बदहाली . आसपास के लोगों ने विद्यालय परिसर को बना रखा है शौचालय
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जमीन पर बैठ पढ़ते हैं छात्र-छात्राएं
बदहाली . आसपास के लोगों ने विद्यालय परिसर को बना रखा है शौचालय जहानाबाद नगर : जिला मुख्यालय में संचालित आदर्श मध्य विद्यालय ऊंटा में पढ़ने वाले छात्र जमीन पर बैठ कर शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर है. बेंच तथा डेस्क के कमी के कारण विद्यालय के वर्ग छह, सात एवं आठ के बच्चों छात्र-छात्राएं […]
जहानाबाद नगर : जिला मुख्यालय में संचालित आदर्श मध्य विद्यालय ऊंटा में पढ़ने वाले छात्र जमीन पर बैठ कर शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर है. बेंच तथा डेस्क के कमी के कारण विद्यालय के वर्ग छह, सात एवं आठ के बच्चों छात्र-छात्राएं जमीन पर बैठकर शिक्षा ग्रहण करते है. विद्यालय में यूं तो 884 छात्र-छात्राएं नामांकित है.
इन छात्र-छात्राओं को पढ़ाने के लिए 34 शिक्षक भी पदस्थापित है. लेकिन इनमें तीन शिक्षक दो वर्षीय बेसिक ट्रेनिंग लेने गये हुए है जबकि एक शिक्षिका 135 दिनों के मातृत्व अवकाश पर है. विद्यालय में नियमित रूप से वर्ग का संचालन होता है तथा बच्चों को बेहतर शिक्षा देने का प्रयास शिक्षकों द्वारा किया जाता है. विद्यालय का भवन पर किसी का अवैध कब्जा नहीं है. हालांकि विद्यालय का चाहरदिवारी टूटे होने के कारण आसपास में रहने वाले विद्यालय में बने शौचालय का उपयोग करते हीं है. विद्यालय परिसर को भी शौचालय में तब्दील कर दिया है. इसके कारण छात्र-छात्राओं तथा शिक्षकों को परेशानी का सामना करना पड़ता है.
विद्यालय परिसर में बरसात के मौसम में जल-जमाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है जिसके कारण बच्चों को खेलने-कूदने में परेशानी होती है. विद्यालय के मुख्य द्वार के आसपस बीते दिनों गंदगी का अंबार लगा रहता था लेकिन फिलहाल स्वयंसेवी संगठन द्वारा विद्यालय के मुख्य द्वार के दोनो तरफ पौधा रोपण किय गया है. मंगलवार की दोपहर 12:30 बजे प्रभात खबर की टीम जब विद्यालय पहुंची तो विद्यालय परिसर में पूरी तरह सन्नाटा पसरा हुवा था.
लेकिन सभी कमरों में वर्ग के संचालन हो रह था तथा शिक्षक बच्चों को पाठ पढ़ाने में लगे हुए थे. प्रधानाध्यापक कक्ष में विद्यालय प्रधान के अलावे तीन-चार अन्य कर्मी भी कार्यालय कार्य में जुटे हुए थे. स्कूल के किसी भी कमरों में पंखा नहीं लगा हुआ था. वर्ग एक से पांच तक के बच्चे बेंच डेस्क पर बैठकर पढ़ाई करते दिखे लेकिन वर्ग छह से आठ तक के बच्चे जमीन पर बैठ कर पढ़ाई कर रहे थे. विद्यालय में लगा मोटर पंप सेट खराब रहने के कारण बच्चों को चापाकल के सहारे अपनी प्यास बुझानी पड़ रही थी. विद्यालय परिसर में पानी लगा हुआ था जिसके कारण विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चें परिसर में नजर नहीं आ रहे थे. करीब आधे घंटे के बाद विद्यालय में लंच की घंटी बजी जिसके बाद बच्चें एमडीएम के लिए कतारबद्ध खड़े हो गए. जिन शिक्षक को एमडीएम की जिम्मेवारी थी वे एक-एक कर रसोइया से खाना परेसवाते दिखें.
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