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जीएसटी : बाजार को रोज लग रही 200 करोड़ की चपत

खुदरा व्यापारियों के पास जीएसटी नंबर नहीं होने से बाजार ढीला मुजफ्फरपुर : जीएसटी लागू होने के छह दिनों के बाद भी बाजार मंदी से बाहर नहीं आ पाया है. बाजार के सूत्रों की मानें, तो रोजाना 200 करोड़ का कारोबार प्रभावित हो रहा है. सबसे बुरी हालत बिहार की प्रमुख कपड़ा मंडी में शुमार […]

खुदरा व्यापारियों के पास जीएसटी नंबर नहीं होने से बाजार ढीला

मुजफ्फरपुर : जीएसटी लागू होने के छह दिनों के बाद भी बाजार मंदी से बाहर नहीं आ पाया है. बाजार के सूत्रों की मानें, तो रोजाना 200 करोड़ का कारोबार प्रभावित हो रहा है. सबसे बुरी हालत बिहार की प्रमुख कपड़ा मंडी में शुमार सूतापट्टी की है. यहां से रोज करीब 100 करोड़ का व्यापार ठप है. दुकानें समय से खुलती तो हैं, लेकिन ग्राहक नहीं आ रहे. बिहार के प्रमुख जिलों के अलावा नेपाल के कारोबारी फिलहाल कपड़ों के आर्डर नहीं दे रहे हैं. जो कारोबारी दे रहे हैं
, उनके पास जीएसटी का लाइसेंस नहीं है. इस कारण इन्हें कपड़ों की आपूर्ति नहीं की जा रही है.
ऐसा ही हाल शहर के इलेक्ट्रॉनिक, सर्राफा, दवा कारोबार का है. इस बाबत जब व्यापारियों से बात की गयी, तो सभी का कहना था कि व्यापार के बारे में मत पूछिए. हमलोगों के लिए यह मुश्किल समय है. कोई भी कर प्रणाली हो, हमलोग कर तभी देंगे, जब हम बिजनेस कर पायेंगे. विभिन्न ट्रेड के कारोबारियों का कहना था कि हमलोगों को अभी कुछ समझ में नहीं आ रहा है. पता नहीं पहले की तरह बाजार कब रोशन होगा.
बोहनी के इंतजार में बैठ रहे दिन भर : तिलक मैदान में इलेक्ट्रॉनिक दुकान चलानेवाले मदन मोहन कृष्णा कहते हैं कि छह दिन बीत गये, लेकिन ग्राहक नहीं आ रहे हैं. लोगों को भ्रम है कि सामान का दाम बढ़ गया है. हम तो रोज दुकान खोलते हैं, ग्राहकों का इंतजार करते हैं, लेकिन एकदम सन्नाटा है. कई दिन तो बाेहनी भी नहीं हुई. ऐसी स्थिति पहले कभी नहीं हुई. कुछ लोग आते हैं तो सामान की न्यूनतम कीमत पर खरीदारी के लिए तैयार हो जाते हैं, लेकिन कार्ड से पेमेंट में टैक्स देने से इनकार करते हैं. एक तो ग्राहक नहीं है, दूसरा कंपनियां भी बिलिंग नहीं कर रही हैं. उत्पादों के कई मॉडल बाजार में नहीं हैं. ग्राहक कोई मॉडल ध्यान में रख कर आता है, तो उसे नहीं मिलेगा. मुझे लगता है कि बाजार सामान्य होने में अभी दो महीने लग जायेगा. इससे हमलोगों को फिलहाल काफी परेशानी हो रही है. बाद में बाजार कितना बदलेगा, यह भी कहना मुश्किल है.
दवा कारोबार को उबरने में लगेगा वक्त : दवा विक्रेता दिलीप जालान कहते हैं कि बाजार अभी बहुत ढीला है. कई दवा कंपनियां तो अभी तक आपूर्ति नहीं कर रही हैं. उसकी जगह दूसरी कंपनी की सेम कंपोजीशन की दवाएं बिक रही हैं. हमलोग घाटे में हैं. एक तो इनपुट टैक्स की राशि के लिए कुछ समझ में नहीं आ रहा है. दूसरा दवाओं की भी किल्लत हो गयी है. जिन व्यवसायियों ने जीएसटी नंबर नहीं लिये हैं, वे खरीदारी करने नहीं पहुंच रहे हैं. दवा कारोबार की हालत सुधरने में अभी समय लगेगा. छोटे दुकानदार जबतक जीएसटी का नंबर नहीं लेंगे, तबतक व्यापार ठीक से नहीं चलेगा. यदि दवाओं की आपूर्ति नहीं हो पाती है, तो भी बाजार प्रभावित होगा.
हालांकि मुझे लगता है कि एक महीने में सब ठीक हो जायेगा. यह बात अलग है कि इस बीच व्यवसायियों को घाटा उठाना पड़ेगा. दवा का व्यापार जीवन से नहीं जुड़ा रहता, तो इसकी भी हालत अन्य व्यवसाय की तरह ही होती.
कपड़ा व्यवसाय की हालत सबसे खराब : कपड़ा व्यवसायी बबलू सिंघानिया कहते हैं कि बाजार की ऐसी स्थिति पहले कभी नहीं हुई थी. हमलोग रोज दुकान खोल कर बैठ रहे हैं, लेकिन ग्राहक ही नहीं हैं. छोटे व्यापारियों ने फिलहाल खरीदारी बंद कर दी है. वे अभी जीएसटी नंबर के लिए प्रयास कर रहे हैं. कुछ व्यापारी जिनके पास जीएसटी नहीं है, उन्हें हम ऐसे कपड़ा नहीं बेच सकते. दोनों स्थिति में घाटा है. सूतापट्टी की सभी दुकानों की ऐसी ही स्थिति है. बाहर के व्यापारी की बात छोड़ दें, तो जिले के दुकानदार भी खरीदारी करने नहीं पहुंच रहे हैं. ऐसी ही हालत एक महीने तक रह गयी, तो बाजार चरमचरा जायेगा. ग्राहक टूट जायेंगे. हमलोग कोशिश कर रहे हैं दस-पंद्रह दिनों में सब सामान्य हो जाये. इसके लिए व्यापारियों को समझा रहे हैं. उन्हें जीएसटी नंबर लेने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं. उनके ऊपर ही हमलोगों का कारोबार है.
कीमतें घटीं, तो पहुंच रहे ग्राहक
जीएसटी के बाद से ऑटोमोबाइल सेक्टर का ग्रोथ अच्छा है. दो दिनों तक मंदी के बाद फिर इस सेक्टर के बाजार में रौनक आ गयी है. कृष्णा होंडा के निदेशक भृगु कुमार कहते हैं कि सभी बाइक पर 1800 से लेकर 4400 तक की छूट दी गयी है. इससे ग्राहको में रुझान बढ़ा है. कुछ लोग कीमत की जानकारी के लिए भी पहुंच रहे हैं. जीएसटी से ऑटोमोबाइल के मार्केट में फर्क नहीं पड़ा है. यह तो अच्छा हो गया कि सभी जगह एक टैक्स लग रहा है. कंपनी के अलावा हमलोग भी नये कर के अनुसार बिलिंग कर रहे हैं. ग्राहकों के लिए खरीदारी का फिलहाल अच्छा मौका है. लाेगों में कीमतों को लेकर जो भ्रम की स्थिति थी, वह भी दूर हो रही है.
:बाजार की हालत बहुत खराब है. जीएसटी के छह दिन बीतने के बाद भी बाजार पहले की तरह ही है. बाजार कब सामान्य होगा, यह नहीं कहा जा सकता.
– पुरुषोत्तम पोद्दार, अध्यक्ष, चेंबर ऑफ कॉमर्स

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