बक्सर : जिले में खरीफ फसल की बुआई का इंतजार कर रहे किसानों ने राहत की सांस ली है. कई दिनों से मॉनसून की आंखमिचौनी के बाद आसमान से संजीवनी बनकर बादल बरसे. रविवार की सुबह से ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में रुक-रुक कर झमाझम बारिश होने से किसान खुशी से झूम उठे. इसके पहले हल्की बूंदा-बांदी होने से किसान अपने खेतों में हल चलाने तथा बीज बोने के काम में दिक्कतों का सामना कर रहे थे. लगभग सभी प्रखंडों में पंपसेट चलाकर किसी तरह धान के बिचड़ों को किसानों ने जिंदा रखा था.
दो तीन दिनों से हुई झमाझम बारिश ने किसानों में फसल बेहतर होने की आस जगा दी है. मई महीने में जिले में सामान्य वर्षापात जहां 12.9 मिलीमीटर (एमएम) हुई, वहीं जून महीने में 117.9 एमएम दर्ज की गयी.
कृषि कार्यों में अब आयेगी तेजी
ब्रह्मपुर प्रखंड के भदवर गांव के किसान सुरेंद्र साव ने बताया कि इस बार माॅनसून की बारिश में जोरदार पानी बरसने से खेती के काम में अब तेजी आ जायेगी. उन्होंने कहा कि इस बारिश से पहले खेतों में खाद डाल कर ज्यादातर किसान हल जोताई के लिए बारिश का ही इंतजार कर रहे थे. किसान कई बीघे में धान के बिचड़े डालकर इसी दिन के इंतजार में थे. सूर्यनाथ तिवारी, हरिशंकर चौधरी व डॉ संतोष पासवान ने कहा कि खेती किसानी के काम के लिए अब काफी अच्छा मौसम बन गया है. पिछले कई दिनों से गांव में मामूली बरसात के बाद ऊमस और गरमी का मौसम हो जाने के बाद आज हुई तेज बारिश के बाद लोगों ने राहत की सांस ली है.
क्या है जिले में खरीफ फसलों की स्थिति : खरीफ की दूसरी फसल मक्का, अरहर, सूर्यमुखी, तिल, अंडी आदि का हाल ही बुरा है. वहीं, जिले में उड़द, मूंग की बुआई 70 प्रतिशत से अधिक हो गयी है. मक्के की बुआई जून माह के अंत तक 35% से ज्यादा हो गयी है. अरहर की बुआई 8.45 प्रतिशत हुई है. मूंग की बुआई 100 प्रतिशत हो चुकी है. कृषि विभाग के अनुसार 277.2 मिलीमीटर बारिश होने का अनुमान है. लक्ष्य से बारिश कुछ कम हुई है. इसका सीधा असर खरीफ फसल पर हुआ है. कृषि विभाग के अनुसार 10080 हेक्टेयर में धान का बिचड़ा किसानों को डालना था. अभी तक मात्र 8712 हेक्टेयर में धान का बिचड़ा डाला जा सका है. 15 जुलाई तक धान का बिचड़ा लगाया जा सकता है.
लक्ष्य से काफी कम लगा धान, सूर्यमुखी अभी लगा ही नहीं
कम बारिश का असर धान के बिचड़ा डालने के अलावा मक्का, अरहर, तिल, अंडी व सूर्यमुखी की फसल की बुआई पर भी पड़ा है. जिले में अरहर चार हजार हेक्टेयर में लगाने का लक्ष्य था. जून माह में मात्र 338 हेक्टेयर में अरहर लगाया गया. इसके अलावा सूर्यमुखी 100 हेक्टेयर में लगाया जाना था, जो अभी तक लगा ही नहीं है.
बढ़ सकती है दाल की कीमतें
अरहर बुआई की स्थिति को देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा है कि आनेवाले दिनों में दाल की कीमत बढ़ सकती है. यदि जिले में दाल की उपज नहीं के बराबर हुई, तो लोगों को पूरी तरह बाहर से आनेवाले दालों पर निर्भर रहना पड़ेगा. बतादें कि जिले की एक बड़ी आबादी के लिए दाल की जरूरत है.
जून में किस प्रखंड में हुई कितनी बारिश
बक्सर 14.90 मिली मीटर
चौसा 31.20 मिली मीटर
राजपुर 4.60 मिली मीटर
इटाढ़ी 58.60 मिली मीटर
डुमरांव 16.40 मिली मीटर
नावानगर 10.60 मिली मीटर
ब्रह्मपुर 45.20 मिली मीटर
केसठ 7.90 मिली मीटर
चौगाईं 3.60 मिली मीटर
सिमरी 64.00 मिली मीटर
चक्की 22.20 मिली मीटर
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