नयी दिल्लीः एक जुलार्इ से पूरे देश में वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) लागू होने के बाद से यदि किसी कंपनी ने बची हुर्इ पैकेटबंद चीजों पर बढ़ी हुर्इ दरों के हिसाब से अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) का लेबल नहीं चिपकाया, तो नये आर्थिक प्रावधान के तहत कंपनियों के कर्ता-धर्ता को जेल की हवा भी खानी पड़ सकती है. उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान ने देश की उपभोक्ता वस्तु निर्माता कंपनी को चेतावनी देते हुए कहा है कि उपभोक्ताओं के हित में अगर पहले के बची हुर्इ चीजों पर जीएसटी के लागू होने के बाद की दरें प्रकाशित नहीं की जाती है, तो जेल की सजा समेत एक लाख रुपये तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है. गौरतलब है कि विनिर्माताओं को नये एमआरपी के साथ बचे हुए माल को सितंबर तक निकालने की अनुमति दी गयी है.
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जीएसटी को लेकर उपभोक्ताओं की शिकायतों के समाधान के लिए उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की एक समिति गठित की गयी है. साथ ही, कर संबंधी सवालों के जवाब के लिए हेल्पलाइन 14 से बढ़ाकर 60 कर दिया गया है. उपभोक्ता हेल्पलाइन के जरिये 700 से अधिक सवाल प्राप्त हुए हैं और मंत्रालय ने वित्त विभाग से इसके समाधान के लिए विशेषज्ञों की मदद मांगी है.
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पासवान ने कहा कि जीएसटी के क्रियान्वयन को लेकर शुरुआती अड़चनें थी, लेकिन उनका जल्दी ही समाधान हो गया. वित्त और उपभोक्ता मामलों समेत सभी संबद्ध मंत्रालय सतर्क हैं तथा उपभोक्ताओं एवं व्यापारियों की चिंताओं के समाधान के लिए व्यवस्था बनायी गयी है. उन्होंने कहा कि जीएसटी व्यवस्था के तहत वस्तुओं की कीमतें कम हुई है और कुछ के दाम बढ़े हैं.
पासवान ने कहा कि हमने कंपनियों से बचे हुए माल पर संशोधित मूल्य प्रकाशित करने को कहा है. नये एमआरपी का स्टिकर लगाया जाना चाहिए, ताकि ग्राहक जीएसटी के बाद दरों में आये बदलाव को लेकर अवगत हों. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि बचे हुए माल पर संशोधित एमआरपी प्रकाशित करना जरूरी है. ऐसा नहीं करने पर पैकेटबंद उत्पाद नियम का उल्लंघन माना जायेगा और कड़ी कार्रवार्इ की जायेगी.
पासवान ने अलग से कहा कि इसका अनुपालन नहीं करने पर पहली बार 25,000 रुपये, दूसरी बार 50,000 रुपये तथा तीसरी बार एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जायेगा और एक साल तक की जेल भी हो सकती है. देश में जीएसटी एक जुलाई से लागू किया गया है. इसमें वैसे ग्राहकों को राहत दी गयी है, जिनके पास पुराने माल बचे हुए हैं. उन्हें बचे हुए माल पर नये एमआरपी के साथ सितंबर तक बेचने की अनुमति दी गयी है.
पासवान ने यह भी कहा कि माल पर प्रकाशित नयी कीमत के बारे में उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय को जानकारी दी जानी चाहिए. साथ ही, ग्राहकों की जागरूकता के लिए उसका विज्ञापन दिया जाना चाहिए.
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