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राहुल का मोदी पर हमला, मैं वह नहीं जो हजारों चीनी सैनिकों के सीमा में प्रवेश कर जाने पर झूला पर बैठा रहा

नयी दिल्ली : कांग्रेस ने आज उन खबरों की औपचारिक पुष्टि कर दी जिसमें कहा गया था कि उसके उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने चीन के राजदूत से मुलाकात की थी. कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने आज कहा कि राहुल गांधी न सिर्फ चीन के राजदूत से बल्कि भूटान के राजदूत से और […]

नयी दिल्ली : कांग्रेस ने आज उन खबरों की औपचारिक पुष्टि कर दी जिसमें कहा गया था कि उसके उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने चीन के राजदूत से मुलाकात की थी. कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने आज कहा कि राहुल गांधी न सिर्फ चीन के राजदूत से बल्कि भूटान के राजदूत से और पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार शिव शंकर मेनन से भी भेंट की थी. सुरजेवाला ने कहा कि इस मामले को कोई सनसनीखेज बनाने की कोशिश नहीं करे. यह मुलाकात आठ जुलाई को हुई थी. पहले कांग्रेस ने मुलाकात से इनकार किया था. उधर, कांग्रेस के एक दूसरे प्रवक्ता मनीष तिवारी ने नरेंद्र मोदी सरकार पर बड़ा सवाल उठाते हुए पूछा है कि जब मोदी हैम्बर्ग में जी – 20 सम्मेलन के दौरान चीन के राष्ट्रपति से मुलाकात कर रहे थे, उसी समय केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, जेपी नड्डा और संस्कृति मंत्री चीन में क्या कर रहे थे?

शाम में फिर राहुल गांधी ने भी ट्वीट कर इस मुद्दे पर अपना पक्ष रखा और भाजपा सरकार पर हमला बोला. राहुल गांधी ने ट्वीट किया कि यह उनका काम है कि वे जटिल मुद्दों को जानें, इसलिए वे चीन के एंबेसेडर, पूर्व एनएसए, कांग्रेस कार्यसमिति के नेताओं व भूटान के एेंबेसेडर से मिले. अगर सरकार राजदूतों के साथ मेरी मुलाकात को लेकर बहुत चिंतित है तो वह यह बताये कि जब सीमा विवाद का मामला चल रहा था तो उसके तीन मंत्री चीन किस लिये गये थे. उन्होंने तीन साल पहले मोदी-शी के झूला झुलने का उल्लेख किये बिना उसका स्नैप शॉट लगाते हुए कटाक्ष किया है कि जानकारी के लिए बता दूं कि मैं वह शख्स नहींजो हजारों चीनी सैनिक के भारत में प्रवेश करने पर झूले पर बैठा रहा.

उल्लेखीन है कि भारत में चीन के दूतावास ने wechat अकाउंट पर पुष्टि की थी कि चीन के राजदूत लियो झाओहुई ने राहुल गांधी से दिल्ली में मुलाकात की थी. बताया गया था कि उन्होंने भारत-चीन संबंधों पर बातचीत की थी. कांग्रेस ने आरंभ में इस खबर को फर्जी बताया.

मालूम हो कि राहुल गांधी ने शुक्रवार को सवाल उठाया था कि प्रधानमंत्री मोदी चीन के मुद्दे पर चुप क्यों हैं. यह मुलाकात उसके अगले दिनयानीशनिवार को हुई है.

राहुल गांधी के चीनी दूतावास जाने की जानकारी छिपायी जा रही है क्या ?

राहुल गांधी व चीन के राजदूत की मुलाकात को मीडिया में भारत व चीन के बीच डो काला विवाद से जोड़ कर देखा जा रहा है, जिस पर दाेनों देश का अपना-अपना स्टैंड है. भूटान के सीमाक्षेत्र में पड़ने वाले इस इलाके पर भूटान की सरकार का स्टैंड भारत के साथ है. चीन उसे तिब्बत का हिस्सा बता कर वहां रोड बनाना चाहता है, जिसका भूटान व भारत विरोध कर रहे हैं. मैत्रीपू्र्ण संबंध के कारण वहां भारत की सेना भी तैनात हैऔर चीन की धमकी के बाद हटने से इनकार कर दिया है.

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने आज कहा कि बहुत से राजदूत व कूटनीतिज्ञ कांग्रेस अध्यक्ष व उपाध्यक्ष से समय-समय पर शिष्टाचार मुलाकात करते रहते हैं. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के राष्ट्रपति से हैम्बर्ग में विशेष तौर पर मिले थे. वे चीन के बातचीत से मना करने के बावजूद मिले थे. वे वहां से ब्रिक्स मीटिंग कर लौटे.

उन्होंने कहा, ‘ ‘चाहे चीन के राजदूत हों (लियो झाओहुई) या भूटान के राजदूत (वेटसोप नामग्येल) या पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन, राहुल गांधी ने सभी तीनों से मुलाकात की है. इस तरह के सद्भावना मुलाकात को किसी को सनसनीखेज नहीं बनाना चाहिए जैसा कि विदेश मंत्रालय के सूत्र बनाने का प्रयास कर रहे हैं. ‘ ‘ सुरजेवाला ने कहा कि राहुल और विपक्ष के अन्य नेता ‘ ‘हमारे राष्ट्रीय हितों से पूरी तरह अवगत हैं ‘ ‘ और भारत चीन सीमा पर ‘ ‘गंभीर स्थिति ‘ ‘ से अवगत है.

चीन और भारत के बीच भूटान ट्रायजंक्शन के पास डोकलाम क्षेत्र में पिछले तीन हफ्ते से गतिरोध जारी है. डोका ला भारतीय नाम है जिसे भूटान डोकलाम बताता है जबकि चीन इसे डोंगलांग क्षेत्र का हिस्सा बताता है.

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