क्लियरेंस में फंसा गया है. बराज निर्माण से संबंधित मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ व बिहार की तरफ से अब कोई आपत्ति नहीं रह गयी है. आदिवासी जमीन तथा वन भूमि की वजह से आपत्ति है. इस आपत्ति को झारखंड सरकार को दूर करना है. यह जानकारी केंद्र सरकार की अोर से दायर शपथ पत्र में दी गयी है. बुधवार को हाइकोर्ट में कनहर नदी पर प्रस्तावित बराज निर्माण को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई.
जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस बीबी मंगलमूर्ति की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) के शपथ पत्र का अवलोकन कर राज्य सरकार को अपना विस्तृत जवाब दायर करने का निर्देश दिया. आयोग द्वारा उठाये गये सवाल का स्पष्ट जवाब देने को कहा गया. खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 26 जुलाई की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व सीडब्ल्यूसी की अोर से केंद्र सरकार के अधिवक्ता राजीव सिन्हा ने शपथ पत्र दायर कर बताया कि बराज निर्माण के डीपीअार को संबंधित राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ व बिहार को भेजा गया. दिल्ली में उच्चस्तरीय बैठक हुई थी. सभी बिंदुअों पर चर्चा की गयी थी. उक्त राज्य लगभग सहमत हो गये हैं.

उनकी अोर से अब कोई आपत्ति नहीं है. बिहार सरकार का कहना है कि बराज से उसे एक साल में पांच मिलियन एकड़ फीट पानी चाहिए. यदि कोई विवाद होगा, तो वह उसे वंशागर एग्रीमेंट के तहत सुलझायेगा. नहीं सुलझने पर वंशागर बोर्ड के पास विवाद को उठाया जा सकता है.

बराज निर्माण से छत्तीसगढ़ के कई गांव डूबेंगे. छत्तीसगढ़ ने 917 करोड़ रुपया मांगा है. झारखंड सरकार ने राशि देने पर सहमति दी है. बराज के डूब क्षेत्र में फॉरेस्ट लैंड व आदिवासियों की जमीन भी आ रही है. झारखंड सरकार को बराज निर्माण के लिए फॉरेस्ट क्लियरेंस, आदिवासी जमीन से संबंधित आपत्तियों को दूर करना है. राज्य सरकार को कई बार बताया गया है, लेकिन आपत्ति दूर नहीं की गयी है. आपत्ति दूर होने के बाद डीपीआर को नीति आयोग के पास भेजा जायेगा. आयोग के पास पहले से ही दर्जनों योजनाएं लंबित है.

उल्लेखनीय है कि प्रार्थी पूर्व मंत्री हेमेंद्र प्रताप देहाती ने जनहित याचिका दायर की है. उन्होंने पलामू प्रमंडल के गढ़वा में कनहर नदी पर बराज निर्माण कराने की मांग की है. कनहर पर बराज बनाने का मामला वर्ष 1974 से लंबित है. राज्य सरकार ने बराज निर्माण से संबंधित लगभग 1000 पन्ने का डीपीआर बना कर जल आयोग को भेजा है. हाइकोर्ट भी अब तक लगभग 50 बार आदेश पारित कर चुका है.

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