जमुई : काश, मैंने अपने समधी की बात ना मानी होती और अपनी बेटी की विदाई नहीं की होती तो आज मेरी बेटी जिंदा होती. मृतका नेहा के पिता विनोद रजक बस इतना ही कह पा रहे थे. अपनी बेटी को खोने के गम में अद्वितीय धैर्य के साथ विनोद बस कह रहे थे कि मुझे क्या पता था कि यह विदाई मेरी बेटी की अंतिम विदाई साबित हो जायेगी. उन्होंने बताया कि मेरा दामाद शराब के नशे में आकर मेरी बेटी से मारपीट करता था तथा दहेज को लेकर 20 हजार रुपये की लगातार मांग कर रहा था.
जिस वजह से लेकर मैं अपनी बेटी को जब वह दूसरी बार मां बन रही थी उसी वक्त हॉस्पिटल से सीधे उसके मायके लिए चला गया था और 8 महीने अपनी बेटी को अपने पास रखा था. उसके बाद मेरे समधी उमेश रजक ने मुझसे आग्रह किया था कि मैं अपनी बेटी को उनके घर विदा कर दो. और उसकी बातों में आकर ही मैंने अपनी बेटी की विदाई भी कर दी. लेकिन मुझे क्या पता था कि मेरी बेटी मुझसे अंतिम बार अपने मायके को छोड़कर जा रही है. अगर मैंने अपनी बेटी की विदाई नहीं की होती तो मेरी बिटिया जिंदा होती.