वाशिंगटन: विश्व बैंक ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में भारत अग्रणी देश बनकर उभर रहा है. उसने कहा कि एशियाई देशों में ऊर्जा के स्रोत के तौर पर सौर ऊर्जा धीरे-धीरे कोयले का स्थान ले रही है. विश्व बैंक ने प्रकाशित एक समाचार रिपोर्ट में कहा कि अपने लोगों को 2030 तक चौबीसों घंटे बिजली उपलब्ध कराने के लिए सौर ऊर्जा की ओर प्रतिबद्धता, नवोन्मेषी समाधान और ऊर्जा दक्षता पहलों के साथ भारत जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में अग्रणी बनकर उभर रहा है.
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विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, अपनी वृद्धि को बढ़ाने के लिए और अधिक स्वच्छ ऊर्जा का इस्तेमाल करने की सचेत पसंद के साथ ही भारत जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से धरती को बचाने के वैश्विक प्रयासों में योगदान दे रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ सप्ताह पहले देश ने कोयले से चलने वाले 14 गीगावॉट क्षमता वाले बिजली संयंत्र स्थापित करने की योजना से कदम पीछे खींच लिये हैं, क्योंकि अब सौर ऊर्जा से बिजली पैदा करने में वहन करने योग्य लागत आती है. रिपोर्ट में इस संबंध में भारत के कदमों की तारीफ की गयी है.
विश्व बैंक ने कहा कि भारत और उसके अलावा ऊर्जा के स्रोत के रूप में सौर ऊर्जा कोयले की जगह ले रही है. उसने कहा कि सौर फोटोवॉल्टेक से बिजली पैदा करने की लागत वर्ष 2009 के मुकाबले एक चौथाई कम है और वर्ष 2040 तक इसके 66 फीसदी तक और कम होने की संभावना है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में साल में करीब 300 दिन धूप निकलती है, इसलिए भारत में सौर ऊर्जा का फायदा उठाने और इसका इस्तेमाल करने के लिए दुनिया में सबसे अच्छी परिस्थितियां हैं.
विश्व बैंक ने कहा कि भारत सरकार ने महत्वाकांक्षी परियोजनाएं बनायी हैं, जिसमें वर्ष 2022 तक पवन चक्की और सौर ऊर्जा से 160 गीगावॉट तक बिजली पैदा करने का लक्ष्य शामिल है. इससे न केवल लाखों लोगों के घरों में रोशनी होगी, बल्कि बच्चे रात को पढ़ाई भी कर पायेंगे, लोग अपने खाने को रेफ्रिजिरेटर में संरक्षित कर पायेंगे या टीवी पर अपना मनोरंजन कर पायेंगे. बैंक ने कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के लिए भारत के सौर बाजार में निवेश करने का भी अच्छा मौका है.
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