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तटबंध के बीच बसे लोगों के लिये कब होगा नया सबेरा

किसनपुर : कोसी नदी का जलस्तर बढ़ने के साथ ही प्रखंड के पांच पंचायतों का दर्द बढ़ने लगा है. परसामाधो, नौआबाखर, बौराहा, मौजहा व दुबियाही पंचायतों के लोगों के लिए बाढ़ सनातन दुख की गाथा बनी हुई है. हर साल की बाढ़ इस इलाके की आबादी को खानाबदोश बनाती रही. साथ ही कई रहनुमा इसके […]

किसनपुर : कोसी नदी का जलस्तर बढ़ने के साथ ही प्रखंड के पांच पंचायतों का दर्द बढ़ने लगा है. परसामाधो, नौआबाखर, बौराहा, मौजहा व दुबियाही पंचायतों के लोगों के लिए बाढ़ सनातन दुख की गाथा बनी हुई है. हर साल की बाढ़ इस इलाके की आबादी को खानाबदोश बनाती रही. साथ ही कई रहनुमा इसके गवाह होते रहे. सड़क, बिजली, स्वास्थ्य व शिक्षा से जुड़ी मूलभूत सुविधाओं से तो इलाके के लोग ना जाने कब से वंचित हैं. साथ ही बाढ़ के दौरान प्रखंड का कई पंचायत मुख्यालय से भी संपर्क टूट जाता है. यहां तक कि एकडेरा, परसाही, बुर्जा खाफ, चमेलवा, खानपुर, सोनवर्षा, झखराही, भेलवा, पंचगछिया, सुजानपुर, ठाढी धाता, पीरगंज, हासा, मुरकुचिया, बालू टोला, ममीन टोला, दिघिया, बेला गोठ, बुढियाडीह सहित कई अन्य ग्रामीणों के आवाजाही का साधन आज भी साइकिल व नाव ही सहारा है.

गौरतलब है कि उक्त गांव में पक्की सड़क है ही नहीं. आवागमन सुविधा नही होने के कारण यह क्षेत्र अपराधियों की शरणस्थली बनी हुई है. बाढ़ के दिनों में जहां मुख्य सवारी नाव ही होता है. वहीं सरकार द्वारा प्रदत्त शिक्षा प्राप्त करने के लिए भी बच्चों को नाव की सवारी कर विद्यालय जाना पड़ता है. फिलहाल प्रखंड मुख्यालय जाने के लिए इन्हें चचरी या फिर नाव का सहारा लेना पड़ रहा है. ग्रामीण वासुदेव शर्मा, पंकज कुमार, सुरेश मंडल,
जवाहर चौधरी, प्रभाकर कुमार, बाबूलाल चौधरी, मुन्ना सहनी, कपिलदेव चौधरी, सत्यनारायण सहनी, बोहरू ऋषिदेव आदि ने बताया कि उनलोगों को जहां जनप्रतिनिधियों द्वारा कोरा आश्वासन दिया गया. वहीं पदाधिकारियों की उपेक्षा का शिकार बनना पड़ रहा है. बताया कि यदि किसी योजना से उक्त गांवों में सड़क निर्माण कार्य कराया भी जाता है तो निर्माण कार्य पूर्ण होने से पूर्व ही सड़क टूटकर बिखर जाता है. बताया कि हरेक योजना पर बिचौलिया के हावी होने व लूट संस्कृति के कारण कोई भी कार्य प्राक्कलन के मुताबिक नहीं हो पाता.
लोगों ने अपना दर्द व्यक्त करते हुए कहा कि कोसी के गर्भ में बसे लोगों के पास मेहनत करने के अलावा कोई दूसरा उपाय नही हैं. यहां के लोग इतने दर्द अपने अंदर समेटे हैं जिसे आंक पाना आम लोगों के वश की बात नही. इधर अंचल प्रशासन द्वारा कहा जाता है कि बाढ़ पूर्व की तैयारी कर ली गयी है. बहरहाल, कहते हैं कि कालचक्र प्रतिदिन नया सवेरा लेकर आता है. तटबंध के बीच बसे लोगों के लिये नया सवेरा कब होगा, होगा भी या नहीं…!
क्या कहते हैं अधिकारी
कोसी नदी के बढ़ते जलस्तर पर प्रशासन की पैनी नजर है. अंचल में पर्याप्त नाव है. मार्ग अवरुद्ध होने पर नाव का परिचालन करवाया जायेगा. अंचल कार्यालय में 24 घंटे का नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है.
अजीत कुमार लाल, सीओ, किसनपुर

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